इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमियों से जूझता रहा गुरुग्राम का उद्योग , योजनाएं तो बनीं धरातल में हुई देरी, कोरोना ने दिया झटका

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लेखा-जोखा वर्ष 2020
कोरोना काल में उद्यमियों को करना पड़ा बड़ी समस्याओं का सामना
धीरे-धीरे अब पटरी पर आने शुरु हो हुए हैं उद्योग
खेडक़ीदौला टोल प्लाजा व फास्टैग की बनी रही है समस्या
बिजली, पानी, टोल की समस्याओं से जूझते रहे उद्यमी

गुडग़ांव, 22 दिसम्बर : वर्ष 2020 उद्योगों के लिए भी सामान्य ही रहा। उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उद्यमियों व सरकार ने सेमीनार आदि
तो बहुत किए और कई योजनाएं भी बनाईं, लेकिन उन्हें क्रियान्वित नहीं किया जा सका। प्रवासी भारतीय उद्यमियों को प्रदेश में कारोबार करने के लिए कई कार्यक्रम भी सरकार द्वारा आयोजित किए गए। इन उद्यमियों ने प्रदेश में कारोबार स्थापित करने के आश्वासन भी अवश्य दिए। इस वर्ष मार्च माह में ही कोरोना महामारी के प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए कई माह तक औद्योगिक क्षेत्रों में भी लॉकडाउन रहा, जिससे उद्यमियों की आर्थिक दशा काफी प्रभावित भी हुई।

अनलॉक के दौरान उद्योगों को फिर से खोला गया, लेकिन प्रवासी श्रमिकों की कमी उद्यमियों को खलती रही। कई माह बाद उद्योग धंधे
फिर से पटरी पर आने शुरु अवश्य हुए हैं, लेकिन नवम्बर माह में किसान आंदोलन के चलते उद्योग धंधे प्रभावित हुए बिना नहीं रहे। कोरोना के कारण दिल्ली सीमा से लगे प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों को बड़ी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा था। हालांकि केंद्र व प्रदेश सरकार ने उद्योगों को आर्थिक रुप से सबल बनाने के लिए कुछ योजनाओं की घोषणा भी की। लघु एवं मंझोले उद्योगों की आर्थिक हालत अधिक खराब रही। ये उद्योग सरकार से आर्थिक संकट से उबारने के लिए मांग करते दिखाई दिए।

आर्थिक मंदी से भी उद्योग जगत को जूझना पड़ा है। केएमपी पर अभी भी यातायात सुरक्षित नहीं है। यही हाल द्वारका एक्सप्रैस-वे का भी है। उद्यमी इन दोनों एक्सप्रैस-वे का अधिक इस्तेमाल करते हैं। गुडग़ांव प्रदेश का ही नहीं, अपितु देश का एक बड़ा ओद्यौगिक, सूचना एवं प्रोद्यौगिक कारपोरेट हब है।

गुडग़ांव में विभिन्न ओद्यौगिक क्षेत्रों में करीब 11 हजार से अधिक ओद्यौगिक इकाईयां, 500 से अधिक कारपोरेट हाऊस, 1100 से अधिक सूचना प्रोद्यौगिक क्षेत्र से संबंधित कंपनियां भी कार्यरत हैं, जिनमें लाखों की संख्या में कर्मचारी कार्यरत हैं। कोरोना काल में इनको भी बड़ी
परेशानियों का सामना करना पड़ा।  अभी भी ये प्रतिष्ठान अपने कर्मचारियों से वर्क फ्रॉम होम करा रहे हैं। कोरोना में बहुत से कर्मचारियों व
श्रमिकों की नौकरियां भी चली गई। ये कर्मचारी देश के ही नहीं, अपितु विदेशों से भी संबंधित हैं। उद्योगों के सामने चुनौतियां भी बहुत हैं।
इनका समाधान भी वर्ष 2020  में नहीं हो सका है। उद्यमी केके कपूर व एचपी यादव का कहना है कि जीडीपी में अधिक योगदान देने के लिए उद्यमी प्रयासरत हैं। उनका सदैव यही प्रयास रहता है कि उद्योग फले-फूलें, लेकिन सरकार को लघु उद्योगों की ओर भी विशेष ध्यान देना होगा।

मनोज त्यागी का कहना है कि मानेसर के उद्यमियों की बहुत पुरानी मांग है कि मानेसर को मेट्रो से जोड़ा जाए। केएमपी भी चालू हो चुका है, लेकिन इस मार्ग पर जरुरत के हिसाब से सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गई हैं। सुरक्षा का विशेष ध्यान रखे जाने की जरुरत है। खेडक़ीदौला टोल प्लाजा को शिफ्ट करने की मांग भी वर्ष 2020 में पूरी नहीं हो सकी है। फास्टैग की समस्या भी उद्यमियों के सामने मुंह फाड़े खड़ी है। उनकी मांग है कि उद्यमियों को पर्याप्त बिजली, पानी व सडक़ें आदि की सुविधाएं दी जाएं, ताकि उद्यमी अपने उद्योगों को सुचारु रुप से चला सकें और प्रदेश की उन्नति में अपना योगदान दे सकें।

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