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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के 133 वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर हरियाणा कांग्रेस के उपाध्यक्ष का विशेष लेख
प्रस्तुति : यूनुस अलवी
राहुल गाँधी के अध्यक्ष बनने से विपक्ष में बेचैनी ………..
28 दिसंबर को देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी 133 वां स्थापना दिवस मना रही है। कांग्रेस सिर्फ एक पार्टी ही नहीं है बल्कि देश के लोगों की एक विचारधारा है, जिसमें सभी समाज के लोगों की बराबर की हिस्सेदारी है। कांग्रेस ही एकमात्र वो पार्टी है जिसने आजादी की लङाई से लेकर आज तक हर वर्ग के लोगों के हितों की लङाई लङी है।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी 20 साल से कांग्रेस परिवार का मजबूत व सफल नेतृत्व कर रही थी और पिछले काफी समय से वो देश की जनता के हितों की लङाई मजबूती से लड़ रही थी।
राजीव गांधी की हत्या होने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी से पूछे बिना उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा कर दी, परंतु सोनिया गांधी ने इसे स्वीकार नहीं किया। त्याग की भावना उनमें कूट कूट कर भरी हुई थी। लेकिन कांग्रेस नेताओं, कार्यकर्ताओं व आम जनता के प्यार व देश के हालातों को देखकर श्रीमती सोनिया गांधी ने 1997 में राजनीति में कदम रखा और 1998 में कांग्रेस की अध्यक्ष बनी।
उस वक्त सिर्फ तीन राज्यों में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और केंद्र में भी हालात अनुकूल नहीं थे। लेकिन सोनिया गांधी के सफल नेतृत्व के दम पर ही उन्होंने केंद्र में लगातार दो बार यू पी ए की सरकार बनाने का कारनामा किया था व दर्जन से अधिक राज्यों में भी सरकार बनाई।
निस्संदेह सोनिया गांधी त्याग, मजबूत इरादों, संकल्प, समर्पण व ईमानदारी की बेजोड़ मिसाल हैं।
कांग्रेस पार्टी हर जाति, धर्म, लोकतांत्रिक मूल्यों की, व प्रांत के लोगों के हितों की लङाई सदैव लङती रही है। पार्टी ने सेक्युलर, लिबरल,
मेलजोल और राष्ट्र-प्रेमी राजनीति पर हमेशा यकीन किया है, इन सभी मूल्यों पर श्रीमती सोनिया गाँधी ने बेजोड़ कार्य किया था अब श्री राहुल गांधी ओर मजबूती से इन जङों को और अधिक मजबूती देंगें।
श्री राहुल गाँधी आजादी के बाद से कांग्रेस के 19 वें अध्यक्ष व अभी तक के 60वें अध्यक्ष बने हैं, जिससे एक तरफ देश के युवाओं और
कोंग्रेसियों में जोश का संचार हुआ है तो वहीँ दूसरी ओर विरोधी राजनैतिक दलों में बेचैनी साफ़ महसूस की जा सकती है। ये कांग्रेस पार्टी ही नहीं बल्कि देश के लिये एक सकारात्मक कदम है। इस अध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने ये भी दिखा दिया है कि वो लोकतांत्रिक व्यवस्था में गहरा यकीन रखती है। राहुल गांधी ने चुनाव के द्वारा इस जिम्मेदारी को हांसिल किया है।
सत्ता में आते ही भाजपा ने नोटबंदी के जरिये जिस आर्थिक वायरस को अर्थव्यवस्था में छोड़ा, उसने धीरे-धीरे पूरे देश की नींव को चाट लिया। मीडिया, वस्तुस्थिति को लगातार नकारने और पूरे देश में गुलाबी तस्वीर बनाए रखने के लिए उल्टे सिर खड़ी हो गई। इससे मजबूर और हताश लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वह सपना खरीद लिया कि जल्द ही नोटबंदी के जरिये बड़े-बड़े धन्ना सेठों का काला धन पकड़ा जाएगा और उनके अच्छे दिन शुरू हो जाएंगे जिसकी आस में उन्होंने मोदी को अपनी नेता चुना था। दरअसल यह पूरा घटनाक्रम इतना अतार्किक था, जहां कदम-दर-कदम लोकतांत्रिक प्रक्रिया का माखौल बना दिया गया। जबकि राहुल गांधी ने अदम्य साहस से नोटबंदी का पुरज़ोर विरोध किया था और देश को इसके नुकसान से आगाह किया था। उनके विरोध के कारण ही भाजपा को जीएसटी दरों मे भी कटौती करनी पङी थी।
पिछले तीन सालों से ज्यादा के समय में देश का राजनैतिक पतन तेजी से हुआ है, सरकार से सवाल पूछना आज बङा जटील काम हो गया है। समाज के ताने बाने को उलझाया जा रहा है। लेकिन राहुल गांधी देश के हालातों को सुधारने के लिए रोज एक नई लङाई लङ रहै हैं।
भाजपा जहाँ सोशल मीडिया पर जहर घोल रही है वहीं कांग्रेस अमन शांति के लिए काम कर रही है। भाजपा की सोशल मीडिया पर एक बङी टीम सिर्फ राहुल गांधी की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए भाजपा ने गठित कर रखी है, जो दर्शाता है कि भाजपा राहुल गांधी से भयभीत है।
राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी की कमान संभाल ली है और अब कांग्रेस हर मोर्चे पर सफलता हासिल करेगी। मीडिया ने भी भाजपा सरकार के लिये काम किया है लेकिन राहुल गांधी ने नोटबंदी और जीएसटी लागू होने से पैदा हुई तकलीफों को महसूस किया है और जीएसटी दरों में कटौती भी उनके विरोध के कारण ही हुई है।
राहुल के कांग्रेस की कमान संभालने से युवा वर्ग में आस की एक किरण जगी है और युवा इससे उत्सुक से नजर आते हैं। युवाओं को उम्मीद है कि एक बार फिर से कांग्रेस सत्ता में आने के बाद देश के विकास को गति देगी। कयोंकि भाजपा ने जो भी वायदे जनता से किए थे उनमें से एक भी पूरा नहीं कर पाई है। न तो लोगों को महंगाई से राहत मिल पाई है और न ही बेरोजगारों को रोजगार ही मिला है। लोग भाजपा के शासन से परेशान हो गए हैं और अब चुनाव की राह ताक रहे हैं।
पिछले तीन सालों में भाजपा सरकार ने संविधानिक मूल्यों पर हमला किया है और एक साम्प्रदायिकता व जहर से भरा माहौल तैयार किया जा रहा है, जिसके नतीजे देश के लिये विनाशकारी होंगे। ऐसे कठिन समय में राहुल गांधी कांग्रेस ही नहीं देश के लिये एक नया आफताब लेकर आयेंगे और अराजकता व साम्प्रदायिकता की रात का खात्मा करके एक नए व सुनहरे भारत का निर्माण करेंगें