अम्बरनाथ। एयर इंडिपेंटेंड प्रपल्शन (एआईपी) प्रणाली का डीजल इलैक्ट्रिक पनडुब्बी की मारक क्षमता पर कई गुणा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह जलमग्न नौका के स्थायित्व को कई गुणा बढ़ाता है। अन्य तकनीकों की तुलना में फ्यूल सेल-आधारित एआईपी का प्रदर्शन ज्यादा लाभदायक है। भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों के लिए फ्यूल सेल-आधारित एआईपी प्रणाली तैयार करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) का कार्यक्रम प्रौद्योगिकी संबंधी परिपक्वता में अनेक उपलब्धियां हासिल कर चुका है।
पनडुब्बी के फॉर्म-एंड-फिट के लिए व्यवस्थित ऑपरेशन ऑफ लैंड बेस्ड प्रोटोटाइप का नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने आज महाराष्ट्र के अम्बरनाथ में नौसेना सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला में सचिव, रक्षा विभाग, अनुसंधान एवं विकास और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी की मौजूदगी में अवलोकन किया।
नौसेना प्रमुख ने अपने सम्बोधन में इस कार्यक्रम के तहत हासिल की गई उपलब्धियों की सराहना की और कहा कि यह कार्यक्रम राष्ट्र और विशेषकर भारतीय नौसेना के लिए बेहद महत्व रखता है। उन्होंने डीआरडीओ और भारतीय नौसेना से अल्प और दीर्घकालिक लक्ष्यों की निर्धारित समयसीमा के भीतर प्राप्ति के लिए इस साझेदारी को जारी रखने का आग्रह किया।
डीआरडीओ के अध्यक्ष ने आश्वासन दिया कि कार्यक्रम के प्रदर्शन संबंधी मापदंडों और निर्धारित समयसीमा को पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे ताकि भारतीय नौसेना के कार्यक्रम के अनुसार डीआरडीओ एआईपी को ऑपरेशनल पनडुब्बियों में शामिल किया जा सके।
इस अवसर पर फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (पश्चिम), चीफ ऑफ मैटेरियल इंडियन नेवी, महानिदेशक (नौसेना प्रणाली एवं सामग्री), महानिदेशक (आर्मामेंट एंड कॉम्बैट इंजीनियरिंग सिस्टम्स), निदेशक (नौसेना सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला) और प्रतिभागी प्रयोगशालाओं के निदेशक उपस्थित थे ।