नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने बुधवार रात दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के सदस्यों के साथ बैठक की और उनसे अपना आंदोलन वापस लेने की अपील की।
डूटा ने कहा कि बैठक से कुछ भी ठोस नहीं निकला।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बयान में बताया कि डूटा का प्रदर्शन अवांछित था।
प्रशासन ने कहा कि वह हमेशा से शिक्षकों और अन्य के मुद्दों को देखने और शातिपूर्ण तरीके से हल के लिए उनपर चर्चा करने के लिए हमेशा तैयार है।
विश्वविद्यालय ने कहा कि कॉलेजों के डीन और विश्वविद्यालय अधिकारियों ने एक दिसंबर को डूटा के पदाधिकारियों से मुलाकात की थी और उन्हें चल रही सेमेस्टर परीक्षा और उसके मूल्यांकन के चलते विद्यार्थियों के हित में हड़ताल पर नहीं जाने को आग्रह किया था।
शिक्षकों ने स्थायी पदों पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के संबंध में जारी परिपत्र के विरोध में बुधवार को कुलपति कार्यालय का घेराव किया था। बुधवार को 5,000 शिक्षक तीन दरवाजों को तोड़ते हुए कुलपति कार्यालय में दाखिल हो गए और उन्होंने ऐतिहासिक ढांचों पर कथित तौर पर वाल पेटिंग भी की।
विश्वविद्यालय ने कहा कि वह पहले ही यूजीसी दिशानिर्देश,2018 के तहत संकाय सदस्यों की स्थायी तौर पर भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू कर चुका है और इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
वहीं डूटा ने कहा कि शिक्षकों के व्यापक प्रदर्शन की वजह से मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उनके साथ वार्ता शुरू की है।
डूटा ने बताया कि पुलिस ने शिक्षकों को प्रवेश से रोकने के लिए विसरिगल लॉज के पास अवरोधक लगा दिए हैं। डूटा अध्यक्ष ने शिक्षकों से इस लॉज के बाहर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन जारी रखने की अपील की।
शिक्षकों ने कहा कि हर चार महीनों में तदर्थ शिक्षकों के अनुबंधों का नवीनीकरण किया जाता है, लेकिन 28 अगस्त को जारी किए गए परिपत्र के कारण अनुबंध आगे नहीं बढ़ाए गए हैं जिसने लगभग 4,500 तदर्थ शिक्षकों के भविष्य को खतरे में डाल दिया है।