‘महिला शिक्षिका दिवस’ घोषित हो सावित्री बाई फुले का जन्मदिन

Font Size

ऑल इंडिया सैनी सेवा समाज ने डीसी को सौंपा पीएम के नाम ज्ञापन

प्रथम महिला शिक्षिका मानी गई हैं सावित्री बाई फुले

गुरुग्राम। नारी मुक्ति आंदोलन की अगुआ और प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले का मंगलवार को जन्मदिवस धूमधाम से मनाया गया। महिलाओं को समाज में अहम स्थान दिलाने के साथ-साथ शिक्षा की अलख जगाने वाली सावित्री बाई फुले के जन्मदिवस को महिला शिक्षिका दिवस घोषित करने की मांग भी उठी। इसी मांग को लेकर डीसी के नाम से नगराधीश को प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी प्रेषित किया गया। संस्था की ओर से गुगल इंडिया का धन्यवाद किया गया। गूगल ने अपने डूडल पर आज सावित्री बाई फुले की पेंटिंग प्रदर्शित की है।
ऑल इंडिया सैनी सेवा समाज संस्था की गुरुग्राम शाखा की महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष नीलम सैनी, ओमप्रकाश, बुधराम सैनी, जिला महासचिव हितेश सैनी, जिला युवा महासचिव गगनदीप सैनी, मुकेश, राधेश्याम, नानक चंद, लक्ष्मी ताई ओर से दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि 19वीं सदी तक नारी केवल एक भोग की वस्तु थी।

 

नारी महागुलाम बनकर सामाजिक व्यवस्था की चक्की में पिसती रही। अज्ञानता के अंधकार, कर्मकांड, वर्णभेद, जातिवाद, बाल विवाह, विधवा विवाह न होना, मुंडन एवं सती प्रथा आदि कुप्रथाओं में नारी जाति जकड़ी हुई थी। उस समय नारी को विद्या ग्रहण कराने का अधिकार नहीं था। प्रचलित धारणा के अनुसार अगर नारी को शिक्षा मिल जाएगी तो वह कुमार्ग पर चलेगी। जिससे घर का सुख-चैन सब नष्ट हो जाएगा।

 

उसी समय महात्मा ज्योतिराव फुले ने समाज में फैली रूढि़वादी और गैर मानवतावादी परंपराओं से लड़ते हुए कन्या विद्यालय खोले और नारी शक्ति को शिक्षित करने के लिए पहले प्रयास में अपनी धर्मपत्नी सावित्री बाई फुले पढ़ाया। उसके बाद सावित्री बाई की मदद से स्त्री शिक्षा का सूत्रपात हुआ। वही सावित्री बाई फुले ने पहली भारतीय महिला अध्यापिका बनने का गौरव हासिल किया। ज्ञापन में कहा गया है कि भारतीय नारी की शिक्षा एवं चेतना को एक दिशा देने एवं जागरुकता पैदा करने में पहला और बुनियादी काम उनका ही था। अगर आज संपूर्ण भारतवर्ष में महिला सशक्तिकरण, नारी शिक्षा एवं नारी सम्मान की बात हो रही है तो उसका सारा श्रेय सावित्री बाई फुले व उनकी कड़ी मेहनत को जाता है।

 

उनका स्त्री हक, नारी शिक्षा एवं मानवतावाद के लिए विषय एवं विपरीत परिस्थितियों में दिया गया योगदान आने वाली पीढिय़ां सदा याद रखेंगी। हर महिला उनके इस योगदान को अपने जहन में संभाले। साथ ही सरकार सावित्री बाई फुले के जन्मदिवस तीन जनवरी को महिला शिक्षिका दिवस घोषित करे। यह महिलाओं को आगे बढऩे में प्रेरणादायी होगा।
————————————————–

You cannot copy content of this page