जिला में पिछले 4 महीनों में 2050 बच्चों ने तोड़ा कुपोषण का चक्र : विश्राम कुमार मीणा, एडीसी, गुरुग्राम

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  • जिला में कुपोषण के प्रति जागरुकता लाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने लगाए जागरूकता व जांच शिविर

  • गुरुग्राम, 14 जनवरी। महिला एवं बाल विकास विभाग गुरूग्राम द्वारा अति कुपोषित बच्चों के लिए लगाए गए निःशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविरों व जागरूकता अभियान के सुखद परिणाम अब सामने आ रहे हैं। विभाग के अथक प्रयासों से पिछले 4 महीनों में 2050 अभिभावक अपने बच्चों को अति कुपोषण की श्रेणी से बाहर लाने में सफल हुए हैं।

अतिरिक्त जिला उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने जिला के
महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि विभाग ने नियमित जांच अभियान के तहत अगस्त माह में जिला में ऐसे 2471 बच्चों की पहचान की थी जो अति कुपोषण के शिकार थे। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा उपरोक्त बच्चों के कुपोषण के कारणो को जानकार उन्हें दूर करने और कुपोषित बच्चो को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए विभाग ने आवश्यक प्रबंध किए। जिसमें अभिभावकों को पोषित आहार, आवश्यक दवाईयां इसके अलावा स्वच्छता संबंधी बिन्दुओं पर जागरूक किया गया। साथ ही विशेष अभियान के तहत सभी कुपोषित बच्चों में वजन की बढ़ोतरी के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों में मिलने वाले पौष्टिक आहार के अलावा अतिरिक्त पौष्टिक आहार जिसमें दाल का मिक्सचर, अंडे, केला व पौष्टिक लड्डू उपलब्ध कराए गए थे।
श्री मीणा ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग की सफल रणनीति के माध्यम से सितंबर माह में 817, नवंबर माह में 548 व दिसंबर माह में 685 बच्चों का कुपोषण चक्र तोड़ने में सफलता प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि समुचित जानकारी के अभाव में अभिभावक गर्भवती महिलाओं व बच्चों को पोषक तत्व से परिपूर्ण भोजन नहीं दे पाते हैं। इससे नवजात बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। हालांकि हमारे आस-पास काफी पोषक तत्व से युक्त खाद्य सामग्री आसानी से उपलब्ध हैं। ऐसे में समुचित जानकारी के साथ लोगों को कुपोषण चक्र को तोड़ना चाहिए। यदि बच्चों को सही पोषण नहीं मिलेगा तो निश्चित तौर पर ही उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकुल प्रभाव पडे़गा।

श्री मीणा ने कहा कि बच्चों को उनकी आयु के अनुसार डाइट दी जानी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया के तहत जिला में सेम व मेम बच्चों की पहचान की जाती है। इसके उपरांत इन बच्चों की निरंतर मोनिटरिंग के तहत उन बच्चों पर विशेष जोर दिया जाता है जो अभिभावकों के पास सही जानकारी के अभाव में कुपोषण का शिकार हो जाते है। उन्होंने बताया कि विभाग अपने विभिन्न प्रयासों से यह सुनिश्चित करता है कि कैसे एक माह के पहले ही सामान्य श्रेणी के मापदण्डो के अनुरूप कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य में वृद्धि की जाए। उन्होंने कहा कि बच्चे के जन्म से लेकर पहले 1 हजार दिन स्वास्थ्य के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए जरूरी है कि बच्चों के स्वास्थ्य का उनके जन्म से ही विशेष ध्यान दिया जाए।

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