औद्योगिक इकाइयों में ‘दोहरी प्रशिक्षण प्रणाली’ के बेहतर क्रियान्वयन के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

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 -आईटीआई संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने पर बल 
– प्रोडक्टिव लेबर के लिए आईटीआई संस्थानों में अपनी प्रशिक्षण लैब स्थापित करें औधोगिक प्रतिष्ठान: राजेश अग्रवाल, सचिव, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय, भारत सरकार
– मौजूदा वर्ष में 185 इंडस्ट्रीज में 4500 विद्यार्थियों को मिला दोहरी प्रशिक्षण प्रणाली का लाभ

आईटीआईगुरुग्राम,04 जनवरी। भारत सरकार के कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि (आईटीआई) औद्योगिक इकाइयों को कौशलयुक्त कर्मचारियों की प्राप्ति के लिए आईटीआई संस्थानों में अपनी प्रशिक्षण लैब स्थापित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई औद्योगिक संस्थान ऐसा करता है तो कोर्स पूरा होने के पहले दिन से ही उस संस्थान को ‘जॉब रेडी’ कर्मचारी मिलना तय है।

वे आज गुरुग्राम के लोक निर्माण विश्राम गृह में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित दोहरी शिक्षा प्रणाली पर ‘किक ऑफ वर्कशॉप’ में बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में गुरुग्राम मंडल की विभिन्न आईटीआई के प्राचार्य व औद्योगिक प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

श्री अग्रवाल ने कहा कि आईटीआई संस्थानों में पढ़ाई के दौरान थ्योरी के साथ साथ प्रैक्टिकल नॉलेज का होना जरूरी है, लेकिन इसके लिए संस्थानों में स्थापित प्रैक्टिकल लैबों में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संस्थानों में स्थापित मौजूदा लैबों से विद्यार्थी प्रैक्टिकल नॉलेज तो ले सकता है लेकिन वह औधोगिक इकाइयों की माँग के अनुरूप दक्ष हो , इसके लिए औधोगिक इकाइयों को आगे आकर आईटीआई संस्थानों में अपनी प्रैक्टिकल लैब स्थापित करनी चाहिए।

श्री अग्रवाल ने कार्यशाला में कहा कि हमने दोहरी शिक्षा प्रणाली से जुड़े पोर्टल, प्रोसेस व गाइडलाइंस का सरलीकरण किया है, ताकि उद्योगों को प्रयोगशाला आदि स्थापित करने या नए कोर्स शुरू करने में कठिनाई ना हो। सरकार का ध्येय यही है कि फ़्रेश, आईटीआई पास विद्यार्थियों , स्नातकों आदि युवाओं को रोज़गार मिले । उन्होंने कहा कि उद्यमी हमारी आईटीआई में लैब बनाए, अच्छे प्रशिक्षण के लिए ट्रेंड टीचर लगायें।

इसी के लिए हमने इंडस्ट्री फ़्रेंड्ली और स्टूडेंट फ़्रेंड्ली निर्णय लिए हैं। अब एक अप्रैल से हम स्पेशल प्रोजेक्ट लेकर आ रहे हैं, जिसमें सभी स्टेकहोल्डर्स का योगदान हो। उन्होंने कहा कि ‘ स्किल सेक्टर हैज़ टू बी ओफ़ द इंडस्ट्री , फ़ॉर द इंडस्ट्री एंड बाई द इंडस्ट्री’ अर्थात् स्किल सेक्टर उद्योग का , उद्योग के लिए और उद्योग द्वारा हो।

आईटी इंडस्ट्री में अप्रेंटिसशिप में कमी के विषय पर उन्होंने कहा कि हमें इस क्षेत्र में संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली एनसीआर में ड्रोन का प्रयोग तथा बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का क्षेत्र भी काफी विकसित है जिसमें स्किल्ड मैनपावर की बढ़ी संख्या में जरूरत होती है। उन्होंने आईटीआई के अधिकारियों से इस क्षेत्र में दिख रही संभावनाओं पर भी गौर करने को कहा।

श्री अग्रवाल ने कहा कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए आईटीआई संस्थानों में शॉर्ट टर्म कोर्सेज चलाने की भी आवश्यकता है। आईटीआई में मिलने वाली शिक्षा की गुणवत्ता में अगर सुधार होगा तो बच्चों की संख्या भी स्वतः बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि आईटीआई प्रिंसिपल किसी भी इंडस्ट्री के साथ एमओयू साइन करने से पूर्व उस इंडस्ट्री की कार्यक्षमता व संस्थान से दूरी अवश्य चेक करें ताकि विद्यार्थी के मनोबल में किसी प्रकार की कमी ना आए।

कार्यशाला में हरियाणा कौशल प्रशिक्षण और औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के सहायक निदेशक मनोज सैनी ने पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से दोहरी प्रशिक्षण प्रणाली अपनाने की वजह और इसके लाभ गिनाते हुए बताया कि इस प्रणाली के तहत औद्योगिक इकाइयों को कौशल युक्त कर्मचारी मिलने में सहायता मिलने के साथ ही उन्हें नए कर्मचारियों की ट्रेनिंग पर होने वाले ख़र्चों से भी राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि सभी औधोगिक प्रतिष्ठान उनके यहाँ अप्रेन्टिस के लिए आये विद्यार्थियों को कर्मचारियों की तरह ट्रीट ना करें।

वह आपके यहाँ प्रशिक्षु है अगर आप उसको कर्मचारी ना मानकर एक ट्रेनी के तौर पर सिखाने पर जोर देंगे तो वे भविष्य में आपके उद्योग के मजबूत अससेस्ट्स बनेंगे। इस दौरान उन्होंने मौजूदा वित्त वर्ष की दोहरी प्रशिक्षण प्रणाली की उपलब्धियां बताते हुए कहा कि हरियाणा में इस वर्ष 21 जिलों में 34 ट्रेडों के तहत 67 आईटीआई से 185 इंडस्ट्रीज में 4500 आईटीआई विद्यार्थियों को ट्रेनिंग का लाभ मिला है।

कार्यशाला के अंत में औधोगिक प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधियों से भी दोहरी प्रशिक्षण प्रणाली में सुधारों के लिए सुझाव मांगे गए जिसमें मानेसर स्थित डेनसो हरियाणा प्राइवेट लिमिटेड से आए एडमिनिस्ट्रेशन डिवीजन के वाइस प्रेसिडेंट पुष्पेंद्र दहिया ने कहा कि हमें आईटीआई संस्थानों में पढ़ाये जा रहे कोर्सिस में औधोगिक इकाइयों की मौजूदा मांग अनुसार बदलाव करना होगा। वहीं मारुति सुजुकी मोटर्स से आये कल्याण व रतन सिंह ने कहा कि दोहरी प्रशिक्षण प्रणाली एक बेहतर प्रकिया है जिसके तहत आपको कम समय मे कौशलयुक्त कर्मचारी मिल जाते है। इसमें समय समय पर इंडस्ट्रीज की मांग अनुरूप बदलाव की भी आवश्यकता है।

कार्यशाला में रेवाड़ी से आये रेवाड़ी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रेसिडेंट एसएन शर्मा व महासचिव अनुराधा ने कहा बेशक दोहरी प्रशिक्षण प्रणाली सरकार द्वारा उठाया गया एक बेहतर कदम है लेकिन इसके साथ ही सभी आईटीआई संस्थानों को अप्रेंटिसशिप के लिए औद्योगिक इकाइयों में गए विद्यार्थियों की मॉनिटरिंग कराना भी आवश्यक है।

इस अवसर पर गुरुग्राम के मंडलायुक्त राजीव रंजन, जिला उपायुक्त डॉ यश गर्ग, गुरुग्राम आईटीआई के प्राचार्य जयदीप कादयान सहित विभिन्न आईटीआई व औद्योगिक प्रतिष्ठानों के पदाधिकारी प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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