मेवात विकास सभा के दस सदस्य प्रतिनिधिमंडल ने किया गांव टूंडलाका का दौरा
तोडे गये मकानों का मुआवजा देने व सीआरपीएफ कैंप की जगह यूनिवर्सिटी बनाने की मांग
यूनुस अलवी
मेवात : पुन्हाना खण्ड के गांव टूंडलाका में प्र्रशासन द्वारा गत 18 दिसंबर को तोडे गये करीब 80 मकानों का मामला तूल पकडता जा रहा है। शनिवार को मेवात जिला की प्रतिष्ठित संस्था मेवात विकास सभा के प्रतिनिधि मंडल ने संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष उमर मोहम्मद पडला कि अगुवाई में गांव टूंडलाका का दौरा किया। इस मौके पर प्रतिनिधि मंडल ने पीडित लोगों से सारे हालातों कि जानकारी हांसिल की। बाद मे समिति के सदस्यों ने प्रशासन द्वारा टूंडलाका में की गई कार्यवाई को गलत करार दिया। वहीं सभा के सदस्यों ने प्रशासन और सरकार से टूंडलाका गांव में विस्थापित किये गये परिवारों का पुर्नवास किये जाने, तोडे गये मकानों का मुआवजा दिये जाने और सीआरपीएफ कैंप की जगह यूनिवर्सिटी बनाने कि मांग की है।
मेवात विकास सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उमर मोहम्मद ने बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुऐ बताया कि मेवात प्रशासन द्वारा गत 18 दिसंबर को गांव टूंडलाका में जो पंचायत कि जमीन पर करीब 40 वर्षो से बने हुऐ मकानों को तोडा है, वह कार्रवाई गलत की गई है। उन्होने बताया कि चक्बंदी के दौरान जो रक्बा बचा था वह किसानों कि पटटी शामलात, जुमला मालकान का है। जिसका गलत तरीके से पंचायत ने वर्ष 1965 में पंचायत के नाम इंतकाल करा लिया था। जिसका इस जमीन के हकदारों ने जिला न्यायलय में कैश डाला हुआ है जो अभी तक विचाराधीन है। उन्होने कहा कि जो मामला किसी भी अदालत में विचाराधीन हो उसपर किसी भी तरीके की कोई कार्रवाई उचित नहीं हैं।
उन्होने कहा कि इस जमीन पर करीब 40 वर्षो से रह रहे लोगों के पक्के मकानों को प्रसाशन ने जल्दबाजी में जो कार्रवाई कि है वह मौसम और हालात को देखते हुऐ उचित नहीं हैं। उन्होने कहा कि प्रशासन को अपनी कार्रवाई से पहले जिन लोगों के पक्के मकान बने हुऐ थे उनके मकान तौडने से पहले उनको उचित समय देना चाहिये था, जिससे इस कडाके कि सर्दी में लोगो को खुलेआसमान में रहने को मजबूर होना नहीं पडता। उन्होने यह भी मांग करते हुऐ कहा कि पंचायत कि इस जमीन पर बहुत से ऐसे परिवार रह रहे हैं जिनके पास गांव में कोई जगह ही नहीं है। प्रशासन को चाहिये था कि ऐसे लोगों को पंचायत कि जमीन से उजाडने कि बजाये उनके रहने का इंतजाम करना चहिये था।
उन्होने कहा कि इस जगह पर सीआरपीएफ कैप बनाने का कोई औचित्य नहीं हैं क्योंकि यहां करीब 15 किलोमीटर दूर फिरोजपुर झिरका में 280 एकड जमीन में और यहीं से दस किलोमीटर दूर गांव भौंरी फतेहपुर में पहले से ही सीआरपीएफ कैंप बने हुऐ हैं। उन्होने कहा कि फिरोजपुर झिरका के कैंप कां ही और विस्तार किया जा सकता है। उन्होने सरकार से मांग करते हुऐ कहा कि मेवात के लोगों को सीआरपीएफ कैंप कि नहीं बल्कि यूनिवर्सिटी या रोजगार का कोई बडा प्रोजेक्ट बनाया जा सकता है। जिससे मेवात को शिक्षा और रोजगार मिल सके।
प्रतिनिधि मंडल में महासचिव सलामुदीन ऐडवोकेट, आरिफ गौरवाल प्रवक्ता, सरफराज नवाज ब्लोक अध्यक्ष, फखरूद्दीन चैयरमैन, हसन मोहम्मद अखनाका, रशीद ऐडवोकेट अध्यक्ष पुन्हाना सहित दस सदस्य मौजूद थे।