श्रीनगर। सिविल सेवा परीक्षा में 2010 में देशभर में अव्वल रहने के कारण खबरों में रहे जम्मू कश्मीर के आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने कश्मीर में कथित हत्याओं और इन मामलों में केंद्र की ओर से गंभीर प्रयास नहीं करने का आरोप लगाते हुए बुधवार को इस्तीफा दे दिया।
35 वर्षीय फैसल ने फेसबुक पर एक संक्षिप्त बयान में लिखा कि उनका इस्तीफा, ‘‘हिंदूवादी ताकतों द्वारा करीब 20 करोड़ भारतीय मुस्लिमों के हाशिये पर जाने की वजह से उनके दोयम दर्जे का हो जाने, जम्मू कश्मीर राज्य की विशेष पहचान पर कपटपूर्ण हमलों तथा भारत में अति-राष्ट्रवाद के नाम पर असहिष्णुता एवं नफरत की बढ़ती संस्कृति के विरुद्ध है।’’
हाल ही में विदेश में प्रशिक्षण पाकर लौटे और पदस्थापना का इंतजार कर रहे फैसल ने कहा कि उन्होंने कश्मीर में लगातार हत्याओं के मामलों और इन पर केंद्र सरकार की ओर से कोई गंभीर प्रयास नहीं होने के चलते, भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देने का फैसला किया है।
फैसल ने केंद्र में भाजपा नीत सरकार का नाम तो नहीं लिया लेकिन परोक्ष हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि आरबीआई, सीबीआई और एनआईए जैसी सरकारी संस्थाओं को नुकसान पहुंचाया जा रहा है जिससे इस देश की संवैधानिक इमारत ढह सकती है और इसे रोकना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं दोहराना चाहता हूं कि इस देश में आवाजों को लंबे समय तक दबाया नहीं जा सकता और यदि हम सच्चे लोकतंत्र में रहना चाहते हैं तो हमें इसे रोकना होगा।’’
फैसल ने आईएएस में चुने जाने और इसके आगे की यात्रा में उनका समर्थन करने के लिए दोस्तों, परिवार और शुभचिंतकों का शुक्रिया अदा किया।
उन्होंने कहा कि मेरा महत्वपूर्ण काम प्रशासनिक सेवा में आना चाह रहे युवाओं को प्रशिक्षित करना होगा ताकि उनका सपना पूरा हो।
फैसल ने कहा कि वह शुक्रवार को अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में मीडिया को बताएंगे।
सोशल मीडिया पर फैसल के इस्तीफे की खबर फैलते ही नेशनल कान्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने उनका राजनीति में स्वागत किया।
उमर ने ट्वीट किया, ‘‘नौकरशाही का नुकसान राजनीति का फायदा बन सकता है। इस तरफ स्वागत है शाह फैसल।’’
इसके बाद सोशल मीडिया पर दावे किये जाने लगे कि फैसल आगामी दिनों में नेशनल कान्फ्रेंस में शामिल होंगे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उमर ने कहा कि उन्होंने फैसल का स्वागत केवल राजनीति में किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘उनकी भविष्य की सियासी योजनाओं का ऐलान उन्हें करना है।’’
छह महीने पहले ही जम्मू कश्मीर सरकार ने एक ट्वीट को लेकर फैसल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी। ट्वीट बलात्कार के लगातार सामने आ रहे मामलों पर किया गया था। केंद्र के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने इसे कर्तव्य निभाते हुए पूरी तरह ईमानदारी बरतने में उनकी विफलता माना था।