प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएनओ से पकिस्तान व चीन को सख्त लहजे में ललकारा

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यूएनओ

यूएनओन्यूयॉर्क/ नई दिल्ली  :  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संयुक्त राष्ट्र संघ के 76वें महा अधिवेशन को संबोधित करते हुए एक तरफ  विश्व समुदाय को प्रजातंत्र पर चलने कि सीख दी तो दूसरी तरफ आतंकवाद और विस्अतारवाद को बढ़ावा एने वाले पकिस्तान व चीन को नाम लिए बिना ही  सख्त लहजे में ललकाड़ा.

उन्होंने कहा कि आतंकवाद को अपने राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने वाले देश को यह समझना होगा कि यह उनके लिए भी बड़ा खतरा बनेगा.  अफगानिस्तान की नाजुक स्थितियों का कोई देश अपने स्वार्थ के लिए एक टूल की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश ना करें. उन्होंने समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए विश्व को एक भाषा में बोलने का आह्वान किया.

आज विश्व के सामने प्रतिगामी सोच और अतिवाद को बढ़ावा देने की कोशिश हो रही है. देश के जिम्मेदार देशों को इसका इलाज सुनिश्चित करना ही होगा अन्यथा आने वाली पीढ़ी उनसे सवाल करेगी कि जब निर्णय लेने का समय था तब वे क्या कर रहे थे. बेहद सख्त लेकिन सधे हुए अंदाज में प्रधानमंत्री ने विश्व मंच पर भारत की लोकतांत्रिक मूल्यों की दुहाई देते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़ा किया और अंतर्राष्ट्रीय संस्था को प्रसांगिक बनाये रखने के लिए सक्रिय भूमिका अदा करने की नसीहत भी दी.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से पूरा विश्व 100 साल में आई महामारी का सामना कर रहा है .मैं उस देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं जिसे मदर ऑफ डेमोक्रेसी होने का गौरव प्राप्त है. हमारे सशक्त लोकतंत्र की पहचान है, एक ऐसा देश जिसमे दर्जनों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अलग-अलग रहन-सहन ,खान-पान है, यह वाइब्रेंट डेमोक्रेसी का बेहतरीन उदाहरण है.

उन्होंने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि एक छोटा बच्चा जो रेलवे स्टेशन पर अपने पिताजी की टी स्टॉल पर मदद करता था वह चौथी बार भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर इस प्लेटफार्म से दुनिया को संबोधित कर रहा है. सबसे लंबे समय तक गुजरात का मुख्यमंत्री रहा और दूसरी बार देश का प्रधानमंत्री चुना गया.

उन्होंने कहा कि देशवासियों की सेवा करते हुए 20 साल हो रहे हैं और मैं अपने अनुभव से कह रहा हूं हां प्रजातंत्र डिलीवर कर सकती है, हां डेमोक्रेसी ने डिलीवर किया है.

उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म जयंती है और उनका चिंतन अंत्योदय को समर्पित है. अंत्योदय भारत की परिभाषा में जहां कोई भी वंचित नहीं रह सकता कहा जाता है. विकास समावेशी हो यही हमारी प्राथमिकता है. पिछले 7 वर्षों में भारत में 43 करोड़ से ज्यादा लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया जो इससे वंचित थे.

आज 36 करोड़ से अधिक ऐसे लोगों को बीमा सुरक्षा मिला है. पहले इस बारे में सोच भी नहीं सकते थे.  50 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा देकर भारत ने उन्हें क्वालिटी हेल्थ सर्विस से जोड़ा है. तीन करोड़ घर बना कर ऐसे परिवारों को मकान दिया है जो इससे वंचित थे. भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में गरीब और विकासशील देशों में बड़े पैमाने पर ऐसे लोग हैं जो बेघर हैं.

उन्होंने कहा कि हम 17 करोड़ से अधिक घरों में पाइप से स्वच्छ पीने का पानी पहुंचाने की योजना चला रहे हैं. सभी देश के विकास के लिए वहां के नागरिकों के पास जमीन और घर के प्रॉपर्टी राइट्स का रिकॉर्ड होना बहुत जरूरी है .दुनिया के बड़े-बड़े देशों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनके पास जमीन और घरों के प्रॉपर्टी राइट्स नहीं हैं.

आज हम भारत के 6 लाख से अधिक गांव में ड्रोन से मैपिंग करा कर करोड़ों लोगों को उनके घर और जमीन का डिजिटल रिकॉर्ड देने में जुटे हैं.  इससे प्रॉपर्टी पर विवाद कम करने के साथ ही एक्सेस टू क्रेडिट, बैंक लोन तक लोगों की पहुंच बढ़ा रही है.

 

उन्होंने कहा कि आज विश्व का हर चौथा व्यक्ति भारतीय है. जब भारतीयों की प्रगति होती है तो विश्व के विकास को भी गति मिलती है. जब भारत में सुधार होता है तो विश्व में सुधार होता है. भारत में साइंस और टेक्नोलॉजी आधारित इनोवेशन विश्व की बहुत मदद कर सकते हैं. हमारे टैक्स सलूशन का स्टेट और उसके कम लागत यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस  से मदद मिल सकती है.  आज भारत में हर महीने 350 करोड़ से ज्यादा डिजिटल ट्रांजैक्शन हो रहे हैं . सेवा परमो धर्मः को जीने वाला भारत सीमित संसाधनों के बावजूद भी कंसिस्टेंट डेवलपमेंट में जुटा है.

प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि भारत ने दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन विकसित कर ली है जिसे 12 साल की आयु से ज्यादा के सभी व्यक्तियों को लगाया जाएगा और एम आर एन ए वैक्सीन अपने डेवलपमेंट की आखिरी चरण में है. भारत के वैज्ञानिक कोरोना कि एक निर्जल वैक्सीन के निर्माण में भी जुटे हुए हैं. मानवता के प्रति अपने दायित्व को समझते हुए भारत ने एक बार फिर दुनिया के जरूरतमंदों को वैक्सीन देनी शुरू कर दी है .

पीएम मोदी ने दुनिया भर के वैक्सीन मैन्युफैक्चरस को भी भारत में आकार वैक्सीन उत्पादन के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने कहा कि आज हम सब जानते हैं मानव जीवन में टेक्नोलॉजी का कितना महत्व है लेकिन बदलते विश्व में टेक्नोलॉजी एंड इट्स डेमोक्रेटिक वैल्यूज को सुनिश्चित करना भी आवश्यक है. भारत के इन्नोवेटरस, इंजीनियर, मैनेजर किसी भी देश में रहे हमारे नैतिक मूल्य मानवता की सेवा करने की प्रेरणा देते रहते हैं.

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने विश्व को यह भी सबक दिया है वैश्विक अर्थव्यवस्था का अब और अधिक विविधीकरण किया जाए. इससे ग्लोबल वैल्यू एक्सचेंज का विस्तार आवश्यक है. हमारा आत्मनिर्भर भारत अभियान इसी भावना से प्रेरित है. भारत विश्व का एक लोकतांत्रिक और भरोसेमंद पार्टनर बन रहा है और इस अभियान में इकोनामी और इकोलॉजी दोनों में बेहतर संतुलन स्थापित किया है.

पीएम मोदी ने यूएन जेनेरल असेम्बली को संबोधित करते हुए कहा कि बड़े और विकसित देशों की तुलना में भारत के प्रयासों को देखकर आप सभी को निश्चित ही गर्व होगा. आज भारत बहुत तेजी के साथ 450 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा के उत्पादन की ओर बढ़ रहा है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाने के अभियान में जुटा हुआ है.

 

उन्होंने यूएन सहित समूचे विश्व समुदाय को आगाह करते हुए कहा कि हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों को जवाब देना है कि जब निर्णय लेने का समय आया तब जिन पर विश्व को दिशा देने का दायित्व था वह क्या कर रहे थे ? आज विश्व के सामने रिग्रेसिव थिंकिंग और एक्सट्रीमिज्म का खतरा बढ़ता जा रहा है.

इन परिस्थितियों में पूरे विश्व को प्रोग्रेसिव थिंकिंग को विकास का आधार बनाना ही होगा. साइंस बेस्ड अप्रोच को मजबूत करने के लिए भारत एक्सपीरियंस बेस्ड एजुकेशन को बढ़ावा दे रहा है. मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम विकसित किया गया है . भारत 75 ऐसे सेटेलाइट को प्लेनेट में भेजने वाला है जो भारतीय विद्यार्थी स्कूल कॉलेजों में बना रहा है।

 

उन्होंने चेतावनी के लहजे में कहा कि जो देश आतंकवाद का पॉलिटिकल टूल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें यह समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिए भी कितना बड़ा खतरा है. यह सुनिश्चित किया जाना बहुत जरूरी है अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने और आतंकी हमलों के लिए ना हो.

प्रधानमन्त्री मोदी ने पाकिस्तान और चीन  का नाम लिए बिना कहा कि हमें इस बात के लिए भी सतर्क रहना होगा वहां की नाजुक स्थितियों का कोई देश अपने स्वार्थ के लिए एक टूल की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश ना करें. इस समय अफगानिस्तान की जनता को, वहां की महिलाओं और बच्चों को, वहां की माइनॉरिटी को मदद की जरूरत है. इसमें हमें अपना दायित्व निभाना ही होगा.

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे समंदर भी हमारी साझी विरासत हैं. इसलिए हमें यह ध्यान रखना होगा ओसियन रिसोर्सेज को हम यूज करें एब्यूज नहीं. हमारे समंदर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की लाइफ लाइन भी है. इसलिए हमें इसे एक्सपेंशन और एक्सप्लोजन के दौड़ से बचा कर रखना होगा. इसे सशक्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक सुर में आवाज उठानी ही होगी. सुरक्षा परिषद में भारत की प्रेसिडेंसी के दौरान विश्व को मैरिटाइम सिक्योरिटी के विषय में आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती है.

 

उन्होंने कहा कि भारत के महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले कहा था कि “ जब सही समय पर सही कार्य नहीं किया जाता तो समय ही उस कार्य की सफलता को समाप्त कर देता है”. संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक बनाए रखना है तो उसे अपने प्रभावी पन को सुधारना होगा. उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यूएन पर आज कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. इस सवाल को हमने क्लाइमेट क्राइसिस में देखा है. कोरोना कि ओरोजिन के मामले में देखा है.

दुनिया के कई हिस्सों में चल रहे प्रॉक्सी वार, आतंकवाद, अफगानिस्तान के संकट ने इन सवालों को और गहरा कर दिया है.  कोविड-19 ओरिजिन को लेकर और इज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर यूएन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा किया है. ग्लोबल आर्डर, ग्लोबल लॉ और ग्लोबल वैल्यू के संरक्षण के लिए निरंतर सुधार करने कि जरूरत है.

प्रधान मंत्री ने अपने भाषण का अंत नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के शब्दों से किया और कहा की रविन्द्र नाथ टैगौर ने कहा है कि अपने शुभ कर्म पथ पर निर्भीक होकर आगे बढ़ो सभी शंकाएं समाप्त हो जाएंगी. यह संदेश आज के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के लिए उतना ही प्रासंगिक है जितना कि दुनिया के हर जिम्मेदार देश के लिए भी उतना ही प्रासंगिक है. मुझे विश्वास है हम सब का प्रयास विश्व में शांति और सौहार्द बढ़ाएगा और विश्व को स्वस्थ, सुरक्षित और  समृद्धि बनाएगा.

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