राष्ट्रीय खाद्य तेल ऑयल पाम मिशन पर हैदराबाद में आयोजित व्यापार सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री तोमर ने कहा खाद्य तेलों के क्षेत्र में भारत को ‘आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य
किसानों द्वारा उत्पादित ताज़ा फलों की खरीद, प्रसंस्करण कंपनियों द्वारा पारदर्शी और सरल ढंग से की जाएगी: श्री तोमर
पाम ऑयल
नई दिल्ली: (पाम ऑयल) केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राष्ट्रीय खाद्य तेल ऑयल पाम मिशन पर हैदराबाद में पूर्वोत्तर राज्यों के अतिरिक्त बाकी राज्यों के लिए आयोजित व्यापार सम्मेलन का उद्घाटन किया। खाद्य तेलों पर नई शुरू की गई केंद्र प्रायोजित योजना के बारे में जानकारी के व्यापक प्रसार के उद्देश्य से, सरकार देश भर में व्यापार शिखर सम्मेलन आयोजित कर रही है। यह मिशन का दूसरा ऐसा शिखर सम्मेलन है, पहला सम्मेलन इस वर्ष अक्टूबर की शुरुआत में पूर्वोत्तर राज्यों के लिए गुवाहाटी में आयोजित किया गया था।
व्यापार सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सभी राज्य सरकारों को आश्वासन दिया कि राष्ट्रीय खाद्य तेल ऑयल पाम मिशन के सफल कार्यान्वयन के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं होगी।
श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार पाम ऑयल के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है। “वर्तमान में लगभग 3 लाख हेक्टेयर भूमि में ताड़ की खेती की जाती है, जबकि अध्ययनों से पता चला है कि देश में लगभग 28 लाख हेक्टेयर भूमि ताड़ की खेती के लिए उपयुक्त हैं। श्री तोमर ने कहा कि भारत को खाद्य तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए 28 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती करना हमारा मिशन है।
पाम ऑयल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए तेलंगाना सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए, श्री तोमर ने कहा कि वह तेलंगाना को इस क्षेत्र में एक उभरते हुए नेतृत्वकर्ता राज्य के रूप में देखते हैं। राज्य में प्राकृतिक खेती के दायरे के बारे में बात करते हुए उन्होंने राज्य सरकार से उत्पादन में बाधा डाले बिना उत्पादन लागत को कम करने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाने और बढ़ावा देने का आह्वान किया।
श्री तोमर ने राष्ट्रीय खाद्य तेल ऑयल पाम मिशन के अंतर्गत पहले व्यापार सम्मेलन के बाद से अब तक हुई प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्त की। केंद्र ने व्यवहार्यता अंतर भुगतान के लिए नौ राज्य सरकारों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, मिशन के नए प्रावधानों को शामिल करते हुए 11 राज्यों की संशोधित वार्षिक कार्य योजनाओं को अंतिम रूप दिया है और फसल विविधीकरण कार्यक्रम के उप-विषय के रूप में अरुणाचल प्रदेश में ऑयल पाम पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया है।
106.90 करोड़ रुपये मूल्य के 11 राज्यों के एएपी को 6563 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तार के लिए मंजूरी दी गई थी, जिसमें मौजूदा और नए ताड़ के बागों के 25197 हेक्टेयर में 3058 हेक्टेयर रखरखाव और इंटरक्रॉपिंग तथा 1569 हेक्टेयर ताड़ के बागों में ड्रिप सिंचाई सुविधा शामिल है। मिशन की सब्सिडी से पूर्वोत्तर राज्यों में 4 प्रसंस्करण मिलें स्थापित की जाएंगी। इसके अलावा, अंकुरित बीज और पौध की उपलब्धता बढ़ाने के लिए 3 बीज उद्यान तथा 39 नर्सरी बनाई जाएंगी।
गुणवत्तापूर्ण जैविक खाद के उत्पादन के लिए वर्मीकम्पोस्ट शेड (360) और उद्यान उपकरण किराए पर लेने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर (18) को भी वर्तमान वर्ष में चालू किया जाएगा। इसके अलावा ताड़ की नर्सरी का निर्यात करने वाले देशों के भारतीय राजदूतों के साथ एक बैठक आयोजित की गई ताकि इसकी नर्सरी की बड़े पैमाने पर निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने कहा कि वर्तमान में हमें खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है। इसका समाधान निकालने के लिए आज का व्यापार सम्मेलन अहम साबित होगा। मिशन में विश्वास व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के शोध, किसानों की मेहनत और सरकार के सहयोग से यह मिशन अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगा और भारत को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों का उत्पादन, लाभकारी मूल्य और तिलहन फसलों की सुनिश्चित खरीद सरकार द्वारा की जा रही है।
तेलंगाना के कृषि और संबद्ध कार्य मंत्री श्री एस. निरंजन रेड्डी ने राज्य सरकार द्वारा राज्य में ताड़ के बागानों को बढ़ावा देने और किसानों को तेल पाम के एफएफबी (ताजा फलों के गुच्छा) के लिए ऊंची कीमतें प्रदान करने के लिए तेलंगाना सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया। पाम ऑयल को बढ़ावा देने के लिए तेलंगाना राज्य ने महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। केरल सरकार के कृषि मंत्री श्री पी. प्रसाद ने बताया कि केरल सरकार भी राज्य में पाम ऑयल को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है।
इस अवसर पर किसान उत्पादक संघों (एफ पी ओ) को पंजीकरण प्रमाण पत्र वितरित करने का भी कार्य किया गया।
इससे पहले कृषि सचिव श्री संजय अग्रवाल ने सरकार के विजन को रेखांकित करते हुए शिखर सम्मेलन के उद्देश्य को उपस्थित लोगों के समक्ष रखा। किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं और राज्य सरकारों के सामने आने वाले मुद्दों के समाधान को ध्यान में रखते हुए इस मिशन की योजना बहुत सावधानी पूर्वक तैयार की गई है। विशेष जोर किसानों को रोपाई से जुड़ी सामग्री की आपूर्ति, प्रोसेसर द्वारा समय पर खरीद और एफएफबी (ताजा फलों के गुच्छा) के लिए लाभकारी मूल्य की व्यवस्था करने पर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि पाम ऑयल उत्पादन क्षमता वाले भू-क्षेत्र का पता लगाने में भूमि की इसके अनुकूल गुणवत्ता और जलवायु परिस्थितियों को आधार को केंद्र में रखा गया है। यह क्षेत्र पर्यावरण के किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के बिना ताड़ की अधिक पैदावार पैदा करने में सक्षम हैं। ताड़ के तेल के साथ अन्य फसलों की इंटरक्रॉपिंग से मिट्टी और पानी का संरक्षण होगा जिससे कार्बन के उत्सर्जन में कमी आएगी और जलवायु परिवर्तन पर इसके दुष्प्रभावों को भी कम करने में मदद मिलेगी।
तेलंगाना के मुख्य सचिव, श्री सोमेश कुमार ने आशा व्यक्त की कि राज्य अगले 3-4 वर्षों में देश में सबसे बड़े तेल-ताड़ उत्पादक क्षेत्र के रूप में उभरेगा। उन्होंने इस संबंध में राज्य की पहल को रेखांकित करते हुए कहा कि तेलंगाना ने 26 जिलों को पाम तेल की खेती के लिए अधिसूचित किया है और राज्य में 11 तेल प्रसंस्करणकर्ता काम कर रहे हैं। वर्ष 2022-23 के लिए 5 लाख हेक्टेयर में पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है। 324 लाख अंकुरित बीज के लिए मांग पत्र दिया गया है और नर्सरी के लिए 1045 हेक्टेयर भूमि खरीदी गई है तथा 23 नर्सरी स्थापित की गई हैं।
इस व्यापार शिखर सम्मेलन में श्रीमती शुभा ठाकुर, संयुक्त सचिव, कृषि मंत्रालय, अन्य राज्यों के प्रधान सचिव, राज्य सरकारों के अधिकारी, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार, नीति आयोग, आईसीएआर संस्थानों, विदेश मंत्रालय, विभिन्न विश्वविद्यालयों के उप-कुलपति, एसबीआई, नाबार्ड के अधिकारी, नेफेड, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईए), तेल पाम उद्योग के प्रमुख प्रोसेसर, प्रगतिशील किसानों और कृषि-व्यापार के क्षेत्र के संभावित निवेशकों ने भाग लिया।
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