देखें आज का पंचांग- 30 /10/2016 -लक्ष्मी पूजन

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दिनांक 30 /10/2016 का पंचांग व महालक्ष्मी पूजन विधि 

संदीप पाराशर
08901157999
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अक्षांश :- 28 .40
श्री विक्रमी संवत् :- 2073
संवत् नाम :- सौम्य
शाके :- 1938
मास :- कार्तिक
पक्ष :- कृष्ण
तिथि :- अमावस्या (23:09:39)
तिथि संज्ञा :- पूर्णा
वार :- रविवार
नक्षत्र :- स्वाति
नक्षत्र स्वामी :- राहु
योग :- प्रीति (21:58:30)
करण :- चतुष्पाद (09:54:59)
तदूपरांत नाग (23:09 :39)
ऋतु :- शरद (हेमत)
सूर्य :- दक्षिणायन
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अग्निवास : पृथ्वी
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सूर्योदय : 06 : 33 :00
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सूर्यास्त : 17 : 36 : 02
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चंद्रोदय :
06 :48 : 27(31 /10 /2016 )
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दिनमान : 11 : 03 : 02
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रात्रि मान : 12 : 56 : 58
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सूर्य नक्षत्र : स्वाति
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चंद्र नक्षत्र :
स्वाति :- रू, रे, रो, ता
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राहुकाल : 16 :13 से 17 :36
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अथ अभिजित मुहुर्त :
11 : 42 :28 से 12 : 27 : 00
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चौघडिया मुहूर्त :
दिन
उद्वेग 06:33 – 07:56 अशुभ
चर 07:56 – 09:19 शुभ
लाभ 09:19 – 10:42 शुभ
अमृत 10:42 – 12:05 शुभ
काल 12:05 – 13:27 अशुभ
शुभ 13:27 – 14:50 शुभ
रोग 14:50 – 16:13 अशुभ
उद्वेग 16:13 – 17:36 अशुभ
रात्रि
शुभ 17:36 – 19:13 शुभ
अमृत 19:13 – 20:50 शुभ
चर 20:50 – 22:28 शुभ
रोग 22:28 – 00 :05 अशुभ
काल 00 :05 – 01 :42 अशुभ
लाभ 01 :42 – 27:19 शुभ
उद्वेग 03 :19 – 04 :57 अशुभ
शुभ 04 :57 – 01 :34 शुभ
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दीपावली पूजन विधि व् मुहूर्त :-

महालक्ष्मी पूजन : कार्तिक कृष्ण अमावस्या रविवार दि. 30/10/16 समय

वृश्चिक लग्न 08:03 से 10:22
धन लग्न 10:22 से 12:26
कुंभ लग्न 02:10 से 03:38
मीन लग्न 03:38 से 04:30
वृषभ लग्न (गोधूलि बेला) 06:40 से 08:36
मिथुन लग्न 08:36 से 10:51
सिंह लग्न 01:11 से 03:38

शुभ चौघडिया
व्यापार :-
प्रातः लाभ अमृत 09 :00 से 12:00
शुभ 01:30 से 03:00सायं
घर पर :-
शुभ अमृत 06:00 से 09:00 रात्रि
लाभ 01:30 से 03:00 पूजन

कृपया ध्यान रखे दिपावली वाले दिन दीपक प्रज्ज्वलित करने से पहले दीपक को चार से पांच घंटे पानी में भींगने  दे,घर में नई झाडू लेकर आए. ओर थोडा बहुत साफ कर झाडू को रख दे.
2 . दीपावली पूजन के तुरंत बाद घर के प्रत्येक कोने मे गरूड घंटी व शंख अवश्य बताए इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा (दारिद्रता ) बाहर चली जाती है.
3 दीपावली को लाई हुई नई झाडू से अगले दिन घर की सफाई करे.

नूतन व्यापार मुहूर्त

कार्तिक सोमवार दिनांक 31/10/2016 समय सुबह 09:00 से 10:30 तक

 

पूजन सामग्री :-

महालक्ष्मी पूजन में रोली,  कुमकुम
चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, गूगल धुप , दीपक, रुई, कलावा (मौलि), नारियल, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूँ, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, घृत, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, गंगाजल, यज्ञोपवीत, श्वेत वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, लक्ष्मी व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, मिष्ठान्न, 11 दीपक इत्यादि वस्तुओं को पूजन के समय रखना चाहिए।

पूजा की विधि

दीप स्थापना:
सबसे पहले पवित्रीकरण करें। आप हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा-सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में मंत्र पढ़ें। इस मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पवित्र कर लें।

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।

अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और मां पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें:

पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥

ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः

अब आचमन करें

हाथों को धो लें

ॐ हृषिकेशाय नमः

आचमन आदि के बाद आंखें बंद करके मन को स्थिर कीजिए और तीन बार गहरी सांस लीजिए। यानी प्राणायाम कीजिए क्योंकि भगवान के साकार रूप का ध्यान करने के लिए यह आवश्यक है। फिर पूजा के प्रारंभ में स्वस्तिवाचन किया जाता है। उसके लिए हाथ में पुष्प, अक्षत और थोड़ा जल लेकर
स्वतिनः इंद्र वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए परम पिता परमात्मा को प्रणाम किया जाता है। फिर पूजा का संकल्प किया जाता है। संकल्प हर एक पूजा में प्रधान होता है।

संकल्प:

आप हाथ में अक्षत लेकर, पुष्प और जल ले लीजिए। कुछ द्रव्य भी ले लीजिए। द्रव्य का अर्थ है कुछ धन। ये सब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों।

सबसे पहले गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। उसके बाद वरुण पूजा यानी कलश पूजन करनी चाहिए। हाथ में थोड़ा सा जल ले लीजिए और आह्वान व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए। फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए। इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है।

हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प ले लीजिए। 16 माताओं को नमस्कार कर लीजिए और पूजा सामग्री चढ़ा दीजिए। 16 माताओं की पूजा के बाद रक्षाबंधन होता है। रक्षाबंधन विधि में मौलि लेकर भगवान गणपति पर चढ़ाइए और फिर अपने हाथ में बंधवा लीजिए और तिलक लगा लीजिए। अब आनंदचित्त से निर्भय होकर महालक्ष्मी की पूजा प्रारंभ कीजिए।

पूजन विधि:

सर्वप्रथम गणेश और लक्ष्मी का पूजन करें।

ध्यान
भगवती लक्ष्मी का ध्यान पहले से अपने सम्मुख प्रतिष्ठित श्रीलक्ष्मी की नवीन प्रतिमा में करें।

दीपक पूजन:
दीपक जीवन से अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर जीवन में ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है। दीपावली के दिन पारिवारिक परंपराओं के अनुसार तिल के तेल के सात, ग्यारह, इक्कीस अथवा इनसे अधिक दीपक प्रज्वलित करके एक थाली में रखकर कर पूजन करने का विधान है।

उपरोक्त पूजन के पश्चात घर की महिलाएं अपने हाथ से सोने-चांदी के आभूषण इत्यादि सुहाग की संपूर्ण सामग्रियां लेकर मां लक्ष्मी को अर्पित कर दें। अगले दिन स्नान इत्यादि के पश्चात विधि-विधान से पूजन के बाद आभूषण एवं सुहाग की सामग्री को मां लक्ष्मी का प्रसाद समझकर स्वयं प्रयोग करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।

अब श्रीसूक्त, कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।

पूजा के दौरान हुई किसी ज्ञात-अज्ञात भूल के लिए श्रीलक्ष्मी से क्षमा-प्रार्थना करें।

न मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना। पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो। मन्त्र, क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो।
यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों।

भगवती श्रीलक्ष्मी को यह सब पूजन समर्पित है….

आरती:
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
एक दंत दयावंत चार भुजाधारी ।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी ।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा ।
लड्डुवन का भोग लगे, संत करे सेवा ।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।।
सुर श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा ।। जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
आरती:
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर, सुंदर क्षीरनिधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
स्थिर चर जगत बचावै, कर्म प्रेर ल्याता
तेरा भगत मैया जी की शुभ दृष्टि पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता….शुभेच्छु

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