भारत और जापान के बीच वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त अनुसंधान को केबिनेट ने दी हरी झंडी

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 नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायर्नमेंटल स्टडीज, जापान और आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस), भारत के बीच सहयोगात्मक दिशा-निर्देश स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हुए हस्ताक्षर से अवगत कराया गया, जिसका उद्देश्य वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त अनुसंधान (बाद में “संयुक्त अनुसंधान” के रूप में संदर्भित) करना और इन्हें कार्यान्वित करना है। इसके अलावा, पूर्व में किसी भी अन्य विदेशी निकायों के साथ अनुसंधान के समान क्षेत्रों में एआरआईईएस, नैनीताल द्वारा ऐसे किसी भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किए गए थे।

कुछ संभावित गतिविधियां निम्नलिखित हैं:-

क) वैज्ञानिक उपकरणों का संयुक्त उपयोग और संचालन

बी) अवलोकन विधियों पर वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी का आदान-प्रदान

ग) अवलोकन संबंधी आंकड़ों का संयुक्त विश्लेषण और वैज्ञानिक रिपोर्ट बनाना

घ) संयुक्त शैक्षिक और अनुसंधान गतिविधियाँ।

ई) शोध करने के उद्देश्य से पीएचडी छात्रों सहित अतिथि विद्वानों का आदान-प्रदान।

च) संयुक्त वैज्ञानिक कार्यशालाएं और/या सेमिनार

 

एआरआईईएस के बारे में:

आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस) भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्थापित एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है। एआरआईईएस खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी और वायुमंडलीय विज्ञान में अनुसंधान के लिए उत्कृष्ट केंद्र है। यह पृथ्वी पर वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन, सूर्य, सितारों और आकाशगंगाओं के निर्माण और विकास पर शोध करता है। संस्थान के अनुसंधान समूह में अनुसंधान वैज्ञानिक, पीएचडी छात्र, पोस्ट डॉक्टरेट और अतिथि विद्वान शामिल हैं। शोधकर्ता परिष्कृत और उन्नत वैज्ञानिक उपकरणों के डिजाइन और विकास में भी शामिल हैं। यह इंजीनियरों और तकनीकी कर्मियों की एक टीम द्वारा समर्थित है, जो दोनों परिसरों – मनोरा पीक और देवस्थल में उपकरणों के निर्माण और संचालन में शामिल हैं।

एनआईईएस के बारे में:

नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायर्नमेंटल स्टडीज, (एनआईईएस) जापान का एकमात्र शोध संस्थान है, जो अंतःविषय पर और व्यापक सन्दर्भ में पर्यावरण पर अनुसंधान करता है। एनआईईएस पर्यावरण संरक्षण पर वैज्ञानिक निष्कर्ष निकालता है। एनआईईएस अनुसंधान परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिनमें मौलिक अनुसंधान, डेटा अधिग्रहण और विश्लेषण, पर्यावरण के नमूनों के संरक्षण और प्रावधान के माध्यम से संस्थान की अनुसंधान नींव को मजबूत करना शामिल है। एनआईईएस पर्यावरण अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए चार कीवर्ड (संश्लेषण, एकीकरण, विकास और नेटवर्क सिंथेसाइज, इंटीग्रेट, इवॉल्व, और नेटवर्क = एनआईईएस रणनीति) पर विश्वास करता है, जो वैज्ञानिक समुदाय और समाज के बीच की खाई को पाटने के लिए एवं जापान और अन्य देशों में पर्यावरण नीति की उन्नति के लिए जापान के संपूर्ण अनुसंधान और विकास परिणामों को अधिकतम स्तर का उपयोग प्रदान कर रहा है।

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