क्या सोशल नेटवर्किंग साइट से निजता भंग होती है ?

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सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब 

नई दिल्ली। मिडिया की ख़बरों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए निजी संवाद का व्यावसायिक शोषण नियंत्रित करने के लिए निजता की नीति बनाने के लिए दायर याचिका पर सरकार और दूरसंचार नियामक प्राधिकरण से सोमवार को जवाब मांगा।

खबर में कहा गया है कि प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड की पीठ ने व्हाट्सऐप और फेसबुक को भी नोटिस जारी किए हैं। इन सभी को दो सप्ताह के भीतर जवाब देना है।

पीठ ने इस मामले में अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से सहयोग करने का अनुरोध किया है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि ये सोशल नेटवर्किंग साइट देश की 15 करोड़ से अधिक लोगों की पर्सनल चैट की निजता से समझौता कर रही हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने आरोप लगाया कि सोशल नेटवर्किंग साइट नागरिकों की निजता का अतिक्रमण कर रही हैं जो संविधान के अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की आजादी) और अनुच्छेद 21 (जीने का अधिकार) के उल्लंघन के समान है। उन्होंने कहा कि जीने के अधिकार में ही निजता का अधिकार भी शामिल है।

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