अत्यधिक कीटनाशक के प्रयोग से बचें : नरबीर

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अत्यधिक कीटनाशक के प्रयोग से बचें : नरबीर 2

सुल्तानपुर राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में बर्ड वाचिंग फैस्टिवल

कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर

 
गुरुग्राम। हरियाणा के लोक निर्माण तथा वन मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि किसान खेतों मे कीटनाशक दवाओं (पेस्टिसाइड) का प्रयोग कम से कम करें क्योंकि सूक्ष्म कीट वन्य जीवों का भोजन है। अधिक पैस्टिसाईड के इस्तेमाल के परिणामस्वरूप कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं।  
 
यह बात आज वन मंत्री ने गुरुग्राम के सुल्तानपुर नेशनल पार्क में आयोजित बर्ड वाचिंग फैस्टिवल के दौरान कही। इस अवसर पर वन मंत्री ने वन विभाग हरियाणा द्वारा संगठित महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित उत्पादों को देखा। इसके बाद वन मंत्री ने सुल्तानपुर नेशनल पार्क का उपस्थित अधिकारियों की टीम के साथ भ्रमण किया। वन मंत्री ने पार्क में टेलीस्कॉप के माध्यम से पक्षियों को देखा। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी नामक एनजीओ में कार्यरत वाइल्ड लाइफ साईंटिस्ट पूर्वाशा बेनर्जी ने वन मंत्री को प्रवासी पक्षियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वन मंत्री ने भ्रमण के दौरान सबसे अधिक रूचि सारस के्रन नामक पक्षी में दिखाई, जो जोड़ो में रहते है और यहां ब्रिड करते हैं। इसके अलावा, वन मंत्री ने मलार्ड, ईगल, इम्पेरियल ईगल व अन्य प्रवासी पक्षियों को भी टेलीस्कॉप से देखा। 
 

अधिक से अधिक पेड़ लगाने का आह्वान अत्यधिक कीटनाशक के प्रयोग से बचें : नरबीर 3

 
इस अवसर पर वन मंत्री ने उपस्थित बच्चों व जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वे वन्य जीवों को बचाने के लिए अपने खेतों में कीटनाशकों का प्रयोग कम से कम करें, क्योंकि वे कीट वन्य जीवों का भोजन होते हैं। अधिक पैस्टिसाईड इस्तेमाल करने के परिणामस्वरूप आज कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। दीपावली के बाद एनसीआर में बढ़े प्रदूषण पर ङ्क्षचता व्यक्त करते हुए वन मंत्री ने कहा कि हमें पर्यावरण को स्वच्छ बनाएं रखने के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए। पेड़ों को बचाने के लिए जरूरी है कि हम शादी-ब्याह में कार्डो का इस्तेमाल ना करें और अपने परिचितों को मोबाइल पर मैसेज करके ही निमंत्रण पत्र भेजें। डा. चेतना शर्मा ने भी कार्यक्रम में पर्यावरण व वन्य जीवों के सरंक्षण के लिए अपने विचार रखे। 
 
  गुरुग्राम साऊथ सर्कल के कन्जरवेटर एम डी सिन्हा ने वन मंत्री की बात का समर्थन करते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ी के भविष्य को संरक्षित करने के लिए हर व्यक्ति को पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमे अपने परिचितों को ई-ग्रीटिंग से निमंत्रण पत्र भेजने चाहिए। इस मुहिम को एक जन-आंदोलन के रूप में चलाने पर हम हजारों पेड़ो को कटने से बचा सकते हैं। 
 
बर्ड वाचिंग फैस्टिवल में गुरुग्राम के आस-पास के जिलों के स्कूली बच्चों को भी आमंत्रित किया गया था। फैस्टिवल में हज़ारों की संख्या में विद्यार्थी पक्षियों को देखने के लिए पहुंचे और सुल्तानपुर नेशनल पार्क का भ्रमण किया। इस अवसर पर बच्चों के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता भी आयोजित की गई थी। वन मंत्री ने प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहने वाले विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। वन मंत्री ने इस मौके पर सुल्तानपुर नेशनल पार्क पर बनाई गई डाक्यूमेंट्री फिल्म का भी विधिवत् उद्घाटन किया। 
 
इस अवसर पर मण्डलीय वन्य प्राणी अधिकारी गुरुग्राम श्याम सुंदर ने बताया कि फिलहाल सुल्तानपुर नेशनल पार्क में पक्षियों की 300 किस्म की प्रजातियां हैं जिनमें से लगभग 85 प्रजातियां प्रवासी है। इसके अलावा करीब 35 हज़ार पक्षी तथा नील गाय, जंगली बिल्ली तथा जकाल जैसे अन्य जानवर भी यहां पर रह रहे है। उन्होंने बताया कि सुल्तानपुर नेशनल पार्क 352 एकड़ में बनाया गया है। राजस्थान के भरतपुर के बाद यह देश का सबसे बड़ा पार्क है जहां इतनी बड़ी संख्या में पक्षी रहते है। यहां पर विदेशी पक्षी भी मीलों दूरी तय करके भारत आते है। साइबेरिया,रूस, अफगानिस्तान, यूरोप व अन्य क्षेत्रों में भारी बर्फ बारी के चलते जब वहां जीवन दूभर हो जाता है तो मेहमान परिंदे हमारी मेहमानवाजी का लुत्फ उठाने हमारे यहां आते है। 
 
 
श्री श्याम सुंदर ने कहा कि सुल्तानपुर झील प्रवासी पक्षियों को इतनी रास आती है कि उन्होंने सर्दियों के मौसम में इस झील को अपना स्थाई निवास बना लिया है। आजकल सुल्तानपुर झील में विदेशी परिंदे पिंनटेल डक, शावलर, युरेशियन वीजन, रोजी पैलीकॉन, पट्ट शीर्ष राजहंस, भूरी टांग हंस, सामान्य पौचार्ड, टफटड पोचार्ड, लाल कलगी पोचार्ड, सनाईप, करलयू, सुरखाव,वाईट टेल्ड लैपविंग व मार्श हैरीयर आदि निवास कर रहे है। इसके अलावा, देसी परिंदे जैसे सारस के्रन, पेंडिड स्टार्क, व्हाईट आईबिश, लाल मुनिया, धब्बेदार छाती वाला मुनिया,पिपिट, प्रीनिया रैड स्टार्ट, सामान्य किंगफिशर, पाईड किंगफिशर, धब्बेदार उल्लू, बार्न आऊल, काला तीतर, भूरा तीतर, मैगपाई रौबिन साल भर देखे जा सकते हैं। 
 
इस अवसर पर पटौदी के एसडीएम रविन्द्र यादव, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन सरंक्षक एवं मुख्य वन्य जीव वार्डन डा. पी पी भोजवैद, चीफ कंजरवेटर वन सत्यभान, गुरूग्राम वाइल्ड लाइफ के कन्जरवेटर रामबीर सहित हरियाणा के विभिन्न जिलों से वन्य प्राणी निरीक्षक भी उपस्थित थे। 

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