पीएम ने कहा : लोकतंत्र में विपक्ष का मजबूत होना जरूरी
नई दिल्ली। सत्रहवीं लोकसभा का पहला सत्र सोमवार को प्रारंभ हुआ और इस अवसर पर कार्यवाहक अध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार ने सभी नवनिर्वाचित सदस्यों को बधाई दी। सत्र का प्रारंभ राष्ट्रगान की धुन बजाये जाने के साथ हुआ। इसके बाद कार्यवाहक अध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार ने सदन की परंपरा के अनुसार कुछ क्षणों का मौन रखने के लिए सदस्यों से कहा। सदस्यों ने अपने स्थानों पर खड़े होकर कुछ क्षणों का मौन रखा।
इसके बाद कुमार ने सभी नवनिर्वाचित सदस्यों को बधाई दी। कार्यवाहक अध्यक्ष ने इसके बाद पीठासीन अध्यक्षों के नामों की घोषणा की। सदन में इसके बाद नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ लेने का क्रम शुरू हुआ। सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सदन के नेता होने के कारण निचले सदन की सदस्यता की शपथ ली। जब मोदी का नाम शपथ लेने के लिए पुकारा गया तो सदस्यों ने मेजें थपथपा कर उनका स्वागत किया और भाजपा के कई सदस्य ‘‘मोदी..मोदी’’ और ‘‘भारत माता की जय’’ के नारे लगाये। प्रधानमंत्री मोदी वाराणसी लोकसभा सीट से दोबारा निर्वाचित होकर आए हैं।
17वीं लोकसभा के पहले सत्र में साेमवार को सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह ने शपथ ली। प्रोटेम स्पीकर वीरेंद्र कुमार मंगलवार को भी नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाएंगे। इससे पहले मोदी ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष का सशक्त होना जरूरी है। उनका हर शब्द मूल्यवान है, वे लोकसभा में अपने नंबरों की चिंता छोड़ दें।
उम्मीद है कि सभी दल सदन में उत्तम चर्चा करेंगे। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वीरेंद्र कुमार को प्राेटेम स्पीकर पद की शपथ दिलाई। कुमार मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ से सांसद हैं। अब 19 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव हाेगा। 20 जून को राष्ट्रपति लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनाें की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे। इसी दिन राज्यसभा के सत्र की शुरुआत हाेगी। संसद का यह सत्र 26 जुलाई तक चलेगा। 5 जुलाई को पहली बार महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी।
पीएम मोदी ने कहा, ”इस चुनाव में पहले की तुलना में अधिक संख्या में महिलाओं का वोट करना खास रहा। कई दशकों के बाद एक सरकार को दोबारा पूर्ण बहुमत के साथ और पहले से अधिक सीटों के साथ जनता ने सेवा करने का अवसर दिया। जब पांच वर्ष का हमारा अनुभव है। जब सदन चला है, तंदरुस्त वातावरण में चला है तब देशहित के निर्णय भी अच्छे हुए हैं। आशा करता हूं कि सभी दल उत्तम प्रकार की चर्चा, जनहित के फैसले और जनआकांक्षाओं की पूर्ति की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं इसका विश्वास।”
उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद, नई लोकसभा के गठन के बाद आज प्रथम सत्र प्रारंभ हो रहा है। अनेक नये साथियों के परिचय का एक अवसर है और जब नये साथी जुड़ते हैं, तो उनके साथ नया उमंग, नया उत्साह, नये सपने भी जुड़ते हैं। भारत के लोकतंत्र की विशेषताएं क्या हैं? ताकत क्या है? हर चुनाव में हम उसको अनुभव करते हैं। आजादी के बाद Parliament Election सबसे ज्यादा मतदान, सबसे ज्यादा महिला प्रतिनिधियों का चुनना। पहले की तुलना में बहुत अधिक मात्रा महिला मतदाताओं का मतदान करना, अनेक विशेषताओं से भरा हुआ ये चुनाव रहा। कई दशकों के बाद एक सरकार को दोबारा पूर्ण बहुमत के साथ और पहले से अधिक सीटों के साथ जनता-जनार्दन ने सेवा करने का अवसर दिया है। गत पांच वर्ष का हमारा अनुभव है कि जब सदन चला है, तंदुरूस्त वातावरण में चला है, तब देशहित के निर्णय भी बहुत अच्छे हुए हैं। उन अनुभवों के आधार पर मैं आशा करता हूं कि सभी दल बहुत ही उत्तम प्रकार की चर्चा, जनहित के फैसले और जनाकांक्षाओं की पूर्ति की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं इसका विश्वास। हमने हमारी यात्रा प्रारंभ की थी ‘सबका साथ सबका विकास’ लेकिन देश की जनता ने ‘सबका साथ सबका विकास’ के अंदर एक अद्भूत विश्वास भर दिया और उस विश्वास को ले करके सामान्य मानव की आशा-आकांक्षाओं को, सपनों को पूरा करने के लिए संकल्प ले करके हम जरूर आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे।
लोकतंत्र में विपक्ष का होना, विपक्ष का सक्रिय होना, विपक्ष सामर्थ्यवान होना यह लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त है और मैं आशा करता हूं कि प्रतिपक्ष के लोग नंबर की चिंता छोड़ दें। देश की जनता ने जो उनको नंबर दिया है, वो दिया है, लेकिन हमारे लिए उनका हर शब्द मूल्यवान है, उनकी हर भावना मूल्यवान है। और सदन जब हम उस chair पर बैठते हैं, MP के रूप में बैठते हैं, तब पक्ष-विपक्ष से ज्यादा निष्पक्ष का spirit बहुत महत्त्व रखता है। और मुझे विश्वास है कि पक्ष और विपक्ष के दायरे में बंटने की बजाय निष्पक्ष भाव से जनकल्याण को प्राथमिकता देते हुए हम आने वाले 5 साल के लिए इस सदन की गरिमा को ऊपर उठाने में प्रयास करेंगे। मुझे विश्वास है कि पहले की तुलना में अधिक परिणामकारी हमारे सदन रहेंगे और जनहित के कामों में अधिक ऊर्जा, अधिक गति और अधिक सामूहिक चिंतन का भाव उसको अवसर मिलेगा।
मेरी आप सबसे भी गुजारिश है कि सदन में कई सदस्य बहुत ही उत्तम विचार रखते हैं, बहस को बहुत प्राणवान बनाते हैं, लेकिन चूंकि ज्यादातर वो रचनात्मक होते हैं और उसका और TRP का मेल नहीं होता है। लेकिन कभी-कभी TRP से ऊपर भी ऐसे सदस्यों को अवसर मिलेगा। अगर सरकार की आलोचना भी बहुत तर्कबद्ध से कोई सदन में सांसद करता है और वो बात पहुंचती है तो उसमें लोकतंत्र को बल मिलता है। इस लोकतंत्र को बल देने में आप सबसे मेरी बहुत अपेक्षाएं हैं। शुरू में तो जरूर उन अपेक्षाओं को पूरा करेंगे, लेकिन 5 साल इस भावना को प्रबल बनाने में आप भी बहुत बड़ी सकारात्मक भूमिका अदा कर सकते हैं। और अगर सकारात्मक भूमिका होगी, सकारात्मक विचारों को बल देंगे तो सदन में भी सकारात्मकता की दिशा में जाने का सबका मन बनेगा। तो मैं आपको भी निमंत्रण करता हूं कि 17वीं लोकसभा में हम उसी नई ऊर्जा, नये विश्वास, नये संकल्प, नये सपनों के साथ, साथ मिल करके आगे चले। देश की सामान्य मानव की आशा-आकांक्षाओं को पूर्ण करने में हम कहीं कमी न रखे।