पराली जलाए जाने की संभावना वाले क्षेत्रों पर है हरियाणा सरकार की कड़ी नजर : संजीव कौशल

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चंडीगढ़,10 अक्टूबर- हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने आज वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष डॉ. एम.एम. कुट्टी को बताया की हरियाणा उन सभी चिन्हित क्षेत्रों पर कड़ी निगरानी रख रहा है, जहां पराली जलाए जाने की अधिक संभावना है।

         मुख्य सचिव ने कहा कि पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार एक ढांचा लागू कर रही है जिसमें इन-सीटू/फसल अवशेष प्रबंधन, एक्स-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन, प्रभावी निगरानी/प्रवर्तन, आईईसी गतिविधियां शामिल हैं।

         मुख्य सचिव ने अध्यक्ष को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा दी गई कार्य योजना का कड़ाई से पालन करते हुए वायु गुणवत्ता के रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

         उन्होंने कहा कि हॉटस्पॉट क्षेत्रों में कड़ी निगरानी रखने वाले अधिकारियों की एक विशेष टीम तैनात की गई है। साथ ही पराली जलाने के मामलों की रियल टाइम सूचना संबंधित उपायुक्तों को तत्काल कार्रवाई के लिए दी जा रही है। श्री कौशल ने बताया की जिला प्रशासन द्वारा लागू की गई प्रभावी रणनीति के माध्यम से हरियाणा पराली जलाने के प्रभाव को 50 प्रतिशत या उससे भी कम करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि बारिश के बावजूद भी प्रदेश के किसानों ने धान कटाई का कार्य कर लिया है तथा पिछले वर्ष की तुलना में अब तक मंडी में लगभग तीन गुना से भी अधिक मात्रा में धान पहुंच गया है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष डॉ एम एम कुट्टी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी उपायुक्तों के साथ हो रही बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्हें हरियाणा में वायु गुणवत्ता प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करने को कहा। बैठक के दौरान हरियाणा में पराली जलाने के प्रभाव को कम करने के लिए उठाए जाने वाले ठोस कदमों के संबंध में व्यापक चर्चा हुई।

         बैठक मे उपायुक्तों ने अध्यक्ष को बताया की पराली जलाने के दुष्परिणामों के बारे में किसानों को शिक्षित करने के लिए प्रत्येक जिले में स्थानीय स्तर पर विभिन्न जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा किसानों को  प्रति एकड़ बेलिंग के लिए (इन-सीटू मैनेजमेंट) 1000 रूपए की प्रोत्साहन राशि  दी जा रही है और इसके साथ ही बेलस के परिवहन के लिए 500 रूपए प्रति एकड़ से अधिकतम 15 हजार रुपए तक गौशालाओं को दिए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त लगभग 2 लाख मीट्रिक टन अवशेष प्रबंधन की आपूर्ति के लिए 2जी इथेनॉल संयंत्र को जो की आईओसीएल द्वारा चिन्हित क्लस्टर हो, को टॉप अप सहायता के लिए विशेष प्रावधान में रुपए 500/एमटी सहायता के मौजूदा प्रावधान रुपए 500/ मीट्रिक टन के अतिरिक्त  (कुल 1 हजार रुपए)  प्रदान किया जा रहा है। लगभग 13 लाख मीट्रिक टन फसल अवशेषों का उपयोग उद्योगों मे बायोमास संयंत्रों, सीबीजी संयंत्रों, कागज/कार्डबोर्ड उद्योग और औद्योगिक बॉयलरों के लिए किया जाएगा। इसके अलावा विभिन्न निजी कंपनियां फसल अवशेषों को सीधे किसानों से उचित दर पर खरीद रही हैं ताकि उन्हें आगे बेल्स में परिवर्तित किया जा सके।

         मुख्य सचिव ने सीएक्यूएम के अध्यक्ष, को अवगत कराया कि हरियाणा सरकार द्वारा की गई मजबूत पहल के सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं जोकि पराली जलाने के प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण रूप से सहयोग कर रहे हैं और जिनसे हम भविष्य में भी उत्कृष्ट परिणामों की उम्मीद कर रहे हैं। सभी जिला उपायुक्त गत वर्ष के आंकड़ों की तुलना में पराली जलाने के प्रभाव को 50 प्रतिशत या इससे भी कम करने की दिशा में प्रयासरत हैं। उन्होंने आगे कहा कि फसल अवशेष जलाने की रोकथाम के लिए जिला स्तर पर उपायुक्त और उपमंडल स्तर पर उपमंडल मजिस्ट्रेट को नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया गया है। रेड जोन में आने वाले गांवों और पीले जोन में आने वाले गांवों में अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। दोषियों के खिलाफ प्रवर्तन उपाय करने के लिए उड़नदस्तों का गठन किया गया है और जिला स्तर पर एक समर्पित नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती सुमिता मिश्रा ने कहा कि हम हर जिले में पराली जलाने के दुष्परिणामों पर प्रकाश डालते हुए जन जागरूकता अभियान सुनिश्चित कर रहे हैं। हमने रेड ज़ोन क्षेत्रों को चिन्हित किया है और ठोस प्रावधान भी किए हैं ताकि हम चिन्हित क्षेत्रों में पराली जलाने पर रोक लगा सकें। वास्तविक समय की निगरानी सुनिश्चित करते हुए हम पर्याप्त बेलिंग मशीनों के साथ तकनीकी इनपुट भी सुनिश्चित कर रहे हैं जो सामूहिक रूप से सकारात्मक परिणाम देंगे। चालू वर्ष के दौरान किसानों को 7146 मशीनें (5346 इन-सीटू मशीन और 600 बेलिंग यूनिट यानी 1800 एक्स-सीटू मशीन 2022-23) उपलब्ध कराई गई हैं। उन्होंने कहा कि सुपर सीडर, बेलिंग यूनिट और जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल उपलब्ध कराने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

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