फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लखन लाल गुप्ता का निधन, व्यापारी वर्ग में शोक की लहर

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बरेली : फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश के प्रभारी लखन लाल गुप्ता का 5 जून शनिवार बीती रात बलिया में निधन हो गया. वे हमेशा व्यापारियों के हितों के लिए संघर्ष करते रहे. उनके निधन से व्यापारी समाज में शोक लहर दौड़ गई.

फेडरेशन ऑफ आल इंडिया व्यापार मण्डल के सह प्रभारी पश्चिमांचल- उत्तर प्रदेश, शैलेन्द्र विक्रम के अनुसार लखन लाल गुप्ता ने 1980 से व्यापार मंडल का दामन थामा और आज तक व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए संघर्ष करते रहे. वह एक बार बलिया सदर से कांग्रेस के टिकट पर विधान सभा चुनाव भी लड़ चुके हैं.

उन्होंने पूरा जीवन व्यापारियों के लिए समर्पित कर दिया था. उनके निधन पर फैम के राष्ट्रीय अध्यक्ष  जयेंद्र तन्ना, राष्ट्रीय महामंत्री राधेश्याम शर्मा , चेयरमैन सीएच कृष्णा, राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य व प्रदेश के संगठन मंत्री जितेंद्र चतुर्वेदी, पश्चिम उत्तर प्रदेश के प्रभारी भूपेंद्र सिंह सोबती,राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र  गोयनका, पूर्वांचल प्रभारी प्रेम मिश्रा, मध्यांचल सह प्रभारी- मनोज गुप्ता, मध्यांचल मीडिया प्रभारी संजय गुप्ता, मध्यांचल उपाध्यक्ष पीयूष गर्ग, पूर्वांचल मीडिया प्रभारी सोमनाथ विश्वकर्मा,  पूर्वाचल महामंत्री अशोक जासवाल, व प्रदेश मंत्री गोकुल शर्मा, बरेली मण्डल प्रभारी- शैलेन्द्र विक्रम, कानपुर जिलाध्यक्ष राजेश गर्ग , कानपुर महामंत्री के के पांडेय, कानपुर उपाध्यक्ष मुकुल चौधरी, प्रयागराज जिलाध्यक्ष संजीव मिश्र , गंगापार जिलाध्यक्ष उमेश मिश्र, झांशी जिलाध्यक्ष अनिल अग्रवाल, ललितपुर जिलाध्यक्ष सुमित अग्रवाल , फतेहपुर जिलाध्यक्ष संजीव गुप्ता, फर्रुखाबाद जिलाध्यक्ष मनोज मिश्रा रायबरेली जिलाध्यक्ष महेश गुप्ता लखनऊ जिलाध्यक्ष दीपक श्रीवस्तव, इटावा युवा जिलाध्यक्ष दीपक कुमार आदि ने 2 मिनट का मौन रख उनको श्रद्धांजलि अर्पित की. सभी ने उनकी भगवान से उनकी आत्मा की शांति के लिए सामूहिक प्रर्थना की.

फैम के सभी पदाधिकारियों ने शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की है. उनका कहना है कि व्यापारी वर्ग ने अपना कर्मठ व्यापारी नेता को खो दिया. अभी कुछ दिन पूर्व ही व्यापारियों की रक्षा के लिए अपना जीवन तक न्योछावर करने वाले संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री बी के बंसल की मृत्यु के सदमे से निकले नहीं थे कि व्यापारी समाज के अभिभावक सभी को छोड़ कर दुनिया से चल बसे.

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