chintels paradiso collapse
-मामले की जांच एस आई टी करेगी
-चिंटल पैराडिसो अपार्टमेंट की रजिस्ट्री पर भी रोक लगाई गई
-टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका के बारे में ऍफ़ आई आर मौन
सुभाष चौधरी
गुरुग्राम :(chintels paradiso collapse) गुरुग्राम के सेक्टर 109 स्थित चिंटल पैराडिसो अपार्टमेंट में हुए बड़े हादसे के कारण हुई 2 लोगों की मौत के मामले में चिंटल इंडिया लिमिटेड, चिंटल एक्सपोर्ट्स प्लिराइवेट मिटेड, इंटेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और राज किरण प्राइवेट लिमिटेड के सभी डायरेक्टर एवं कंपनी के मालिक अशोक सोलमन , कंपनी के आर्किटेक्ट अजय साहनी , इंजीनियर कुंवर खलीक अहमद , मैकेनिकल इंजीनियर अरविंद कुमार गुप्ता, आर्किटेक्ट आशीष जयसवाल , एवं छठी फ्लोर पर मरम्मत का काम करने वाली कंपनी भयाना प्राइवेट लिमिटेड,
बिल्डर्स के सभी डायरेक्टर के खिलाफ बजघेरा पुलिस स्टेशन में धारा 417, 420, 465, 467, 468, 471, 120 बी और एच डी आर यू नंबर 8 / 1975 की धारा 10 एवं 12 के तहत मामला दर्ज किया गया है. इस पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है.
साथ ही डीटीपी कार्यालय की ओर से तहसीलदार गुरुग्राम को भेजे पत्र में इस प्रॉपर्टी से संबंधित किसी भी फ्लैट की रजिस्ट्री करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इस घटना के लिए डीटीपी एन्फोर्समेंट की ओर से जांच के आधार पर, कंपनी के डायरेक्टर, कांट्रेक्टर कंपनी, इंजीनियर, और प्रूफ कंसलटेंट को जिम्मेदार ठहराते हुए धोखाधड़ी करने सहित कई आरोप लगाए गए हैं .
यह मामला जे एस बाट डीटीपी एनफोर्समेंट गुरुग्राम की ओर से दर्ज कराया गया है जबकि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट के उन अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका के बारे में यह ऍफ़ आई आर मौन है जिन्होंने इस ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के आवेदन को ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट के लिए अप्रूव किया और चंडीगढ़ भेजा .
डीटीपी इंफोर्समेंट गुरुग्राम की ओर से पुलिस कमिश्नर गुरुग्राम को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि लाइसेंस नंबर 251 जो 2 नवंबर 2007 को चिंटल एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड जिसके मालिक अशोक सोलोमन और लाइसेंस नंबर 09 जो 17 जनवरी 2008 को इंटेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और राज किरण प्राइवेट लिमिटेड के नाम क्रमशः वर्ष 2007 एवं 2008 में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट चंडीगढ़ से जारी किया गया था. दोनों लाइसेंस के तहत क्रमशः12.56 एकड़ और .25 एकड़ जमीन पर सेक्टर 109 गुरुग्राम में कुल 12. 3061 एकड़ जमीन में ग्रुप हाउसिंग कॉलोनी स्थापित किया जाना था।
डीटीपी की लिखित शिकायत में यह भी बताया गया है कि विभाग के चंडीगढ़ मुख्यालय से जानकारी दी गई कि उक्त ग्रुप हाउसिंग कॉलोनी का बिल्डिंग प्लान मेमो नंबर 2472 दिनांक 1 मार्च 2011 को अप्रूव किया गया था.
इस प्रोजेक्ट में कुल 9 टावर बनाने की अनुमति दी गई थी। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के निदेशक द्वारा इसके लिए अकूपेशन सर्टिफिकेट मेमो नंबर 17307 दिनांक 18 अगस्त 2016 को टावर नंबर 4, 5, 6 ,7 और 8 के साथ ईडब्ल्यूएस फ्लैट एवं नर्सरी स्कूल और बेसमेंट के लिए जारी किया गया था। इसके अलावा मेमो नंबर 13823 दिनांक 20 जून 2017 को टावर नंबर 1 2 3 और 9 के साथ कम्युनिटी बिल्डिंग और कन्वीनियंस शॉपिंग कंपलेक्स के लिए भी ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट जारी किया गया था।
शिकायत में डीटीपी ने पुलिस कमिश्नर को बताया है कि गत 10 फरवरी 2022 को उक्त कॉलोनी में दुर्घटना हुई जिसमें टावर डी 4 के छठे फ्लोर से पहले फ्लोर तक रूफ स्लैब ढह गया जो कि ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के टावर नंबर 4 में स्थित था। उक्त घटना में दो लोगों की मृत्यु हो गई और एक व्यक्ति को एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के लगभग 24 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बाहर निकाला जा सका।
डीटीपी ने अपने पत्र में इस बात का खुलासा किया है कि इस घटना की पूरी तहकीकात करने के बाद यह पाया गया कि उक्त टावर डी 4 सहित ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के लाइसेंस के लिए चिंटल इंडिया लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट के के सिंहल ने ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट के लिए 21 अक्टूबर 2015 को आवेदन किया था . उक्त आवेदन को अजय साहनी और आशीष जायसवाल आर्किटेक्ट ने सर्टिफाई किया था।
दोनों आर्किटेक्ट ने अपने वक्तव्य में यह कहा था कि उन्होंने स्वयं जाकर सभी बिल्डिंग का मुआयना किया और जांच कर बिल्डिंग प्लान के अनुसार सभी निर्माण होने का दावा किया । यहां तक कि दोनों आर्किटेक्ट ने उक्त ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के बारे में वर्णित नोट में कहा था कि बिल्डिंग की डिजाइन और उसका स्ट्रक्चर पूरी तरह चेक किया गया और यह सभी पैरामीटर पर सही पाया गया।
दोनों आर्किटेक्चर ने यह भी कहा था कि बिल्डिंग निर्माण के तौर तरीके और इसमें उपयोग किए गए कंस्ट्रक्शन मैटेरियल निर्धारित मानदंडों के अनुरूप पाए गए और इसमें नेशनल बिल्डिंग कोड, पंजाब शेड्यूल्ड रूल्स एंड कंट्रोल एरिया रिस्ट्रिक्शन ऑफ अनरेगुलेटेड डेवलपमेंट रूल 1965 की सभी शर्तों का पूरा पालन किया गया है।
आश्चर्यजनक बात यह है कि इस ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के बारे में इंजीनियर अजय साहनी जो दिल्ली आई आई टी से एमटेक स्ट्रक्चर इंजीनियर हैं ने भी स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट जारी किया है।
अजय साहनी की ओर से कहा गया है कि उक्त ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के निर्माण में सभी संबंधित शर्तों का पालन किया गया है जबकि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स फॉर स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी के नियमों का पूर्णतया पालन किया गया है। इस आर्किटेक्चर ने यहां तक कहा है कि यह ग्रुप हाउसिंग सोसायटी पूरी तरह किसी भी स्तर के भूकंप को भी झेलने में सक्षम है और सीस्मिक जोन की दृष्टि से आईएस 1893 का पूरा ख्याल रखा गया है. उन्होंने साफ-साफ लिखा है कि यह ग्रुप हाउसिंग सोसायटी पूरी तरह सुरक्षित है।
चौंकाने वाली बात यह है कि दोनों ही आर्किटेक्ट की ओर से दिए गए सर्टिफिकेट को अरविंद कुमार गुप्ता जो प्रूफ कंसलटेंट हैं ने भी पूरी तरह नियमों के अनुसार सही बताया है। उक्त आवेदन पर चिंटल इंडिया लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट के के सिंगल के हस्ताक्षर हैं।
डीटीपी एनफोर्समेंट ने अपने पत्र में कहा है कि सेक्टर 109 की उक्त ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में 10 फ़रवरी को हुआ दर्दनाक हादसा यह साबित करता है कि दोनों आर्किटेक्ट और कंसल्टेंट द्वारा जारी किए गए सर्टिफिकेट, नियमों का पालन करने वाले दावे पूरी तरह गलत हैं.
उन्होंने इसमें धोखाधड़ी की है। यह कहा गया कि इस मामले में हरियाणा शेड्यूल्ड रूल्स एंड कंट्रोल एरिया एक्ट ऑफ अनरेगुलेटेड डेवलपमेंट एक्ट नंबर 4 / 1965 और हरियाणा डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन अर्बन एरिया एक्ट नंबर 8/ 1975 के सभी नियमों का सरासर उल्लंघन किया गया है। डीटीपी इंफोर्समेंट ने पुलिस कमिश्नर से संबंधित नियम 1975 की धारा 10 और 12 साथ ही अन्य आपराधिक धाराओं में उपरोक्त सभी लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने की अनुशंसा की।
डीटीपी इंफोर्समेंट की लिखित शिकायत पर पुलिस स्टेशन बजघेरा में सभी आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर इसकी जांच के लिए एस आई टी गठित की है.
गौरतलब है कि डीसी गुरुग्राम ने इस हादसे की जांच के लिए एडीसी गुरुग्राम को अधिकृत किया था. उन्होंने मिडिया से बातचीत में यह कहा था कि उन्हें जांच कि रिपोर्ट एक सप्ताह के अंदर सौंपने को कहा गया है. अभी तक उनकी रिपोर्ट नहीं आई है जबकि डीटीपी एन्फोर्समेंट की ओर से मामला दर्ज करवाने की कार्रवाई से कई सवाल खड़े हो गए हैं.
लोग आशंका जता रहे हैं कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने अपना पल्ला झाड़ने के लिए यह मामला आनन् फानन में दर्ज करवाया है . क्योंकि गर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट के इस माले को लेकर इतने गंभीर थे तो इस बिल्डिंग में गुणवत्ता में खामी की शिकायत तो काफी पहले भी की गई थी तब कार्रवाई क्यों नहीं की गई. अब हादसा होने के बाद टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट के अधिकारियों की कार्यशैली सवालों के घेरे में हैं.
इस घटना को लेकर सरकार की भी किरकिरी हो रही है. स्थानीय सांसद और केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत उक्त स्थल का दौरा करना चाहते थे लेकिन उन्हें प्रशासन ने रोक दिया. इसको लेकर भी चर्चा जोरोना पर है. हालांकि सांसद द्वार इस सबंध में बयान जारी किया गया था लेकिन लोग इसका भी आपने तरिक्के से अर्थ लगा रहे हैं. माना जा रहा है कि सांसद के दबाव के बाद ही डीटीपी सक्रिय हुए हैं और मामला दर्ज करवा कर अपना बचाव करने में जुट गए हैं.
विचारणीय तथ्य यह है कि जब आर्किटेक्ट और कंसल्टेंट ने अपना सर्टिफिकेट जारी किया तो सम्बंधित अधिकारी ने इसकी जांच क्यों नहीं की. इसकें लिए अधिकृत जे ई, एस डी ओ , एग्जीक्यूटिव इंजिनियर और फिर डी टी पी एन्फोर्समेंट ने इसकी तहकीकात क्यों नहीं की. क्या उन्होंने आँखें मूंद कर इस ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के कागजातों पर दस्तखत किये थे ? उनकी भूमिका इस मामले में क्या रही थी ? इसको लेकर यह ऍफ़ आई आर मौन है ?
केवल आर्किटेक्ट, कंसल्टेंट और ठेकेदार को जिम्मेदार ठहरा कर उनके खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया गया है. मामले पर लीपापोती का यह सरकारी तरीका हमेशा किसी भी बड़ी घटना में अपनाया जाता है जबकि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट के उन सभी अधिकारियों की जिम्मेदारी इसमें बनती है जिन्होंने इसे अप्रूव करते हुए ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट जारी करने के लिए चंडीगढ़ स्थित मुख्यालय भेजा.
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