जागरूकता ही एड्स से बचाव का एकमात्र तरीका : बिढ़ाण 

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 उपायुक्त ने एड्स से बचाव विषय पर आयोजित सम्मेलन का किया शुभारंभ

समाज के सभी वर्गों की भागीदारी भी सुनिश्चित करने पर दिया बल 

सौरभ धनखड़

झज्जर, 8 मार्च: एचआईवी/एड्स एक घातक और जानलेवा बिमारी है। अभी तक चिकित्सा विज्ञान इस जानलेवा बिमारी के पूर्ण रूप सेे ईलाज का तरीका ईजाद नहीं कर पाया है। एचआईवी/एड्स से बचने का एकमात्र तरीका इसके फैलने के कारणों की जानकारी ही है। उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण ने बुधवार को स्वास्थ विभाग की ओर से संवाद भवन में एचआईवी/एड्स की रोकथाम विषय पर आयोजित एक दिवसीय जागरूकता सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि स्वास्थ विभाग व अनेक गैर सरकारी संगठन एड्स से बचाव के तरीकों के बारे में ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार करें ताकि इस रोग और आगे फैलने से रोका जा सके।  
 
  उपायुक्त ने कहा कि लगभग तीन दशक पहले एड्स ने पूर्वी भारत में दस्तक दी थी,धीरे -धीरे यह बिमारी देश के उत्तर और दक्षिण के हिस्से में फैल रही है। हमें लाईलाज बिमारी को फैलने से रोकने के लिए पूरी सक्रियता के साथ कार्य करना होगा। श्री बिढ़ाण ने कहा कि बिमारी को फैलने से रोकने के लिए जागरूकता अभियान में सरकारी प्रयासों के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों की भागीदारी भी सुनिश्चित करनी होगी। उपायुक्त ने इस क्षेत्र  में सराहनीय कार्य कर रहे संगठनों की भी प्रंशसा की। 
 

— बिमारी फैलने के चार प्रमुख कारण 

 
सिविल सर्जन डॉ रमेश धनखड़ ने सेमिनार में बिमारी की रोकथाम के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि एचआईवी/एड्स छुआछात की बिमारी नहीं है। बिमारी फैलने के चार मुख्य कारण हैं। इनमें असुरक्षित यौन संबंध, एचआईवी पॉजिटिव मां से उसके बच्चे में , एचआईवी संक्रमित रक्त ,रक्त उत्पाद चढ़ाने से तथा बिना उबली संक्रमित सुई या पहले से इस्तेमाल की गई संक्रमित सुई के उपयोग करने से शामिल हैंं। 
 

—  इनसे नहीं फैलता एचआईवी/ एड्स 

 
  डिप्टी सिविल सर्जन डॉ ईशवर सिंह ने बताया कि समाज में एड्स की बिमारी के बारे में कुछ भ्रांतियंा भी फैली हुई हैं, जो आधारहीन है । इनमें प्रमुखतौर पर रोगी को छुने से,हाथ मिलाने से, आपसी मेल जोल से, मच्छर के काटने से, साथ रहने, उठने व बैठने से, साथ खाना खाने से , एक दूसरे के कपड़े पहनने से या बाथरूम उपयोग करने से यह बिमारी नहीं फैलती है। 
 

— ये हैं प्रमुख लक्षण 

 
   डॉ ईशवर सिंह ने बताया कि शरीर का अचानक वजन कम होना, महिनेभर तक रूक-रूक कर बुखार या दस्त आना, गंभीर रूप से टीबी का होना, सांस लेने मे परेशानी आना आदि शामिल हैं। शरीर में ये लक्षण उभरने पर तुरंत अपने नजदीक के सरकारी अस्पताल के एकीकृत परामर्श एवं जांच केंद्र (आईसी टीसी ) में शरीर की जांच करवानी चाहिए। सरकारी अस्पतालों में जांच व रोकथाम की दवाईयां निशुल्क है। झज्जर जिले में झज्जर, बहादुरगढ़, बेरी व जमालपुर सीएचसी में यह सुविधाएं मौजूद हैं। डॉ ईशवर ने बताया कि पिछले एक वर्ष में लगभग 12 हजार लोगों का जिले के सरकारी अस्पतालों में परीक्षण किया गया है। 
 
  सेमिनार में एचआईवी/एड्स से पीडि़त रोगियों व  रोग की रोकथाम के लिए विभिन्न विभागों की ओर से चलार्ए जा रहे कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस अवसर पर जीएम रोडवेज बलवंत गोदारा, डीएफएसओ अशोक शर्मा, विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित रहे।  

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