-मछली पालन के व्यवसाय में अपार संभावनाएं, किसान इसे खेती के रूप में अपनाकर कम लागत में अधिक आय कर सकते हैं अर्जित : बंडारू दत्तात्रेय
-हरियाणा सरकार ने मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए बजट को किया डबल
– सुल्तान सिंह ने की मछली पालन में नई मिसाल कायम।
-केन्द्र व राज्य सरकार मछली पालन व्यवसाय को औद्योगिक हब के रूप में करें विकसित
चंडीगढ़, 2 मार्च : हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि मछली पालन के व्यवसाय में तरक्की की अपार संभावनाएं हैं। किसान इस व्यवसाय को खेती के रूप में अपनाकर अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। ऐसी ही मिसाल नीलोखेड़ी कस्बे के छोटे से गांव बुटाना के प्रगतिशील किसान सुल्तान सिंह ने पेश की है, जिसने न केवल मछली पालन के क्षेत्र को अपनी आय का साधन बनाया है बल्कि इस क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करके सुल्तान सिंह आज दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा के स्रोत है। उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा मछली पालन व्यवसाय को एक औद्योगिक हब के रूप में विकसित करने करना चाहिए। इससे युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
राज्यपाल वीरवार को अपने प्रस्तावित दौरे के अनुसार नीलोखेड़ी कस्बे के गांव बुटाना में पद्मश्री अवार्डी प्रगतिशील किसान सुल्तान सिंह के मछली फार्म का दौरा कर रहे थे। इस मौके पर सुल्तान सिंह ने राज्यपाल का फूल मालाएं, शॉल ओढ़ाकर तथा मोमेंटो देकर स्वागत किया। राज्यपाल ने कहा कि सुल्तान सिंह ने पिछले 40 साल में कड़े परिश्रम व शोध करके मछली पालन के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं। उन्होंने इजराइल की तकनीको को अपनाकर कम पानी में मछली का बेहतरीन उत्पादन कर रहे हैं। इन्होंने नवीन पद्धति पर आधारित बीज भी तैयार किया है।
राज्यपाल ने कहा कि हरियाणा सरकार ने भी मछली पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में अनेक योजनाएं चलाई हैं। इसी के दृष्टिगत हरियाणा सरकार ने पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए बजट में 124 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये का बजट का प्रावधान किया है। जिसके तहत सामान्य जाति के किसानों के साथ-साथ अनुसूचित जाति के लोगों को भी मछली पालन व्यवसाय से जोड़ने के लिए प्रशिक्षण देने के साथ-साथ तालाब लीज पर लेने, मछली बीज इत्यादि के लिए अनुदान राशि मुहैया करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार की इस योजना से जहां बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया हो रहे हैं, वहीं पंचायती तालाबों के पट्टे पर दिए जाने से पंचायतों की आमदनी में भी इजाफा हुआ है, जिससे ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिला है।
इस मौके पर पद्मश्री अवार्डी प्रगतिशील किसान सुल्तान सिंह ने बताया कि उनके परिवार के लोग शुरू से ही परंपरागत खेती करते थे, लेकिन मेरे अंदर परिवार से हटकर कुछ अलग करने का जज्बा था। इसलिए मैंने अपनी बीए की पढ़ाई के दौरान ही मछली पालन पर काम शुरू कर दिया था इसके बाद मैं केवीएफ के संपर्क में आया, जहां डॉ. मारकंडे ने मुझे मछली बीज उत्पादन का प्रशिक्षण दिया और मैंने उत्तर भारत की पहली मछली बीज हैचरी का निर्माण किया और बीज बेचने का काम शुरू कर दिया। इसके अलावा राजस्थान एवं महाराष्ट्र में भी डैम को पट्टे पर लेकर काम शुरू किया हुआ है।
रि-एक्वा सर्कुलेशन सिस्टम के बारे में जानकारी देते हुए किसान सुल्तान सिंह ने बताया कि इस तकनीक में कम भूमि में अधिक मछलियों का उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने 1200 गज में इस सिस्टम को लगाया है जहां पर रिकॉर्ड 50 से 60 टन मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है। वहीं, इस तकनीक से तैयार मछली का मार्केट में मूल्य भी अधिक मिलता है। वहीं इस तकनीक में 90 प्रतिशत पानी को रि-साइकिल किया जाता है। इस तकनीक को वह किसान आसानी से अपना सकते हैं जिनके पास भूमि कम है।
इस मौके पर उपायुक्त अनीश यादव, पुलिस अधीक्षक गंगाराम पुनिया, राज्यपाल के एडीसी अभिषेक जोरवाल, संयुक्त सचिव हरियाणा राजभवन अमरजीत सिंह, जिला मत्स्य अधिकारी शकुंतला भी मौजूद रहे।
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