विकास की दौड़ में साथ नहीं चलेंगे तो पिछड़ जाएंगे : डा. नरहरि बांगड़

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विकास की दौड़ में साथ नहीं चलेंगे तो पिछड़ जाएंगे : डा. नरहरि बांगड़ 2

टेलीकॉम मंत्रालय एवं नगर निगम द्वारा आयोजित

जागरूकता कार्यक्रम

इलेक्ट्रोमैग्नेटिक उत्सर्जन और दूरसंचार टावरों के बारे में

फैली भ्रांतियों को दूर करने की ही कोशिश 

गुरूग्राम, 18 नवम्बर। नगर निगम गुरूग्राम के अतिरिक्त आयुक्त डा. नरहरि बांगड़ ने कहा कि अगर हम विकास की इस दौड़ में साथ नहीं चलेंगे तो पिछड़ जाएंगे तथा आज सूचना एवं संचार तकनीक विकास के लिए बहुत ही जरूरी है।

    डा. बांगड़ ने यह बात आज सैक्टर-23 स्थित सामुदायिक केन्द्र में टेलीकॉम मंत्रालय एवं नगर निगम द्वारा आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में कही। यह जागरूकता कार्यक्रम इलेक्ट्रोमैग्नेटिक उत्सर्जन और दूरसंचार टावरों के बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में दूरसंचार मंत्रालय तथा स्वास्थ्य मंत्रालय के विशेषज्ञों ने प्रैंजेंटेशन के माध्यम से इन भ्रांतियों के बारे में लोगों को जागरूक किया।

    अतिरिक्त निगमायुक्त ने कहा कि आज लोगों के बीच काफी प्रकार की भ्रांतियां फैली हुई हैं। अगर किसी व्यक्ति को कोई बीमारी हो जाती है, तो वे इस बीमारी का कारण दूरसंचार टावर को मान लेते हैं। इसी प्रकार चिडिय़ा की संख्या कम होने का कारण भी मोबाइल टावरों को माना जाता है, जबकि यह केवल भ्रम है। उन्होंने कहा कि हालांकि अति हर चीज की गलत होती है। हमें मोबाइल की जितनी आवश्यकता हो उसका उपयोग उतना ही किया जाना चाहिए। अगर मोबाइल टावर से नुकसान होता, तो सरकार भी इसे लगाने की अनुमति नहीं देती। 
उन्होंने कहा कि आज सूचना एवं संचार तकनीक समय की मांग है और सरकारी सेवाएं भी ऑनलाईन उपलब्ध हैं। आप अपने घर बैठे सरकार द्वारा दी जा रही नागरिक सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं।

 

आने वाले समय पर डिजीटल इंडिया मिशन के तहत देश का हर गांव इंटनेट सेवा से जुड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि अलग-अलग फील्ड से जुड़े विशेषज्ञों को शामिल करके सरकार द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया, जिसके बाद पॉलिसी बनाई गई है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक संगठनों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मोबाइल टावर से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक उत्सर्जन के प्रभावों पर विस्तार से अध्ययन किया है और इसका कोई प्रमाण नहीं है कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है। उन्होंने कहा कि अगर हमें अपने देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लेकर जाना है, तो हमें डिजिटल प्रणाली को अपनाना पड़ेगा। आज मोबाइल बहुत ही जरूरी हो गया है और इस तकनीक ने काफी कार्यों को आसान बना दिया है। मोबाइल फोन नेटवर्क के बिना नहीं चल सकता तथा नेटवर्क टावर से ही मिलेगा।

    स्वास्थ्य मंत्रालय के सलाहकार डा. टी के जोशी ने मोबाइल, टावर, रेडियशन और स्वास्थ्य विषय पर बोलते हुए कहा कि मोबाइल टावरों से स्वास्थ्य को खतरा है, ऐसी भ्रांतियां जायज नहीं हैं। इस बारे में आप आईएआरसी, बीएआरसी, डब्ल्यूएचओ आदि की वैबसाईट पर देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि टावरों से हीटिंग इफैक्ट हो सकता है, लेकिन काफी रिसर्च के बाद यही बात सामने आई है कि मोबाइल टावरों से मानव स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि मोबाइल टावरों के बारे में एक साइकोलॉजिकल भय बना हुआ है, लेकिन इनसे स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं है।

    दूरसंचार विभाग टर्म सैल के डिप्टी डायरेक्टर जनरल एन के छौकर तथा निदेशक वी के रॉय ने एक प्रैजेंटेशन के माध्यम से बताया कि वायरलैस टैक्नोलॉजी जीवन का एक अहम हिस्सा है तथा मोबाइल सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण टूल है। यह राष्ट्र के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। हालांकि विकास के साथ भ्रांतियां पैदा हो गई हैं, लेकिन काफी रिसर्च के बाद यही निष्कर्ष निकला है कि मोबाइल टावर किसी भी मायने में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं हैं। उन्होंने बताया कि दूरसंचार विभाग की टर्म सैल द्वारा हर वर्ष देश के 10 प्रतिशत मोबाइल टावरों को चैक किया जाता है। मोबाइल टावरों के बारे में पूरी जानकारी के लिए विभाग द्वारा तरंग संचार पोर्टल शुरू किया गया है। इसके साथ ही अगर कोई दिक्कत आती है तो टर्म सैल के अधिकारियों से संपर्क करें।

    कार्यक्रम में नगर निगम के सीनियर टाऊन प्लानर सुधीर चौहान, आरके रस्तोगी, अर्जुन सिंह ने भी अपने विचार रखे। ओपन सैशन में उपस्थित लोगों ने अपने सवाल पूछे जिनका जवाब विभागों के विशेषज्ञों द्वारा दिया गया।
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Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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