जी-20 के प्रमुख कार्यक्रम- डिजिटल कौशल पर पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू : ज्ञान-साझाकरण के लिए एक मंच प्रदान करने पर बल

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नई दिल्ली :  इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव अल्केश कुमार शर्मा ने आज नई दिल्ली में जी-20 के मुख्य कार्यक्रम-संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स व डिजिटल प्रौद्योगिकियों- एनआईसीई-डीटी-20 और डिजिटल कौशल पर पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने एक सभा को संबोधित किया। सचिव ने कहा कि डिजिटल कौशल, कौशल को उन्नत करना व फिर से कौशल से लैस करना तेजी से बदलती अर्थव्यवस्था में हिस्सा लेने के लिए लोगों की क्षमताओं और रोजगार क्षमता की स्थिरता व इसमें बढ़ोतरी के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईईएलआईटी) ने किया। इस अवसर पर एनसीवीईटी के अध्यक्ष डॉ. निर्मलजीत सिंह कलसी, मंत्रालय के अपर सचिव श्री भुवनेश कुमार, यूनेस्को में एसएचएस की एआई निदेशक डॉ. एम. स्क्वीसियरिनी, एनआईईएलआईटी के महानिदेशक डॉ. मदन मोहन त्रिपाठी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

 

अल्केश कुमार शर्मा ने संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया. मंत्रालय के सचिव ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि डिजिटल अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के संबंध में लेकर भविष्य को लेकर तैयार कार्यबल और डिजिटल के लिए तैयार जनता, दोनों की जरूरत है। उन्होंने क्षमता निर्माण और कौशल विकास में काफी प्रगति दर्ज करने के लिए एनआईईएलआईटी को बधाई दी। उन्होंने आगे कहा कि एनआईईएलआईटी अपने उच्चस्तरीय प्रशिक्षण और कौशल कार्यक्रमों के माध्यम से ट्रिलियन-डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के विषयों के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण श्रमशक्ति सृजित करने की उपलब्धि को हासिल करने की ओर बढ़ रही है। इसके अलावा उन्होंने अधिक से अधिक डिजिटल कनेक्टिविटी को भी रेखांकित किया, जिससे इस देश के सुदूर क्षेत्रों को भी जोड़ा जा सके। सचिव ने पिछले दस वर्षों में लगभग 80 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित करने के लिए एनआईईएलआईटी को बधाई दी।

गणमान्य व्यक्तियों ने डिजिटल प्रौद्योगिकी और सारांश पुस्तक, जो अपनी तरह का अनूठा है, के पहले अंतर्राष्ट्रीय जर्नल का विमोचन किया और इसे प्रकाशित करने के लिए एनआईईएलआईटी को बधाई दी।

एनसीवीईटी के अध्यक्ष डॉ. निर्मलजीत सिंह कलसी ने अपने संबोधन में डिजिटल स्किलिंग और प्रौद्योगिकियों में सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों को अपनाने व अनुकरणीय मॉडल के निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने प्रमाणपत्र, डिप्लोमा, यूजी, पीजी और डॉक्टरेट स्तर से लेकर कौशल और क्षमता निर्माण में एनआईईएलआईटी की यात्रा की सराहना की।

वहीं, मंत्रालय के अपर सचिव श्री भुवनेश कुमार ने भी एनआईईएलआईटी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा आयोजित एनआईसीई-डीटी-23 के तहत डिजिटल कौशल पर पहले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन से हितधारकों के साथ सहयोग और ज्ञान-साझाकरण के लिए एक मंच प्रदान करने व ठोस आधार तैयार करने की उम्मीद है। उन्होंने आकांक्षी छात्रों से फ्यूचर स्किल्स प्राइम पाठ्यक्रम की पढ़ाई करने का अनुरोध किया। इसके अलावा उन्होंने आगे इसका भी उल्लेख किया कि एनआईईएलआईटी का यह सम्मेलन जी-20 के आयोजन के साथ-साथ आने वाले दिनों में मंत्रालय द्वारा आयोजित किए जा रहे जी-20 कार्यक्रम का भी एक प्रमुख हिस्सा है।

यूनेस्को एसएचएस की एआई निदेशक डॉ. एम. स्क्वीसियरिनी ने कहा, “यह समझने के लिए कि डिजिटल युग में हमें जीने, काम करने और आगे बढ़ने के लिए क्या चाहिए, सभी के लिए डिजिटल कौशल प्राप्त करने में सूचना युक्त शिक्षा, उद्योग, श्रम व कौशल और समावेशन नीतियां’ महत्वपूर्ण हैं।” उन्होंने कहा कि इसमें कौशल मांग और डिजिटल युग में आगे बढ़ने के लिए जरूरी कौशल कमियों के आकलन और इसे दूर करने की समझ सहायता करती हैं।

डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिटेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर के.के. अग्रवाल ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। अपने संबोधन में उन्होंने इस पर जोर दिया कि हमारे जीवन और समाज पर प्रौद्योगिकी के सकारात्मक व्यवहार का लाभ उठाने के लिए इसके साथ एक उपयुक्त संतुलन बनाना जरूरी है। प्रोफेसर अग्रवाल ने आगे कहा कि ज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ मिलकर कौशल संबंधी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए एक समावेशी मंच प्रदान करेगा।

पहले दिन के उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र और लेखकों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। वहीं, दूसरे दिन कौशल की पारस्परिक मान्यता के लिए रूपरेखा, सभी के लिए और उन्नत व उभरते कौशलों के लिए डिजिटल स्किल विषयों पर पैनल चर्चा की जाएगी।

एनआईईएलआईटी के महानिदेशक डॉ. मदन मोहन त्रिपाठी ने कहा, “डिजिटल प्रौद्योगिकी और डिजिटल कौशल पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में पूरे विश्व के शोधकर्ताओं द्वारा ज्ञान साझा करने और कुशल श्रमशक्ति के सृजन पर विशेष जोर दिया गया है, जिससे एक ऐसे परिदृश्य में उद्योग की मांग की तुलना में कुशल कार्यबल की कमी को दूर करना है, जिसमें भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है।” इसके अलावा उन्होंने स्प्रिंगर की भी सराहना की और धन्यवाद दिया, जिन्होंने एनआईसीई-डीटी-23 की पुस्तक श्रृंखला “नेटवर्क और प्रणालियों में व्याख्यान नोट्स” के लिए चयनित पेपर” को स्वीकार किया। उन्होंने आगे कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन एनआईईएलआईटी के इतिहास में अपनी तरह की पहली कॉन्फ्रेंस है और यह क्षमता निर्माण व कौशल के क्षेत्र में इसकी मुख्य क्षमता के अलावा संस्थान के अकादमिक स्वरूप को प्रदर्शित करेगा।

उन्होंने आगे कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन; राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर डिजिटल कौशल और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक क्षमता-प्रदाता के रूप में कार्य करेगा। पैनल चर्चा के दौरान भारत और विदेश के प्रतिष्ठित पैनल-विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुत अंतर्दृष्टि, “वैश्विक भविष्य के लिए तैयार कार्यबल” के निर्माण से जुडी अवधारणा को अंतिम रूप देने में मदद करेगी, जिससे अंततः भारत को विश्व की कौशल राजधानी के रूप में स्थापित करने में योगदान प्राप्त होगा।

इस सम्मेलन के दौरान 60 लेखकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, बिग डेटा, डेटा एनालिटिक्स, साइबर सुरक्षा और फोरेंसिक, नेटवर्क और मोबाइल सुरक्षा, उन्नत कंप्यूटिंग-क्लाउड कंप्यूटिंग और क्वांटम कंप्यूटिंग वीएलएसआई और सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम, आईओटी, एज-एआई, दिव्यांगजन के लिए सहायक प्रौद्योगिकी, ब्लॉकचेन और सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी, भविष्य/जैव प्रौद्योगिकी के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी, वैश्विक भविष्य के लिए तैयार कार्यबल के निर्माण के लिए डिजिटल कौशल के लिए रणनीति आदि विषयों पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

दो दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में प्रतिभागियों को डॉ. एम.पी. पिल्लई, कार्यकारी निदेशक, एनआईईएलआईटी कालीकट; प्रो. एस.एन. सिंह, निदेशक, एबीवी-आईआईआईटीएम, ग्वालियर; प्रोफेसर राजकुमार बुय्या, मेलबर्न विश्वविद्यालय; डॉ. येह्या अल-मरज़ूकी, कार्यकारी निदेशक, सलाहकार इकाई, तवाज़ुन काउंसिल, यूएई; डॉ. डेनिस हू, अध्यक्ष, एफसीसीआई, ताइवान; डॉ. युमनाम जयंत सिंह ने भी संबोधित किया, अपनी अंतर्दृष्टि साझा की और इसके लाभों की प्राप्ति के लिए कौशल+ज्ञान+प्रौद्योगिकी के संयोजन पर जोर दिया।

एनआईईएलआईटी, भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) की एक स्वायत्त वैज्ञानिक संस्था है और यह देशभर में युवाओं के क्षमता निर्माण और कौशल विकास के कार्य में संलग्न है। एनआईईएलआईटी के विभिन्न नए परिसरों के समावेश से इसके खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है तथा वर्चुअल अकादमी के शुभारंभ से इसे और बढ़ावा मिला है। एनआईईएलआईटी अपने 47 केन्द्रों और लगभग 5000 प्रशिक्षण/सुविधा भागीदारों के माध्यम से अखिल भारतीय स्तर पर अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करता है।

एनआईईएलआईटी एक सशक्त समाज के विकास की दिशा में ‘डिजिटल इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’ को आगे बढ़ाने के लिए अपने प्रशिक्षण भागीदारों के नेटवर्क के साथ मिलकर काम कर रहा है। एनआईईएलआईटी में ब्लॉकचैन, रोबोटिक्स, एआई, मोबाइल एप्लिकेशन डेवलपमेंट, क्लाउड कंप्यूटिंग, आईओटी, ई-वेस्ट, साइबर सुरक्षा, मोबाइल हैंडसेट डिजाइन आदि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मास्टर प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के माध्यम से आंतरिक क्षमताओं को बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा, एनआईईएलआईटी आईबीएम और माइक्रोसॉफ्ट आदि के साथ मिलकर विशेष रूप से देश के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में युवाओं को कुशल बनाने एवं उनका सशक्तिकरण करने की विभिन्न रणनीतियों पर काम कर रहा है।

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