दूरसंचार विभाग ने 5जी तकनीक और स्पेक्ट्रम ट्रॉयल को मंजूरी दी

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टेलिकॉम सेवाएं देने वाली कंपनियां भारत के विभिन्न शहरों में 5जी ट्रॉयल शुरू कर

ग्रामीण, अर्द्ध शहरी और शहरी इलाकों को 5जी ट्रॉयल में शामिल किया जाएगा

ट्रॉयल के तहत 5जी से जुड़ी घरेलू तकनीकी को भी शामिल किया जाएगा

नई दिल्ली : भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने आज दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) को 5जी तकनीक के उपयोग और एप्लीकेशन के लिए परीक्षण करने की अनुमति दे दी। आवेदक कंपनियों में भारती एयरटेल लिमिटेड, रिलायंस जिओ इंफोकॉम लिमिटेड, वोडाफोन इंडिया लिमिटेड और एमटीएनएल शामिल हैं। इन कंपनियों (टीएसपी) ने मूल उपकरण निर्माताओं और प्रौद्योगिकी प्रदाताओं के साथ समझौता किया है। जिसमें एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग और सी-डॉट शामिल हैं। इसके अलावा रिलायंस जिओ इंफोकॉम लिमिटेड भी अपनी स्वदेशी तकनीक का उपयोग करते हुए परीक्षण करेगी।

डीओटी ने यह मंजूरी टीएसपी द्वारा पहचान की गई प्राथमिकताओं और प्रौद्योगिकी सहयोगी कंपनियों के आधार पर दी है। प्रयोग के लिए यह स्पेक्ट्रम विभिन्न बैंडों में दिया जा रहा है जिसमें मिड-बैंड (3.2 गीगाहर्ट्ज़ से 3.67 गीगाहर्ट्ज़), मिलीमीटर वेव बैंड (24.25 गीगाहर्ट्ज़ से 28.5 गीगाहर्ट्ज़) और सब-गीगाहर्ट्ज़ बैंड (700 गीगाहर्ट्ज़) शामिल हैं। टीएसपी को इसके अलावा 5 जी परीक्षणों के संचालन के लिए उनके मौजूदा स्पेक्ट्रम (800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज) के तहत ट्रॉयल की अनुमति होगी।

वर्तमान में परीक्षणों की अवधि 6 महीने के लिए है। इसमें उपकरणों की खरीद और स्थापना के लिए 2 महीने की अवधि शामिल है।

अनुमति पत्र के अनुसार प्रत्येक टीएसपी को शहरों के अलावा ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी परीक्षण करना होगा ताकि देश भर में 5जी टेक्नोलॉजी का लाभ प्राप्त हो और यह केवल शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित न हो।

टीएसपी को पहले से ही मौजूद 5जी प्रौद्योगिकी के अलावा 5जी आई तकनीक का उपयोग परीक्षण करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) ने 5जीआई तकनीक को भी मंजूरी दी है। जिसकी भारत ने वकालत की थी, क्योंकि यह 5जी टावरों और रेडियो नेटवर्क की पहुंच को आसान बनाता है। 5जीआई तकनीक का विकास आईआईटी मद्रास वायरलेस टेक्नोलॉजी के उत्कृष्ट केंद्र (सीईडब्ल्यूआईटी) और आईआईटी हैदराबाद द्वारा विकसित किया गया है।

5जी परीक्षणों का संचालन विशेष रुप से भारतीय संदर्भ में उद्देश्यों में 5जी स्पेक्ट्रम का प्रसार भारतीय जरूरतों के आधारों पर करना है। मॉडल ट्यूनिंग और चुने हुए उपकरण औऱ उनके वेंडर का मूल्यांकन, स्वदेशी तकनीक का परीक्षण, एप्लीकेशन आधारित तकनीकी का परीक्षण (जैसे टेली-मेडिसिन, टेली-शिक्षा, संवर्धित / वर्चुअल रियल्टी, ड्रोन-आधारित कृषि निगरानी, ​​आदि।) और 5जी फोन और उपकरणों का परीक्षण करने के लिए किया गया है।

5 जी तकनीक से डेटा डाउनलोड दरों (4 जी के 10 गुना होने की उम्मीद) है। इससे उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिलेगी। जिसके जरिए स्पेक्ट्रम क्षमता से तीन गुना अधिक उपयोग किया जा सकेगा। और उद्योग जगत को 4.0 एप्लीकेशन के लिए सक्षम कर सकेगा। इन एप्लीकेशंस का इस्तेमाल कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, यातायात प्रबंधन, स्मार्ट शहरों, स्मार्ट घरों और आईओटी(इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स) में हो सकेगा।

डीओटी ने निर्दिष्ट किया है कि परीक्षण को अलग से किया जाएगा और टीएसपी के मौजूदा नेटवर्क के साथ नहीं जोड़ा जाएगा। परीक्षण गैर-वाणिज्यिक आधार पर होंगे। परीक्षणों के दौरान उत्पन्न डेटा भारत में संग्रहीत किया जाएगा। टीएसपी से यह भी उम्मीद है कि वह परीक्षण के हिस्से के रूप में स्वदेशी रूप से विकसित उपकरणों और तकनीकी का इस्तेमाल करेंगी। हाल ही में 5 जी एप्लीकेशन पर हैकाथन आयोजित करने के बाद डीओटी द्वारा चुने गए 100 एप्लीकेशन / इस्तेमाल मामलों का भी इन परीक्षणों को उपयोग किया जा सकता है।

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