राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन ने बढ़ाया दबाव
चंडीगढ़। वर्ष 2011 में हुई जातीय जनगणना के आंकड़े किसी भी समय जारी हो सकते हैं। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने प्रदेश सरकार से जातीगत जनगणना के आंकड़े की डिटेल मांगी है। इसके साथ-साथ सरकारी नौकरियों में पिछड़ा वर्ग में शामिल जातियों के प्रतिनिधित्व की स्थिति भी स्पष्ट करने को कहा गया है।
बताया जाता है कि आयोग के चेयरमैन एस एन अग्रवाल ने मुख्य सचिव डी एस ढेसी को पत्र लिख कर अभी तक जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं करने पर नाराजगी जाहिर की है।
आयोग का कहना है कि संविधान के आर्टिकल 16 सब क्लॉज 4 में यह प्रावधान किया गया है कि सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में उन जातियों को अवसर उपलब्ध कराए जाने हैं, जिनका नौकरियों में या तो उचित प्रतिनिधित्व नहीं है अथवा प्रतिनिधित्व मिला ही नहीं है। यह प्रतिनिधित्व भी उनकी जनसंख्या के अनुपात में दिया जाना है। इसके लिए उन सभी वर्गों की जनसंख्या और नौकरियों में प्रतिनिधित्व के आंकड़े की स्थिति से अवगत होना जरूरी हैं।
आयोग के सूत्रों का कहना है कि बीते माह 16 तारीख को ही दिल्ली में सभी राज्यों के पिछड़ा वर्ग आयोग चेयरमैनों की बैठक हुई थी। इस बैठक में भी जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक किए जाने का मुद्दा उठा था। इन आंकड़ों के अभाव में आयोगों को अपना काम करने में कठिनाई हो रही है। हरियाणा में हाल ही में हिंसक आंदोलन के बाद सरकार ने जाट और 5 अन्य जातियों को आरक्षण का लाभ दिया है, जबकि अन्य जातियों के बारे में विचार करने के लिए आयोग का गठन किया गया है।
आयोग के चेयरमैन अग्रवाल ने स्पष्ट किया है कि राज्य की जातिगत जनगणना के आंकड़े उपलब्ध कराने के लिए मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया है। आयोग ने सरकार से सभी सरकारी विभागों में श्रेणी एक से चार तक के अधिकारियों और कर्मचारियों की जातिगत संख्यात्मक जानकारी मांगी है। बताया जाता है कि जाट आरक्षण के पक्ष में और विरोध में कई आपत्तियां आयोग में दर्ज की गई हैं। जिन पर सुनवाई चल रही है।