भारत के आर्थिक इतिहास में ऐतिहासिक कदम !

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                                                                                                                           लेखक – एस पी गुप्ता, आईएएस                                                                                   हिपा महानिदेशक 

पूरा होगा भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना 

 भारत के माननीय प्रधानमं नरेंद्र मोदी का पांच सौ, एक हजार नोट को बंद करने का निर्णय स्वागत योग्य है। यह सरकार का ऐतिहासिक कदम है। इससे अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। कालाधन पर पूर्णत अंकुश लगेगा। यह बाजार है। जब बाजार में कुछ अवांछित ताकतें संलिप्त हो जाएं तो उन्हें सरकार द्वारा सबक सिखाने के लिए इस तरह के कदम उठाना अति आवश्यक हो जाता है। कालाधन एवं जाली नोट के माध्यम से जो आतंक फैल रहा था, उस पर अंकुश लगेगा। दूसरे शब्दों में कहें कि काला धन व जाली नोट एक तरह से आतंक के जनक भी है।
जाली नोटों के माध्यम से भारत की अर्थव्यवस्था को क्षीण करने का षडयंत्र विदेशी ताकतों द्वारा रचा जाता रहा है। सीधे शब्दों में कहें तो पाकिस्तान नेपाल के रास्ते, जम्मू कश्मीर के साथ लगती नियंत्रण रेखा पार से जाली नोटों की खेप भारत भेजता रहता है। भारत की सुरक्षा एजेंसियों के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं। अब सरकार ने एक हजार के नोट पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया और पांच सौ रुपये को बदल दिया तो अब जाली नोट अपने आप बाजार से बाहर हो जाएंगे।
दूसरा प्रधानमंत्री ने नई करेंसी लाकर काला धन अर्जित करने में जुटे लोगों को एक तरह से सीधा संदेश दिया है कि किसी भी तरह काला धन में संलिप्त लोगों को छोडा नहीं जाएगा। इससे भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा। यह एक प्रभावी कदम है। इसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
सबसे बडी बात है कि देश की जनता प्रधानमंत्री जी के निर्णय का स्वागत कर रही है। नए नोट के प्रचलन के दौरान कुछ परेशानी हो सकती है लेकिन नोट बदलवाने के लिए पचास दिन का समय सरकार ने जो दिया है वह पर्याप्त है। बैंक कर्मी, डाक घर या अन्य सरकारी, सहकारी, अर्द्धसरकारी वित्तिय संस्थाओं की यह जिम्मेदारी बनती है कि लोगों की पूरी सहायता करें। हर बैंक में एक हेल्प डेस्क बने जिससे की लोगों को कोई परेशानी न हो। जारी किए गए नए नोटों की पहचान से अवगत कराने का जिम्मा भी बैंको को है।

रिजर्व बैंक पांच सौ नए नोट के साथ एक सौ व पचास रुपये की नगदी बैंकों में दे जिससे की आमजन, गरीब, मजदूर, किसान, छोटे व्यापारियों आदि को नगदी की समस्या से परेशानी न होनी पडे। हां, एक बात और सभी के लिए नए नोट सिर्फ बैंकों, डाकघरों में ही मिलेंगे। किसी बिचौलिये से आने वाले समय में नोट न लें। भारत के आर्थिक इतिहास में यह ऐतिहासिक कदम है। भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना 125 करोड वासी देख रहे हैं वह पूरा होगा।

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