गोवा में कैसे रुकी पानी की बर्बादी ?

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बैंक फिल्ट्रेशन का इस्तेमाल होने वाली सेंसर आधारित सिंचाई प्रणाली से पानी की बचत होती और किसान की आय बढ़ती है

पणजी :   गोवा के नवेलिम के पास साल नदी और कोर्तालिम में नौटा झील में स्थापित बैंक फिल्ट्रेशन तकनीक का उपयोग करके एक सेंसर-आधारित और वेब/मोबाइल ऐप के माध्यम से नियंत्रित सिंचाई प्रणाली से क्षेत्र में पानी की बर्बादी रूक गई है. इससे किसानों के लिए दूर से ही सिंचाई की निगरानी करना भी आसान हो गया है।

पानी की मोटर शुरू करने वाले सेंसर द्वारा नमी का मान तभी प्रदान किया जाता है, जब पानी की वास्तविक आवश्यकता होती है और जब नमी का स्तर अधिकतम स्तर तक पहुंच जाता है तो इसे बंद कर देता है। यह प्रक्रिया पानी से अपरदन को रोकती है और पूरे खेत में मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखती है। इस प्रणाली ने विशेष रूप से दैनिक वेतन भोगी किसानों के लिए समय की बचत की है, जिससे उन्हें अपनी फसल को बाजार में बेचने की स्वतंत्रता और सहूनियत मिली है। इससेे उनके श्रमिक कार्य में कमी आई है और किसानों को आर्थिक रूप से भी मदद मिली है।

इस सिंचाई प्रणाली को मांग प्रेरित मिशन – जल प्रौद्योगिकी पहल के तहत ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टीईआरआई) यानी टेरी द्वारा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), गोवा के सहयोग से अमल में लाया गया था और इसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार का समर्थन समर्थन मिला।

यह रिवर बैंक फिल्ट्रेशन (आरबीएफ) तकनीक के साथ-साथ सेंसर नियंत्रित सिंचाई प्रणाली के माध्यम से किसानों को सिंचाई के लिए स्वच्छ पानी प्रदान करता है, जो इस क्षेत्र में अपनी तरह का पहला प्रयोग है। आरबीएफ नदियों या झीलों के पास स्थित कुओं से पानी निकालकर काम करता है। जैसे-जैसे नदी का पानी नदी के तल के तलछट में प्रवेश करता है और गुजरता है, जैविक, भौतिक और रासायनिक प्रक्रियाओं को परस्पर व्याप्त करके बैक्टीरिया और जहरीली धातुओं जैसे दूषित पदार्थों को दूर कर दिया जाता है।
ग्रिड क्षेत्रों के बाहर के किसानों को साफ पानी उपलब्ध कराने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों (सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप) द्वारा संचालित, गोवा के नवेलिम मे साल नदी के पास और कोर्तालिम में नौटा झील के प्रदूषित पानी के उपचार के लिए किफायती आरबीएफ कुएं स्थापित किए गए हैं। बेहतर गुणवत्ता मानकों जैसे कि कम मैलापन और बैक्टीरिया लोड वाला पानी व्यवस्थित पाइपलाइन प्रणाली के माध्यम से आपूर्ति किए जाने से किसानों को बेहतर फसल उत्पादन प्राप्त करने में मदद मिली।

यह परियोजना छोटे जोत वाले कृषक समुदायों को शिक्षित करने के लिए स्थिरता का एक मॉडल प्रस्तुत करती है जो गोवा के लिए अनोखी है। आरबीएफ की तकनीक निलंबित कणों और रोगाणुओं को कम करने समेत बड़ी मात्रा में दूषित पदार्थों को हटाने का एक सस्ता साधन प्रदान करती है, और अनिवार्य रूप से किसान समुदाय को उनकी सिंचाई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बेहतर गुणवत्ता का पानी प्रदान करती है।

एक प्रसार कार्यशाला भी आयोजित की गई जिसमें संबंधित हितधारकों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और किसानों को स्थानीय स्वामित्व को सूचना और प्रौद्योगिकी सौंपी गई, और इस पहल ने भविष्य के विकास के लिए नए सहयोग के मार्ग खोले हैं।

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