सुभाष चन्द्र चौधरी
गुरुग्राम 11 जून। कोविड-19 के जिला में प्रसार को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने कोरोना संक्रमित मरीजों के काॅन्टैक्ट ट्रेसिंग का कार्य शुरू करने का दावा किया है। सरकारी तौर पर कहा गया है कि गुरुवार को इस संबंध में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के संपदा अधिकारी-1 भारत भूषण गोगिया ने कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया. उन्होंने कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए कान्टैक्ट को ढूंढने के तरीके बताये। जाहिर है जिला प्रशासन ने यह प्राथमिक तौर पर मान लिया कि स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के अधिकारियों ने कोरोना रोकथाम के लिए आवश्यक पहलुओं को नजरअंदाज ही नहीं किया बल्कि लोगों के स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ खिलवाड़ भी किया .
उल्लेखनीय है कि जिला में पिछले चार सप्ताह से लगातार कोरोना संक्रमण का फैलाव काफी तेजी से हो रहा है. प्रतिदिन सौ से डेढ़ सौ नए पोजिटिव केस सामने आ रहे हैं. आज भी अब तक 191 नए मामले आ चुके हैं और खबर लिखे जाने तक कुल संख्या 2737 हो गई है. अक्सर यह शिकायतें मिल रहीं थी कि एक पोजिटिव केस से संपर्क में आने वाले परिवारों को पूरी तरह खुला छोड़ दिया जाता है. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये व्यक्तियों की जांच क्या उन्हें निरिक्षण के लिए भी प्रतिबंधित नहीं किया जा रहा था. कई आवासीय कालोनियों में आज तक कन्टेनमेन जोन भी नहीं बनाए गए और न ही कोई प्रतिबन्ध लगाया गया. हालत यह रही कि संक्रमण लगातर बढ़ता रहा और जब राष्ट्रीय स्तर पर हरियाणा सरकार की व्यवस्था पर सवाल खड़े होने लगे तो अब प्रशसन में हडबडाहट दिखने लगी.
दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि आज जो अधिकारी अलग अलग जिम्मेदारियों के लिए लगाए गए हैं वहीँ पहले भी इस शहर को देख रहे थे लेकिन इनकी घोर लापरवाही ने इस अंतर्राष्ट्रीय औद्योगिक शहर को हरियाणा का सर्वाधिक तेज गति से संक्रमित होने वाले शहर में तब्दील कर दिया. सवाल इस बात का है कि आखिर यहाँ के अधिकारी समय रहते क्यों नहीं जागे ? आज बात की जाने लगी है कि संक्रमित रोगियों के कांटेक्ट ट्रेसिंग की. इसका मतलब साफ है कि जिला प्रशासन यह मानता है कि इस मद में पिछले एक माह के दौरान लापरवाही बरती गई और शहर को कोरोना के हवाले कर दिया गया.
जिला प्रशासन के अधिकारी अब संवेदनहीनता से बाहर आने का स्वांग रचने लगे हैं. यह भी तब होने लगा जब केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने हरियाणा स्वास्थ्य विभाग और सर्वाधिक संक्रमित जिले जिनमें हरियाणा के 4 जिले शामिल हैं के डीसी से भी खैर खबर ली. प्रदेश सरकार ने हडबडाहट में 15 आई ए एस को सभी जिले का अध्ययन करने के लिए लगा दिया. आज शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एस एन रॉय ने भी गुरुग्राम का दौरा किया. एक दो जगह दौरा कर खाना पूर्ति कर ली. खबर बन गई और काम पूरा.
पिछले सप्ताह में ही गुरूग्राम के मंडलायुक्त अशोक सांगवान द्वारा वरिष्ठ आईएएस तथा एचसीएस अधिकारियों को गुरूग्राम जिला में कोविड-19 का प्रसार रोकने के लिए अलग अलग जिम्मेदारी दी गई थी . उसके बाद भी उन दायित्वों का निर्वहन ठीक से नहीं किया गया. केवल बयान जारी होते रहे और जनता को भगवान भरोसे जीने को कहा जाता रहा. इस बीच बात इतनी बिगड़ गई कि जिला के सी एम ओ डॉ जे एस पुनिया को अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार ठहरा कर तबादला कर दिया गया. अक्सर ऐसा ही होता है कि सबसे कमजोर खूंटे को ही उखाड़ कर बाहर कर दिया जाता है. इस जिले में पूरी ओवर वायलिंग की जरूरत थी लेकिन सीएमओ को बलि का बकरा बना दिया गया.
अब आज खबर आई है कि मंडलायुक्त ने जिन अधिकारियों को जिम्मेदारी दी थी उन सभी ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। कोरोना के जो पाॅजीटिव केस रिपोर्ट होते हैं उनके संपर्क में आए लोगों की तलाश करने का अभियान अब चलाया जायेगा. सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो के माध्यम से रैपिड रिस्पांस टीमों द्वारा काॅन्टैक्ट ट्रैसिंग के कार्य का सुपरविजन, आरआरटी को सुविधाएं प्रदान करने, कान्टैक्ट ट्रेसिंग का डाटा तैयार करने को कहा गया है. बताया गया है कि हाई रिस्क काॅन्टैक्ट की सैपलिंग करवाने के काम पर पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी मंडलायुक्त द्वारा हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के प्रशासक जितेन्द्र यादव को दी गई थी। इस कार्य में उनका सहयोग करने के लिए प्राधिकरण के संपदा अधिकारी-1 भारत भूषण गोगिया को लगाया गया था। शहर की जनता को यह तो जानने का अधिकार है कि अब तक यह व्यवस्था क्यों नहीं शुरू की गई थी ? और अगर की गई थी तो फिर काम क्यों नहीं हुआ ? इसमें लापरवाही किनके द्वारा बरती गई ?
जिला प्रशासन की ओर से जारी बयान में जानकारी दी गई है कि श्री गोगिया ने प्राधिकरण के कर्मचारियों को प्रशिक्षण में काॅन्टैक्ट ट्रेसिंग को लेकर एक प्रोफाॅर्मा बनाकर इन कर्मचारियों को दिया है। उक्त प्रोफाॅर्मा में सभी 28 अर्बन पीएचसी यह जानकारी भरकर देंगे कि मेडिकल ऑफिसर , फार्मेस्सिट , एएनएम, आशावर्कर, कम्प्यूटर ऑपरेटर , लैब टैक्नीशियन, लैब असिस्टेंट , सेवादार आदि के कितने स्वीकृत पद हैं तथा उनमें कितने भरे हुए हैं। इसी प्रकार के दूसरे प्रोफाॅर्मा में हर अर्बन पीएचसी के क्षेत्र में आए कोरोना पाॅजीटिव केसों की संख्या दी गई है. उन सभी मरीजों के परिवार के सदस्यों , पिछले सात दिनों में संपर्क में आए लोगों की संख्या, उनमें से कितनेे एसिम्टोमेतिक हैं तथा कितने सिम्टोमेटिक होने के बाद अस्पताल अथवा पेड आइसोलेशन या होम आइसोलेशन में रखे गए हैं। यह जानकारी संबंधित पीएचसी के मेडिकल ऑफिसर द्वारा भरकर दी जाएगी।
कमाल की बात है ! जब स्थिति अनियंत्रित होने लगी तब इन्हें याद आई कि कोरोना संक्रमित मरीजों के परिवार व उनके संपर्क में आये लोगों की पहचान के लिए सघन अभियान छेड़ा जाए. हालांकि इस प्रकार की व्यवस्था के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग और आई सी एम् आर के निर्देश पहले से ही पूरे देश में भेजे गए थे लेकिन गुरुग्राम जिला प्रशासन मूक दर्शक बना रहा. यही कारण है कि शहर में तीन सप्ताह के रिकॉर्ड बताते हैं कि संक्रमण की सूचि में लगातार उन कालोनियों के नाम बने हुए हैं जिनमें पहले पोजिटिव केस पाए गए थे जबकि अब नए कालोनियों में भी कोरोना ने जगह बना ली. यह बात स्पष्ट है कि अगर पोजिटिव केस के संपर्क के लोगों की पहचान कर उनकी जांच की जाती व उनकी आवाजाही प्रतिबंधित की जाती तो संक्रमण की चैन टूटती. लेकिन ऐसा नहीं किया गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉक डाउन के लक्ष्य को सरकारी लापरवाही ने गर्त में मिला दिया.
आज श्री गोगिया ने बताया है कि एक प्रोफार्मा रैपिड रिस्पांस टीम के लिए भी बनाया गया है जिसमे वह रोगी का नाम सहित पूरा विवरण भरने के साथ साथ उसके परिजनों तथा पिछले सात दिन में नजदीकी संपर्क में आए व्यक्तियों का ब्यौरा भरकर देगी। उन्होंने बताया है कि इसमें हर स्वास्थ्य केन्द्र वाइज यह डाटा तैयार हो जाएगा कि पाॅजीटिव केसो के संपर्क में आए कितने लोगों की काॅन्टैक्ट ट्रेसिंग हो चुकी है तथा कितने व्यक्ति छूट गए हैं। इसके बाद, छूटे हुए व्यक्तियों के स्वास्थ्य की जांच करके बैकलाॅग पूरा किया जाएगा। इस बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि काॅन्टैक्ट ट्रेसिंग में किस कदर लापरवाही बरती गई है. अधिकारी अपने दफ्तर व घरों से निकलते नहीं थे और सरकार को सब कुछ ठीक चल रहा है वाली रिपोर्ट देते रहे. अब सच को कब तक छिपाएंगे ? इसलिए संक्रमण की बेतहाशा बढती रफ़्तार ने इन सरकारी अधिकारियों के दावे की हवा निकाल दी जबकि लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया.
संपदा अधिकारी-1 भारत भूषण गोगिया के अनुसार आज प्रशिक्षण में सभी कर्मचारियों को यह बताया गया है कि उन्हें संक्रमित व्यक्तियों के परिजनों से क्या जानकारी हासिल करनी है। उदाहरण के तौर पर उनसे पूछना है कि उन्हे बुखार , सांस लेने में दिक्कत , कुछ खाने या पीने के दौरान स्वाद नहीं आना, सूखी खांसी , गले में खराश या अन्य कोई दिक्कत तो नहीं है। साथ ही परिवार के सदस्यों से यह जानकारी भी जुटानी है कि वे अपने घर , अस्पताल या पेड आइसोलेशन में हैं। उनसे संपर्क में आए व्यक्तियों से भी बातचीत करनी है. इसलिए परिजनो से पूछना होगा कि पिछले सात दिन में उनके घर कौन कौन व्यक्ति आए हैं। उन व्यक्तियों के स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी लेनी है। इस दौरान यदि किसी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे होम आइसोलेशन की सलाह देते हुए स्वास्थ्य विभाग को सूचित करके आगे की कार्यवाही की जाएगी।
उनके इस बयान से यहाँ साफ़ है कि जिन बिन्दुओं पर केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग ने काम करने को पहले दिन से कहा था उन पर आरम्भ के कुछ दिनों को छोड़ कर बिल्कुल भी तवज्जो नहीं दी गई और नतीजा आज सामने है कि अब गुरुग्राम में कुल 2737 पोजिटिव केस हैं जिनमें से 25 लोगों की जान चली गई है. पिछले 24 घंटे में 6 लोग मौत के मुंह में समां गए और 896 व्यक्ति के ठीक होने का दावा किया जा रहा है. यहाँ अब 1858 व्यक्ति (एक्टिव) उपचार करवा रहे हैं जिनमें से अधिकतर होम आइसोलेशन में रखे गए हैं.