नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस बजट से यह साफ हो रहा है कि देश की आर्थिक स्थिति अभी भी कोविड-19 महामारी की मार से उबर नहीं पाई है। पिछले 2 वर्षों में लाखों लोग बेरोजगार हुए उनमें से कुछ के रोजगार सदा के लिए छिन गए। 60 लाख एमएसएमई इकाइयां बंद हुईं। उन्होंने बल देते हुए कहा कि पिछले 2 वर्षों में महामारी के कारण देश के 84% परिवार को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। नरेंद्र मोदी सरकार का यह बजट पूंजपतियों के लिए समर्पित है. इसके लिए पूरी भाजपा जिम्मेदार है और आने वाले समय में देश के लोग भाजपा की नीति को अच्छी तरह समझेंगे.
कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस ब्रीफिंग में श्री चिदंबरम ने कहा कि वर्ष 2019 की तुलना में देश में प्रति व्यक्ति आय में गिरावट 108645 रु से 107101 रूपये आ गई जबकि प्रति व्यक्ति खर्च में भी 62056 से 59043 रु गिरावट आई। लगभग 4.6 करोड़ लोग इस दौरान गरीबी रेखा से नीचे धकेले गए। बड़े पैमाने पर बच्चे पढ़ाई से वंचित रहे खासकर ऐसे बच्चे जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और सरकारी स्कूलों पर पढ़ाई के लिए निर्भर है शिक्षा से दूर रहे ।
उन्होंने कहा कि बच्चों में कुपोषण की समस्या बढ़ी है. भुखमरी की दृष्टि से भारत की रैंकिंग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 106 देशों में से 101 नंबर पर आ गई है। बेरोजगारी की रैंकिंग 8.2% शहरी क्षेत्र में जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 5.8% है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूपी आई इन्फ्लेशन 12 प्रतिशत जबकि सीपीआई इन्फ्लेशन 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह अकाट्य सत्य सामने हैं और यह सभी तथ्य वर्तमान वित्त मंत्री के सामने भी है।
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा लोकसभा में आज बजट पेश करने के बाद हमने यह जानने की कोशिश की कि इस बजट में लोगों के लिए क्या किया गया है. क्या वित्त मंत्री ने अपने बजट में उपरोक्त किसी विषय को एड्रेस करने की कोशिश की है इसका उत्तर नहीं में मिलता है।
उन्होंने बल देते हुए कहा कि आज लोकसभा में प्रस्तुत बजट इनमें से किसी भी क्षेत्र को एड्रेस करते नहीं दिखता है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह दावा करना कि वह आम आदमी की समस्याओं के निराकरण के लिए संवेदनशील है यह पूरी तरह असत्य है। यह लोगों की आकांक्षाओं को कुचलने जैसा है। सरकार का यह रवैया आम लोगों की समस्याओं को नजरअंदाज करने वाला है।
पी चिदंबरम ने कहा कि मैं आश्चर्यचकित और स्तब्ध हूं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने अमृत काल के नाम से अगले 25 वर्षों की योजना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार वर्तमान परिस्थितियों के संदर्भ में कुछ कदम उठाने की आवश्यकता नहीं महसूस कर रही और लोगों को अगले 25 वर्षों के अमृत काल का इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि यह केवल लोगों खासकर भारत के गरीब लोगों को भ्रमित करने वाला , उनसे मजाक करने वाला ही नहीं बल्कि लोगों की आकांक्षाओं को धूल धूसरित करने वाला है। उन्होंने कहा कि बजट स्पीच में कोई ऐसा प्रावधान नहीं किया गया जिससे कि पिछले 2 वर्षों में कठिनाई में चले गए बड़े पैमाने पर लोगों को सीधे कैस की मदद मिले। उन्होंने कहा कि बजट में एक शब्द भी उन लोगों के लिए नहीं कहा गया जिन्होंने अपने रोजगार खोये और लाखों बच्चे जो शिक्षा से वंचित रहे। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने अपने बजट में न ही रोजगार मुहैया कराने के संबंध में और ना ही एमएसएमई सेक्टर को पुनर्जीवित करने के लिए एक शब्द कहा।
उन्होंने कहा कि लोगों को निशुल्क भोजन देने संबंधी बातें भी नहीं की गई जबकि अप्रत्यक्ष कर में कटौती का भी कोई प्रावधान नहीं किया गया। यहां तक कि जीएसटी में भी किसी प्रकार की कटौती से गुरेज किया गया जिससे कि महंगाई पर काबू किया जा सकता। इस बजट में मध्यमवर्गीय को भी किसी भी प्रकार की टैक्स राहत देने की बात नहीं की गई। उन्होंने कहा कि सभी पहलुओं से देखने से यह स्पष्ट है कि यह पूंजीपतियों के लिए केंद्रित बजट है।
उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि उनके बजट भाषण में लगातार डिजिटल ,पोर्टल, आईटी बेस्ड, पेपरलेस, डेटाबेस, इकोसिस्टम, ग्लोबल और आत्मनिर्भर का अधिकतम उपयोग किया गया है जबकि गरीब शब्द का उपयोग केवल दो बार किया गया है. यह विचारणीय तथ्य है। उन्होंने कहा कि गरीब को याद करने के लिए मैं वित्त मंत्री का धन्यवाद करता हूं।
उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था नरेंद्र मोदी सरकार के अनुसार अभी 2019-20 के काल में है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति 12% को पार कर गई जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक भी 6% को पार कर गई इसलिए इस बजट का सार है कुछ नहीं।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से बजट पेश किया यह सरकार के जिद्दीपन, उनकी कठोरता और उनकी निर्दयता का सूचक है . देश के गरीब के प्रति, देश के नौकरी पेशा व्यक्ति के प्रति, देश के मध्यम वर्ग के प्रति, देश के किसान के प्रति, देश के अनुसूचित जाति और जनजातियों के लोगों के प्रति और ग्रामीण अंचल में रहने वाले शहरों में रहने वाले साधारण मजदूर के प्रति यह क्रूर मजाक इस देश के लोगों के साथ है.
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि गरीब की मदद के लिए एक शब्द बजट में नहीं है. रोजगार सृजन के लिए बजट में एक शब्द नहीं है. महंगाई पर नियंत्रण के लिए बजट में एक शब्द नहीं है .गरीब तक पैसा पहुंचाने के लिए बजट में एक शब्द नहीं है. बजट में किसी वर्ग को टैक्स रिलीफ देने के लिए एक शब्द नहीं है. लोक कल्याण को जैसे रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया.
उन्होंने कहा कि हर प्रकार की राहत और मदद यानी सब्सिडी में कटौती की गई . पेट्रोल, पेट्रोलियम प्रोडक्ट की जो आज सबसे ज्यादा महंगाई का कारण है पिछले साल के बनिस्बत 704 करोड रुपया कटौती हुई, किसान की खाद में सब्सिडी में 35 हजार करोड़ की कटौती हुई, गरीब को मिलने वाले राशन की दुकान पर भोजन में 80 हजार करोड़ की कटौती हुई , किसान की क्रॉप इंश्योरेंस में 500 करोड़ की कटौती हुई, यहां तक कि मजदूर की नरेगा स्कीम के अंदर भी 25 हजार करोड़ रूपया काट लिया गया.
उन्होंने काह कि 27% इस देश में गरीब और मध्यम वर्ग को मिलने वाली राहत में कटौती की गई जो अपने आप में एक निर्दय पूर्ण निर्णय है. शायद पूंजीवादी और पूंजीपति जो इस सरकार के मित्र हैं वह तो माफ कर दे पर इस देश का गरीब और मध्यम वर्ग भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार को कभी माफ नहीं करेगा . बजाय इसके कि गरीबों को राहत दी जाए, बजाय इसके कि हम बहुत अमीर 142 लोग जो हैं जिनकी पूंजी 23 लाख 14 हजार करोड़ से बढ़कर लाख 16 हजार करोड़ हो गई. उनसे अपने सांझा करने के लिए कहा जाए यह सरकार ने एक पूंजीवादी बजट दिया.