नई दिल्ली। भारत ने बड़ी बाधाओं के बावजूद 2021-22 के दौरान 57,586.48 करोड़ रुपये (7.76 बिलियन डॉलर) मूल्य के 13,69,264 मीट्रिक टन समुद्री खाद्य पदार्थ का निर्यात किया। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान निर्यात में रुपये के संदर्भ में 31.71 प्रतिशत, अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में 30.26 प्रतिशत तथा मात्रा की दृष्टि से 19.12 प्रतिशत का सुधार हुआ। 2020-21 में भारत ने 43,720.98 करोड़ रुपये मूल्य के (5,956.93 मिलियन डॉलर) 11,49,510 मीट्रिक टन समुद्री खाद्य उत्पाद का निर्यात किया था।
समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) के अध्यक्ष श्री के. एन. राघवन ने कहा कि कोविड महामारी के कारण प्रमुख निर्यात बाजारों में उत्पन्न अनेक चुनौतियों के बावजूद भारत 7.76 बिलियन डॉलर मूल्य के 13,69,264 मीट्रिक टन समुद्री खाद्य का निर्यात किया जो अब तक का सबसे अधिक सफल निर्यात प्रबंधन रहा।
जमा हुआ झींगा मात्रा और मूल्य की दृष्टि से प्रमुख निर्यात वस्तुओं में रहा। जमा हुए झींगे के निर्यात से 42,706.04 करोड़ रुपये (5,828.59 मिलियन डॉलर) की आय हुई। मात्रा गुणवत्ता में इसकी हिस्सेदारी 53.18 प्रतिशत रही और कुल डॉलर आय में इसकी हिस्सेदारी 75.11 प्रतिशत रही। इस अवधि में झींगा निर्यात अमेरिकी डॉलर मूल्य में 31.68 प्रतिशत बढ़ा और मात्रा में 23.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
वर्ष 2021-22 के दौरान जमे हुए झींगे का समग्र निर्यात 7,28,123 मीट्रिक टन रहा। सबसे बड़े बाजार अमेरिका ने 3,42,572 मीट्रिक टन जमे हुए झींगे का आयात किया इसके बाद चीन ने 1,25,667 मीट्रिक टन, यूरोपीय यूनियन 90,549 मीट्रिक टन, दक्षिण-पूर्व एशिया 44,683 मीट्रिक टन, जापान 38,492 मीट्रिक टन तथा मध्य-पूर्व ने 37,158 मीट्रिक टन का आयात किया। मूल्य की दृष्टि से सभी बाजारों में जमे हुए झींगे के निर्यात में वृद्धि दिखी।
वन्नामेई (सफेद पैर) झींगे का निर्यात 2021-22 में 5,15,907 मीट्रिक टन से बढ़कर 6,43,037 मीट्रिक टन हो गया। अमेरिकी डॉलर मूल्य की दृष्टि से कुल वन्नामेई झींगे के निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 59.05 प्रतिशत, चीन की 14.59 प्रतिशत, यूरोपीय यूनियन की 8.16 प्रतिशत, दक्षिण-पूर्व एशिया की 4.78 प्रतिशत, जापान की 3.61 प्रतिशत तथा मध्य-पूर्व की 3.17 प्रतिशत रही। अमेरिका ब्लैक टाइगर झींगा का प्रमुख बाजार रहा, जिसकी अमेरिकी डॉलर मूल्य के संदर्भ में हिस्सेदारी 25.90 प्रतिशत रही और इसके बाद यूरोपीय यूनियन (23.78 प्रतिशत) तथा जापान (22.71 प्रतिशत) की रही।
दूसरी सबसे बड़ी निर्यात वस्तुओं में अन्य सामग्रियां रहीं। इससे 3,979.99 करोड़ रुपये (540.73 मिलियन डॉलर) की आय हुई और मात्रा में यह 12.96 प्रतिशत रहा तथा डॉलर आय में 6.97 प्रतिशत। रुपया मूल्य में अन्य सामग्रियों के निर्यात में 43.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई तथा डॉलर मूल्य में यह वृद्धि 42.94 प्रतिशत रही। अन्य वस्तुओं में सूरीमी तथा सूरीमी जैसे दिखने वाले उत्पादों का निर्यात अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में 56.55 प्रतिशत बढ़ा।
जमी हुई मछली तीसरी सबसे बड़ी निर्यात वस्तु रही और इससे 3471.91 करोड़ रुपये ( 471.45 मिलियन डॉलर) की आय हुई। यह मात्रा की दृष्टि से 16.55 प्रतिशत और डॉलर आय में 6.08 प्रतिशत रही। जमी हुई मछली का निर्यात मात्रा की दृष्टि से 20.44 प्रतिशत तथा डॉलर मूल्य में 17.19 प्रतिशत बढ़ा।
फ्रोजन स्किव्ड का निर्यात 75,750 मीट्रिक टन रहा, मात्रा की दृष्टि से इसमें 23.82 प्रतिशत तथा डॉलर की दृष्टि से 40.24 प्रतिशत की वृद्धि हुई और 2,806.09 करोड़ रुपये (383.37 मिलियन डॉलर) की आय हुई।
जमे हुए कटलिफ्श का निर्यात 58,992 मीट्रिक टन रहा और रुपया मूल्य में इसमें 26.83 प्रतिशत तथा डॉलर मूल्य में 26.18 प्रतिशत की वृद्धि हुई और इससे 2062.63 करोड़ रुपये (280.08 मिलियन डॉलर) की आय हुई।
सूखी सामग्रियों का निर्यात 73,679 मीट्रिक टन रहा और रुपया मूल्य में इसमें 28.27 प्रतिशत की वृद्धि हुई, लेकिन अमेरिकी डॉलर मूल्य में इसमें 8.59 प्रतिशत की गिरावट आई और 1472.98 करोड़ रुपये (143.46 मिलियन डॉलर) की आय हुई।
संभावना क्षेत्र समझे जाने वाली ठंडी वस्तुओं का निर्यात भी मात्रा की दृष्टि से 23.08 प्रतिशत बढ़ा और रुपया की दृष्टि से 53.45 प्रतिशत बढ़ा लेकिन अमेरिकी डॉलर की दृष्टि से 1.87 प्रतिशत नीचे रहा।
जीवित वस्तुओं का निर्यात 7,032 मीट्रिक टन रहा और यह मात्रा की दृष्टि से 60.57 प्रतिशत, रुपया की दृष्टि से 47.43 प्रतिशत और अमेरिकी डॉलर की दृष्टि से 46.67 प्रतिशत बढ़ा।
जमे हुए झींगे, जमे हुए कटलिफ्श, फ्रोजन स्किव्ड, सूखी वस्तुएं तथा अन्य वस्तुओं की इकाई मूल्य प्राप्ति में सकारात्मक वृद्धि दिखी।
विदेशी बाजारों में अमेरिका, भारतीय समुद्री खाद्य का मूल्य तथा मात्रा दोनों की दृष्टि से प्रमुख आयातक बना रहा। अमेरिका ने 3371.66 मिलियन डॉलर मूल्य का आयात किया और डॉलर मूल्य में इसकी हिस्सेदारी 37.56 प्रतिशत रही। गुणवत्ता में अमेरिकी निर्यात में 27.63 प्रतिशत तथा रुपया मूल्य में 36.76 प्रतिशत और अमेरिकी डॉलर आय में 37.56 प्रतिशत बढ़ा। जमा हुआ झींगा अमेरिका में निर्यात किए गए प्रधान सामग्री में रहा और वन्नामेई झींगे के निर्यात में मात्रा की दृष्टि से 26.81 प्रतिशत तथा डॉलर की दृष्टि से 34.65 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अमेरिका को ब्लैक टाइगर झींगा का निर्यात मात्रा की दृष्टि से 68.99 प्रतिशत तथा अमेरिकी डॉलर में 152.06 प्रतिशत बढ़ा।
मात्रा की दृष्टि से चीन भारत से समुद्री खाद्य निर्यात का दूसरा सबसे बड़े स्थान के रूप में उभरा, चीन ने 1,175.05 अमेरिकी डॉलर मूल्य का 2,66,989 मीट्रिक टन आयात किया। मात्रा में चीन की हिस्सेदारी 19.50 प्रतिशत और डॉलर की दृष्टि से 15.14 प्रतिशत रही। चीन के बाजार में मात्रा में 22.28 प्रतिशत तथा रुपया मूल्य में 31.09 प्रतिशत और डॉलर मूल्य में 25.12 प्रतिशत की वृद्धि हुई। चीन में निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं में जमा हुआ झींगा रहा। मात्रा में इसकी हिस्सेदारी 47.07 प्रतिशत तथा डॉलर मूल्य में 67.04 प्रतिशत रही, जबकि चीन को कुल निर्यात में मात्रा की दृष्टि से जमी हुई मछली की हिस्सेदारी 32.10 प्रतिशत और मूल्य में 15.19 प्रतिशत रही। मात्रा और वॉल्यूम की दृष्टि से चीन को जमा हुआ झींगे के निर्यात में सकारात्मक वृद्धि दिखी।
भारतीय समुद्री खाद्य का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात स्थान यूरोपीय यूनियन रहा। जमे हुए झींगे के निर्यात में क्रमशः मात्रा की दृष्टि से 29.11 प्रतिशत तथा डॉलर मूल्य में 37.09 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
दक्षिण-पूर्व एशिया चौथा सबसे बड़ा बाजार है। जमे हुए झींगे के निर्यात में मात्रा की दृष्टि से इसकी हिस्सेदारी 18.36 प्रतिशत और डॉलर मूल्य में हिस्सेदारी 36.81 प्रतिशत रही। इसमें 22.29 प्रतिशत की वृद्धि हुई। दक्षिण-पूर्व एशिया में दूसरी सबसे बड़ी निर्यात वस्तु जमी हुई मछली रही। मात्रा में इसकी हिस्सेदारी 33.42 प्रतिशत और 82.24 प्रतिशत की वृद्धि के साथ डॉलर मूल्य में हिस्सेदारी 21.42 प्रतिशत रही।
जापान 5वां सबसे बड़ा आयातक बना रहा। डॉलर मूल्य में इसकी हिस्सेदारी 5.68 प्रतिशत तथा मात्रा में 6.60 प्रतिशत रही। डॉलर मूल्य में इसमें 6.95 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जमा हुआ झींगा जापान को निर्यात में प्रमुख रहा। इसकी हिस्सेदारी 74.55 प्रतिशत रही और डॉलर मूल्य में इसमें 3.73 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
मात्रा में मध्य-पूर्व को निर्यात में 20.2 प्रतिशत की वृद्धि दिखी, रुपये में 21.27 प्रतिशत तथा डॉलर में 20.7 प्रतिशत की वृद्धि दिखी।