इसका परिणाम आने में थोडा समय लगेगा
नई दिल्ली : मोदी सरकार को सभी राज्यों के साथ विश्वास का सम्बन्ध बनाना चाहिए. यह सलाह भजपा के पूर्व थिंक टैंक कहे जाने वाले व जाने माने चिंतक के एन गोविंदाचार्य ने दी है. उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार के ढाई वर्षों के काम में कुछ कर दिखाने का जज्बा परिलक्षित होता है और पीएम काफी परिश्रम कर रहे हैं परन्तु इसका परिणाम आने में थोडा समय लगेगा.
मोदी सरकार के ढ़ाई वर्षों के कामकाज के सवाल पर गोंविदाचर्य ने कहा कि कुछ कर दिखाने का इरादा तो झलकता है. बहुत परिश्रम कर रहे हैं सभी लोग विशेष तौर पर प्रधानमंत्री मोदी . उनकी मेहनत दिखती है लेकिन परिणाम आने में अभी समय लगेगा. उन्होंने कहा कि आम जनता के मन में कई बार सरकार की प्राथमिकताओं को लेकर सवाल उठते हैं और शंकाएं भी. कारण साफ है की चुनाव के दौरान लोगों को बहुत उम्मीदें होतीं हैं.
राज्यों की सरकारों के साथ विश्वास
एक सवाल के जवाब में गोविंदाचार्य ने कहा कि केंद्र की तरफ से राज्यों की सरकारों के साथ विश्वास कायम करने की आवश्यकता है. इस विषय पर सत्तारूढ़ दल को पहल करनी चाहिए. उनका इशारा विपक्ष व प्रदेशों की गैर भाजपा सरकारों की तरफ था. उनका कहना था की विपक्ष कई बार गैर जिम्मेदार ढंग से मुद्दे उठाता है फिर भी लोकतंत्र में सत्तारूढ़ पक्ष से ही अपेक्षा की जाती है कि वह संवाद स्थापित करे.
राज्यपाल व विधायिका से लड़ाई में उलझे केजरीवाल
दिल्ली में सत्तारूढ़ केजरीवाल सरकार के बारे में उन्होंने कहा की जितनी केंद्र की सरकार से उम्मीदें हैं उससे भी अधिक दिल्ली सरकार से जनता को उम्मीदें थीं लेकिन वे राज्यपाल व विधायिका के से साथ लड़ाई में व्यस्त हो गए. इससे जनहित को नुकसान पहुंचा. आरोप प्रत्यारोप में ही समय निकल गया और अंत में दलीय प्रतिस्पर्धा में जनता ही कष्ट में है.
संत और गोभक्त आहत हुए
गोरक्षकों पर प्रधानमंत्री के बयान के बारे में पूछे जाने पर गोविंदाचार्य ने कहा कि उना की घटना का उनके मन पर बहुत दबाव दिखा. इसके अलावा गुजरात में कुछ स्थानों पर उनको कुछ कटु अनुभव मिले होंगे. ऐसे कई मिले जुले कारण थे जिसके कारण उनका यह बयान सामने आया. उन्होंने कहा कि उस बयान से संत और गोभक्त आहत हुए थे प्रधानमंत्री से अपने बयान का सशोधन करने के लिए भी कहा गया होगा. उन्होंने दावा किया की बीच में सुधार के साथ उनका बयान आया लेकिन न जाने कैसे मीडिया में नहीं पहुंच पाया. उन्होंने कहा कि गो रक्षा पर जोर देने के लिए 7 नवंबर को जंतर मंतर से एक अभियान शुरू किया जायेगा.
सम्पूर्ण गोहत्या बंदी का केंद्रीय कानून बने
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन एवं अन्य गोरक्षा संगठनों ने गोरक्षा के विभिन्न बिन्दुओं पर एक निर्देश पत्र तैयार किया है. इसमें देश में सम्पूर्ण गोहत्या बंदी का केंद्रीय कानून बनाने , भारतीय गोवंश पर छाए संकट को दूर करने के लिए गोमांस के निर्यात को प्रतिबंधित किया जाने की मांग की गयी है. साथ ही गोचर भूमि को सरकारी एवं गैर सरकारी अतिक्रमण से मुक्त कराने भी मांग की गयी है.
गंगा व गाय सभ्यता और देश की पहचान
गोविंदाचार्य ने स्पष्ट किया कि गंगा व गाय साम्प्रदायिक मुद्दा नहीं बल्कि सभ्यता और देश की पहचान से जुड़ा विषय है. यह अर्थव्यवस्था, पर्यावरण समेत व्यापक संदर्भ वाला विषय है. आजादी के समय एक मनुष्य पर एक मवेशी था जबकि आज 7 मनुष्य पर एक मवेशी का अनुपात रह गया है। ऐसे में केंद्रीय स्तर पर गोवध प्रतिरोधक कानून लाया जाना चाहिए, साथ ही वनभूमि का अतिक्रमण रोका जाना चाहिए.
गोवंश का संपोषण अत्यंत जरूरी
जल, जंगल, जमीन, जानवर का संपोषण ही विकास का नाम हो सकता है। गोविंदाचार्य ने कहा कि ऐसे समय में जब देश के आधे बच्चे कुपोषण के शिकार हैं तब विकास को पोषक आहार के समान उपलब्धता से जोड़ा जाना चाहिए। इस संदर्भ में गोवंश का संपोषण अत्यंत जरूरी है।