भारत और रूस नए सिरे से सड़क यातायात एवं सड़क उद्योग के क्षेत्र में मिलकर करेंगे काम

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मंत्रिमंडल ने भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय सहयोग के लिए समझौता-ज्ञापन को मंजूरी दी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडल ने सड़क यातायात एवं सड़क उद्योग के क्षेत्र में भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय सहयोग के लिए समझौता-ज्ञापन को मंजूरी दे दी है। रूस के राष्‍ट्रपति के भारत आगमन के दौरान समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए जाएंगे।

यातायात और राजमार्ग क्षेत्र में सहयोग के लिए औपचारिक मंच स्‍थापित और विकास करने की दृष्टि से सड़क यातायात एवं सड़क उद्योग के क्षेत्र में समझौता-ज्ञापन को दोनों देशों ने मिलकर तैयार किया और अंतिम रूप दिया है।

सड़क यातायात और सड़क उद्योग के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग से दोनों देशों को फायदा होगा। रूस के साथ सहयोग और आदान-प्रदान में बढ़ोतरी से सड़क यातायात एवं सड़क उद्योग तथा कुशल यातायात प्रणाली (आईपीए) में संचार तथा सहयोग संबंधी प्रभावशाली और दीर्घकालीन द्विक्षीय संबंधों को स्‍थापित करने में सहायता होगी। इससे सड़क संरचना के प्रशासन और आयोजना तथा देश में सड़क तंत्र प्रबंधन, यातायात नीति, प्रौद्योगिकी और राजमार्गों के संचालन एवं उसके निर्माण के लिए मानक स्‍थापित करने में भी सहायता होगी। इसके अलावा भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंध मजबूत होंगे।

पृष्‍ठभूमि :

भारत और रूस के बीच बहुत पुराने रिश्‍ते हैं और रणनीतिक साझेदारी के स्‍तर पर दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक रिश्‍ते कायम हैं। रूस ने उपग्रह आधारित पथ कर प्रणाली के लिए प्रौद्योगिकी विकसित की है। इसी तरह रूस ने निगरानी प्रणालियों सहित कुशल यातायात प्रबंधन प्रणाली को भी उन्‍नत बनाया है। सड़क यातायात क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के संबंध में रूस के अनुभव को ध्‍यान में रखते हुए उसके साथ नजदीकी सहयोग के जरिए उत्‍कृष्‍ट व्‍यवहारों को सीखा जा सकता है। भारत राजमार्ग संरचना संवर्धन योजनाओं को तेज गति से लागू कर रहा है। सड़क संरचना का पूरा इस्‍तेमाल करने के लिए आवश्‍यक है कि यातायात उत्‍पादकता और सुरक्षा को बढ़ाने के संबंध में प्रौद्योगिकी को अपनाया जाए। इससे लॉजिस्टिक लागत में कमी लाने में भी मदद मिलेगी। भारत में राजमार्ग संरचना विकास की योजनाओं से रूस की संरचना विकास एजेंसियों के लिए अवसर पैदा होंगे। दोनों देशों के बीच साझेदारी से संचालन स्‍तर पर आदान-प्रदान का मंच उपलब्‍ध होगा। इसके अलावा सभी अंतर्राष्‍ट्रीय समूहों और मंचों के साथ सहयोग की स्थिति बनेगी, जिनके दोनों देश सदस्‍य हैं।

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