नई दिल्ली : केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में केन्द्रीय बजट 2021-22 पेश करते हुए स्टार्ट अप इकोसिस्टम को मजबूत बनाने के लिए छोटी कम्पनियों और एमएसएमई के लिए सुधारों का प्रस्ताव रखा।
सीमित देयता साझेदारी (एलएलपी) कानून, 2008 को अपराध की श्रेणी से मुक्त करने का प्रस्ताव
वित्त मंत्री ने कम्पनी कानून 2013 के अंतर्गत प्रक्रियागत और तकनीकी कम्पाउंडेबल अपराधों के गैर-अपराधीकरण की तर्ज पर सीमित देयता साझेदारी (एलएलपी) कानून, 2008 के गैर-अपराधीकरण से मुक्त करने का प्रस्ताव रखा।
छोटी कम्पनियों की परिभाषा में संशोधन
श्रीमती सीतारमण ने कम्पनी कानून, 2013 के तहत छोटी कम्पनियों के लिए परिभाषा में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा। इसके तहत उनकी चुकता पूंजी की आरंभिक सीमा को ‘’50 लाख रुपये से अधिक नहीं’’ से बढ़ाकर ‘2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं’’ और कारोबार ‘’2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं’’ से बढ़ाकर ‘’ 20 करोड़ रुपये से अधिक नहीं ’’ करने का प्रस्ताव रखा। इससे 2 लाख से अधिक कंपनियां लाभांवित होंगी और उनकी जरूरतें पूरी करना आसान हो जाएगा।
स्टार्ट अप, नवोन्मेषकों के लिए ‘ एक व्यक्ति की कम्पनियों’ में नियम आसान बनाने का प्रस्ताव
कुछ और उपाय जिनसे स्टार्ट अप्स और नवोन्मेषकों को लाभ मिलेगा, वित्त मंत्री ने एक व्यक्ति की कम्पनी (ओपीसी) को चुकता पूंजी और कारोबार पर बिना किसी प्रतिबंध के आगे बढ़ने की अनुमति देकर ओपीसी को शामिल करने के लिए प्रोत्साहन देने का प्रस्ताव रखा, जिससे उन्हें किसी भी समय अन्य प्रकार की कम्पनी में रूपांतरित होने की इजाजत मिल जाएगी, किसी भारतीय नागरिक की ओपीसी स्थापित करने के लिए रहने की अवधि 182 दिन से 120 दिन हो जाएगी और एनआरआई को भारत में ओपीसी में शामिल होने की इजाजत मिल जाएगी।
तेजी से ऋण समाधान के लिए एनसीएलटी की रूपरेखा को मजबूत बनाना
मामलों का तेजी से निपटारा सुनिश्चित करने के लिए वित्त मंत्री ने कहा कि एनसीएलटी की रूपरेखा मजबूत की जाएगी, ई अदालत प्रणाली लागू की जाएगी और ऋण समाधान का वैकल्पिक तरीका तथा एमएसएमीई के लिए विशेष रूपरेखा शुरू की जाएगी।
नये एमसीए21 संस्करण 3.0 की प्रस्तावित शुरूआत
वित्त मंत्री ने कहा कि आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सरकार एक डेटा एनालेटिक्स, आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग ड्रिवन एमसीए 21 संस्करण 3.0 की शुरुआत करेगी। एमसीए 3.0 के इस संस्करण में ई-सुरक्षा, ई-अधि निर्णय, ई-परामर्श और अनुपालन प्रबंधन के लिए अतिरिक्त मॉड्यूल होंगे।