– सभी पोल्ट्री फार्मों की चैकिंग शुरू , लोगों को सावधानी बरतने की हिदायत
– स्वास्थ्य विभाग भी गांव चकरपुर के 10 किलोमीटर दायरे में बर्ड फ्लू को लेकर कर रहा है सर्वे
गुरूग्राम, 22 जुलाई। गुरूग्राम के गांव चकरपुर में बर्ड फ्लू (एवियन इंफलूएंजा) संक्रमण का पहला मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग तथा पशुपालन विभाग सतर्क हो गए हैं और दोनों विभागों ने एहतियात के तौर पर सर्वे शुरू कर दिया है। यह सर्वे गांव चकरपुर के आस पास के 10 किलोमीटर दायरे में करवाया जा रहा है। इस दौरान लोगों से बर्ड फ्लू के लक्षणों के बारे में पूछ ताछ कर डाटा एकत्रित किया जा रहा है।
पशुपालन विभाग की उप निदेशक डा. पुनीता गहलावत ने बताया कि दिल्ली एम्स में 11 वर्षीय बच्चे को बर्ड फलू होने का मामला प्रकाश में आया है। बच्चा गुरूग्राम जिला गुरुग्राम के गांव चकरपुर का निवासी है। एम्स में जांच में बच्चे को एवियन इंफलुएंजा अर्थात् बर्ड फ्लू होने की पुष्टि हुई है। इसकी सूचना मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग तथा पशुपालन विभाग ने एहतियात के तौर पर गांव चकरपुर तथा आसपास के गांवों में सर्वे शुरू कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा गांव चकरपुर सहित आस पास के 10 किलोमीटर के क्षेत्र में सर्वे कार्य शुरू कर दिया है। सर्वे के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीमें गठित की गई है जो घर घर जाकर लोगों से बर्ड फ्लू के लक्षणों संबंधी जानकारी प्राप्त कर रही हैं।
डा. पुनीता ने बताया कि पशुपालन विभाग द्वारा जिला के पोल्ट्री फार्मों की भी लगातार चैकिंग करवाई जा रही है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिला में लगभग 20 पोल्ट्री फार्म हैं। इनमें चैकिंग के लिए टीमें बनाई गई हैं। गांव चकरपुर व आसपास के 10 किलोमीटर के दायरे में सर्वे के लिए 17 टीमें अलग से काम कर रही है। इसके अलावा, जिला के सभी पोल्ट्री फार्मों की जांच के लिए 28 टीमें गठित की गई हैं।
उपायुक्त डा. यश गर्ग ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि बीमार अथवा मरे हुए पक्षी की सूचना तत्काल पशुपालन विभाग को दें। उन्होंने कहा कि अच्छे से पकाए गए चिकन या अंडे खाने में कोई खतरा नही है क्योंकि विशेषज्ञों के अनुसार 70 डिग्री तापमान पर यह वायरस नष्ट हो जाता है। उन्होंने मुर्गी पालने वाले तथा मुर्गी व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए एडवाइजरी भी जारी की है।
इस एडवाइजरी में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति मुर्गियों के सीधे संपर्क में ना आए और दस्ताने या किसी भी अन्य सुरक्षा साधन का इस्तेमाल करें। पक्षियों के पंख,म्यूकस और बींठ को ना छूएं। किसी वजह से छूए जाने की स्थिति में साबुन से तुरंत अच्छी तरीके से हाथ धोएं और मुर्गियों को बाड़े में रखें। संक्रमित पक्षियों को मारकर उनका सुरक्षित निपटान करें।
उन्होंने कहा कि बीमार पक्षी श्लेष्मा (म्यूकस), बींठ और पंखों के संक्रमण से यह मनुष्यों में फैल सकता है। उन्हांेने बताया कि बर्ड फ्लू के लक्षणों में धीरे-धीरे बुखार होना, नाक से खून निकलना, लगातार कफ बनना, नाक बहना, सिर में दर्द, गले में सूजन और खराश, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और दस्त, पेट के निचले हिस्से में दर्द, सांस लेने में समस्या आदि शामिल हैं।
बचाव उपायों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि लोगों को मुख्य रूप से मुर्गियों व बीमार पक्षियों के संपर्क में आने से बचना चाहिए। बर्ड फ्लू प्रभावित क्षेत्र में नॉन-वेज खाने से परहेज करें। मास्क पहनकर मुंह और नाक ढकें। लक्षण मिलने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। अपने हाथ धोते रहें, विशेषकर खाने से पहले अपने हाथ जरूर धोएं। संक्रमित पक्षियों के मरने पर उन्हें सुरक्षित तरीके से दफना देना चाहिए।