नई दिल्ली : सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता सम्पन्न हितग्राही (पीएम-दक्ष) योजना केंद्र सरकार की योजना है, जिसे 2020-21 में शुरू किया गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य लक्षित समूहों यानी अनुसूचित जाति, ओबीसी, ईबीसी, डीएनटी, कचरा बीनने वालों सहित सफाई कर्मचारियों आदि के योग्यता स्तर को बढ़ाना है ताकि उनके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए उन्हें स्व-रोजगार के साथ-साथ मजदूरी/रोजगार दोनों के लिए ही योग्य बनाया जा सके।
वर्ष 2020-21 के दौरान लगभग 32,097 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया गया, जिनमें से 24,652 प्रशिक्षुओं को नौकरी पर रखा गया। इन प्रशिक्षणों पर कुल व्यय 44.79 करोड़ रूपये रहा। इसी प्रकार वर्ष 2021-22 में 42,002 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया गया, जिसमें से 31,033 प्रशिक्षुओं को रोजगार प्राप्त हुआ। इन प्रशिक्षणों पर 68.22 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई। वर्ष 2022-23 में 33,021 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया गया, जिनमें से 21,552 प्रशिक्षुओं को नौकरी मिली। इन प्रशिक्षणों के लिए 14.94 करोड़ रुपये जारी किये गये थे। इस प्रकार वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक 1,07,120 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया गया, जिनमें से 77,237 प्रशिक्षुओं को लाभकारी रोजगार प्राप्त हुए। इन प्रशिक्षणों पर कुल व्यय राशि 127.95 करोड़ रूपए रही।
इसी प्रकार, वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक 1,69,300 प्रशिक्षुओं (वर्ष 2023, 2024 और 2025 में क्रमशः 53,900, 56,450 और 58,950 प्रशिक्षुओं सहित) को प्रशिक्षित किए जाने का अनुमान है। इन प्रशिक्षणों पर 286.42 करोड़ रुपये की कुल राशि खर्च होने की संभावना है।
वर्ष 2023-24 के दौरान, 28 सरकारी और 84 निजी प्रशिक्षण संस्थानों को इस योजना के कार्यान्वयन के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इन 112 सूचीबद्ध प्रशिक्षण संस्थानों में 95,000 से अधिक प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है।
वार्षिक आधार पर संस्थानों को सूचीबद्ध करने की प्रथा को अब बंद कर दिया गया है और अब संस्थानों को उनकी भौतिक और वित्तीय प्रगति तथा इस योजना के कार्यान्वयन से संबंधित किसी भी कदाचार में इन संबंधित संस्थानों की लिप्तता न होने की शर्त पर न्यूनतम तीन साल की अवधि के लिए सूचीबद्ध किया जाता है।
पहली बार, राज्यों, जिलों, जॉब रॉल आदि को आवंटित करते समय एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई, जिसके कारण 82 आकांक्षी जिलों सहित 411 जिलों को योजना के कार्यान्वयन में शामिल किया गया है। इसके अलावा, इन प्रशिक्षण संस्थानों को नवीनतम जॉब रॉल्स आवंटित किए गए हैं।
मौजूदा 38 प्रशिक्षण क्षेत्रों में से 32 क्षेत्रों को कवर किया गया है, जिसके कारण इच्छुक प्रशिक्षु उम्मीदवारों के लिए प्रशिक्षण के अवसरों में विविधता आने की संभावना है। इससे उन्हें बेहतर रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।
247 विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण चाहने वाले 821 केंद्रों के लिए 55,000 से अधिक आवेदक पहले ही पीएम-दक्ष पोर्टल पर आवेदन कर चुके हैं।
इन 55,000 से अधिक आवेदकों में से 37,000 से अधिक आवेदक महिलाएं हैं जो प्रशिक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य समूह हैं। प्रशिक्षण के लिए 574 बैच पहले ही गठित किए जा चुके हैं और जिनका प्रशिक्षण शुरू होने वाला है। सभी स्वीकृत केंद्रों पर दिसंबर, 2023 में ही प्रशिक्षण शुरू होने की संभावना है।
पीएम-दक्ष योजना
योजना: प्रधानमंत्री दक्ष और कुशलता सम्पन्न हितग्राही (पीएम-दक्ष) योजना, एक केंद्रीय क्षेत्र योजना जो 2020-21 के दौरान शुरू की गई थी।
योजना का उद्देश्य: इस योजना का मुख्य उद्देश्य लक्षित समूहों के योग्यता स्तर को बढ़ाना है ताकि उन्हें सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए स्व-रोजगार और मजदूरी-रोजगार दोनों के लिए ही योग्य बनाया जा सके।
लक्ष्य समूह: एससी, ओबीसी, ईबीसी, डीएनटी सफाई कर्मचारी जिनमें कचरा बीनने वाले आदि शामिल हैं।
आयु मानदंड: 18-45 वर्ष
आय मानदंड: अनुसूचित जाति, कचरा बीनने वाले और डीएनटी सहित सफाई कर्मचारी: कोई आय सीमा नहीं
ओबीसी: पारिवारिक वार्षिक आय 3 लाख रुपये से कम।
ईबीसी: पारिवारिक वार्षिक आय 1 लाख रुपये से कम।
यह योजना उन भारतीय नागरिकों के लिए है, जो 18-45 वर्ष आयु वर्ग के हैं।
अनुसूचित जाति, कचरा बीनने वाले और डीएनटी सहित सफाई कर्मचारियों के लिए कोई आय सीमा नहीं है, ओबीसी के लिए वार्षिक पारिवारिक आय 3 लाख रुपये से कम होनी चाहिए और ईबीसी के लिए वार्षिक पारिवारिक आय 1 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम होनी चाहिए।
पीएम-दक्ष योजना के तहत लक्ष्य समूहों को मोटे तौर पर निम्नलिखित उप श्रेणियों में प्रशिक्षित किया गया :
- अप-स्किलिंग/रीस्किलिंग (35 से 60 घंटे/5 दिन से 35 दिन):-रु.3000/- से रु.8000/-
- अल्पावधि प्रशिक्षण (300 घंटे/3 महीने) :- रु.22,000/-
- उद्यमिता विकास कार्यक्रम (90 घंटे/15 दिन): रु.7000/-
- दीर्घकालिक प्रशिक्षण (650 घंटे/7 महीने) :- रु.45,000/-
- कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा जारी सामान्य मानदंडों के अनुसार प्रशिक्षण की लागत पाठ्यक्रम की अवधि के अनुसार अलग-अलग होती है। कचरा बीनने वालों सहित सफाई कर्मचारियों के लिए कौशल उन्नयन 35 घंटे/5 दिनों के लिए है, जिसकी औसत लागत प्रति उम्मीदवार 3000/- रुपये है।
प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण की लागत: निःशुल्क
वजीफा: अनुसूचित जाति और सफाई कर्मचारियों को रु. 1,500/- प्रति माह की दर से वजीफा और गैर-आवासीय अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के लिए ओबीसी/ईबीसी/डीएनटी को रु. 1,000/- प्रति माह की दर से वजीफा।
अपस्किलिंग/रीस्किलिंग कार्यक्रम के लिए एससी/ओबीसी/ईबीसी/डीएनटी उम्मीदवारों को प्रति उम्मीदवार 2500/- रुपये की दर से वजीफा दिया जाता है। अपस्किलिंग कार्यक्रम के लिए सफाई कर्मचारी आवेदकों को प्रति उम्मीदवार 500- रुपये की दर से वेतन मुआवजा दिया जाता है।