नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने पुलिस महानिदेशकों के चयन एवं उनकी नियुक्ति के संबंध में अपने पिछले साल के आदेश में बदलाव की मांग करने वाली पांच राज्यों की याचिकाएं बुधवार को खारिज कर दीं।
शीर्ष अदालत पंजाब, केरल, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और बिहार सरकार की ओर से डीजीपी के चयन एवं नियुक्ति के संबंध में स्थानीय कानून लागू करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि डीजीपी की नियुक्तियों के संबंध में पिछले निर्देश पुलिस अधिकारियों को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाने के लिए जनहित में जारी किये गये थे।
सर्वोच्च अदालत ने पिछले साल 12 दिसंबर को पंजाब और हरियाणा के पुलिस महानिदेशकों का कार्यकाल 31 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया था। साथ ही न्यायालय पुलिस प्रमुख के चयन तथा नियुक्ति के बारे में राज्यों के अपने कानून लागू करने के अनुरोध पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया था।
पंजाब के पुलिस महानिदेशक सुरेश अरोड़ा और हरियाणा के पुलिस प्रमुख बी एस संधू को पिछले साल 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होना था परंतु अब वे शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार 31 जनवरी को सेवानिवृत्त होंगे।
कई राज्य चाहते हैं कि पुलिस प्रमुखों के नामों की सूची तैयार करने में संघ लोक सेवा आयोग की मदद लेना राज्यों के लिये अनिवार्य करने संबंधी शीर्ष अदालत के आदेश में सुधार किया जाए।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल तीन जुलाई को देश में पुलिस सुधार के बारे में अनेक निर्देश दिए थे और नियमित पुलिस प्रमुखों की नियुक्ति के लिए उठाए जाने वाले कदमों को क्रमबद्ध किया था।
न्यायालय ने कहा था कि राज्यों को पुलिस प्रमुख के सेवानिवृत्त होने से कम से कम तीन महीने पहले नए पुलिस प्रमुख के बारे में वरिष्ठ अधिकारियों की सूची संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजनी होगी। इसके बाद आयोग अपनी सूची तैयार करके राज्यों को सूचित करेगा जो उस सूची में से किसी एक अधिकारी को पुलिस प्रमुख नियुक्त करेगा।
पंजाब, हरियाणा, बिहार, केरल और पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि उन्होंने शीर्ष अदालत के 2006 के फैसले के अनुरूप पुलिस प्रमुख की नियुक्ति की प्रक्रिया के बारे में पहले ही विस्तृत कानून तैयार कर लिया है। इसलिए उन्हें अपने कानून पर अमल करने की अनुमति दी जाए।
शीर्ष अदालत ने पुलिस सुधार के बारे में 2006 में पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह और एन के सिंह की जनहित याचिका पर केन्द्र और राज्यों को विस्तार से निर्देश दिए थे।