पुराने नोट पर राजनीतिक प्रतिक्रिया

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नई दिल्ली : प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की और से की गयी अप्रत्याशित घोषणा पर सभी राजनितिक दलों क्या कहते हैं 

 

कारोबारियों को परेशानी : कांग्रेस

कांग्रेस ने मंगलवार रात पांच सौ और एक हजार रूपये के नोटों का चलन बंद करने के सरकार के ‘अचानक’ किये गये फैसले पर कई सवाल खड़े किये हैं. पार्टी ने चिंता जताई है कि यह कारोबारियों, छोटे व्यापारियों और गृहणियों के लिए बहुत समस्याएं पैदा करेगा.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह स्पष्ट किया कि पार्टी हमेशा काले धन के मुद्दे पर अर्थपूर्ण  स्पष्ट और सटीक कदमों का समर्थन करेगी.

उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री विदेश में जमा 80 लाख करोड़ रूपये काला धन लाने में उनकी नाकामी को ढकने के लिए ही इस योजना को लाए हैं.

 

छोटे कारोबारियों पर बड़ा असर : माकपा

कोलकाता से मिली खबर के अनुसार, इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस और माकपा ने कहा कि इस फैसले का मध्यम वर्ग और छोटे कारोबारियों की वित्तीय स्थिति पर बड़ा असर होगा।

 

माकपा पोलितब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा कि हम हमेशा काले धन के मुद्दे के समर्थन में हैं. लेकिन इस मुद्दे पर ढाई साल की चुप्पी के बाद केन्द्र ने अचानक पांच सौ और एक हजार रूपये के नोट हटाने का अचानक फैसला किया. यह बेहूदा है. यह फैसला छोटे कारोबारियों और मध्यम वर्ग पर बड़ा असर डालेगा.

निर्मम व बिना सोच समझ वाला फैसला : ममता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को हटाने के केन्द्र के फैसले को ‘निर्मम एवं बिना सोच समझकर’ किया गया फैसला बताया जिससे ‘वित्तीय दिक्कतें’ होंगी।

ममता ने इस फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की। ममता ने मोदी सरकार पर ‘विदेश से काला धन वापस लाने में नाकामी से ध्यान हटाने के लिए नाटक करने’ का आरोप लगाया।

उन्होंने कई ट्वीट करके कहा कि इस कठोर फैसले को वापस लिया जाए। मैं कालेधन, भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त हूं, लेकिन आम लोगों तथा छोटे कारोबारियों के बारे में गहराई से चितिंत हूं। वे कल सामान कैसे खरीदेंगे? यह वित्तीय अव्यवस्था और आपदा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अमीरों से विदेश में जमा कालाधन वसूलने का वादा नहीं पूरा कर पाए इसलिए इस नाकामी से ध्यान हटाने के लिए नाटक किया गया।

 

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