अयोध्या पहुंचने के बाद मां कौशल्या के समक्ष विलाप करने लगे भरत व शत्रुघ्न

Font Size

माझी नाव जरा लाना, हम तीनों को भइया उस पार तो पहुंचाना…
-जैकबपुरा की श्री दुर्गा रामलीला के छठे दिन की लीला

अयोध्या पहुंचने के बाद मां कौशल्या के समक्ष विलाप करने लगे भरत व शत्रुघ्न 2

गुरुग्राम। जैकबपुरा स्थित श्रीदुर्गा रामलीला में छठे दिन राजा दशरथ का राम की याद में विलाप और राम, लक्ष्मण, सीता का नदी पार करने और आखिर में भरत द्वारा राम के राजतिलक की तैयारी करने तक की लीला दिखाई गई।
लीला में दिखाया गया कि इधर राम, लक्ष्मण और सीता अपने पिता राजा दशरथ से आशीर्वाद लेकर वनों को प्रस्थान कर जाते हैं और उधर राजा दशरथ की तबियत बिगड़ जाती है। रानी कौशल्या राजा दशरथ को धीरज धरने की बात कहती है, लेकिन राजा दशरथ पुत्र वियोग में तड़प रहे हैं। विलाप करते हुए उन्हें श्रवण कुमार के माता-पिता का वह श्राप याद आ जाता है। वे रानी कौशल्या से वृतांत सुनाते हुए कहते हैं, एक बार वे सरयु नदी के किनारे शिकार करने गए हुए थे। इसी दौरान उन्हें नदी से किसी के पानी पीने जैसी आवाज सुनाई दी। चूंकि उनके पास शब्दबेधी तीर था, तो उन्होंने उसी आवाज को सुनकर वह तीर छोड़ा। जिसे वह तीर लगा वह कराह उठा। जब वे दौड़े हुए उसके पास गए तो वह तीर एक युवक को लगा था। युवक ने बताया कि उसका नाम श्रवण कुमार है। वह अपने बूढ़े माता-पिता को तीर्थ कराने ले जा रहा था। उन्हें प्यास लगी तो वह पानी लेने आ गया। इसके बाद श्रवण कुमार की मृृत्यु हो गई। दुखी ह्दय से वे पानी लेकर श्रवण कुमार के माता-पिता के पास पहुंचे और पानी पिलाने लगे। देर होने का कारण पूछने पर वे कुछ जवाब न दे सके। कुछ देर बाद उन्होंने पूरी बात बताई तो श्रवण कुमार के माता-पिता ने उन्हें श्राप दिया कि जिस तरह से वे अपने पुत्र के वियोग में तड़प रहे हैँ, इसी तरह से तुम भी पुत्र वियोग में तड़पोगे। आज वही श्राप उन्हें लगा है। विलाप करते-करते राजा दशरथ प्राण त्याग देते हैं।

उधर, राम, लक्ष्मण और सीता जब वनों में जा रहे होते हैं तो उन्हें रास्ते में निषादराज मिलते हैं और उनके साथ चल देते हैं। जब वे आगे बढ़ते हैं तो गंगा नदी आती है। वहां पर नदी को पार कराने के लिए वे केवट से नदी पार कराने का आग्रह करते हुए कहते हैं-माझी नाव जरा लाना, हम तीनों को भइया उस पार तो पहुंचाना। इस पर केवट कहते हैं कि वे उनको गंगा पार नहीं कराएंगें। उनके पांव के छूने से एक पत्थर नारी बन सकती है तो उनकी नाव अगर कुछ बन गई तो क्या होगा। बार-बार आग्रह करने के बाद केवट पहले राम, लक्ष्मण व सीता के पांव धोते हैं और वह पानी पीते हैं। इसके बाद वे उन्हें गंगा नदी को पार कराते हैं।

वहीं अयोध्या नगरी में पुत्र वियोग में तड़पते हुए राजा दशरथ की मृत्यु हो जाती है। भरत और शत्रुघ्न को ननिहाल से अयोध्या नगरी पहुंचते हैं। अयोध्या आकर दोनों भाई पहले मां कैकेयी के पास जाते हैं। उनसे वे अपने भैया राम, लक्ष्मण व सीता के बारे में पूछते हैं। मां कैकेयी उन्हें सब कुछ बताने समझाने का प्रयास करती है। भरत के बार-बार पूछने पर मां कैकेयी ने बताया कि उसने राजा दशरथ से भरत के लिए राज और राम को 14 वर्ष का वनवास मांगा है तो भरत आग-बबूला हो उठते हैं। वे अपनी मां को पापिन, कुलक्षणी जैसे शब्दों से संबोधित करते हैं। साथ ही पिता की मौत का दुख प्रकट करते हुए कहते हैं-

छोड़कर हमको किसके सहारे, हे पिता जी किधर को सिधारे,
ये अकेले किधर की तैयारी, हाय फूटी है किस्मत हमारी।
इसी बीच कैकेयी भरत को समझाते हुए कहती है कि अब तुम अयोध्या का राज संभालो। भरत अपनी मां कैकेयी से कहते हैं-

मुझे तेरा राज्य विष के बराबर है,
जिसे तू राज्य समझती है वो कंकर और पत्थर है।
पेड़ को काटा है जड़ से, पत्तों को सींचना चाहती है,
कर दिया नाश सारे कुल का, अब मुंह दिखलाना चाहती है।
इसके बाद भरत को राजा दशरथ का अंतिम संस्कार करने का कहा जाता है। भरत माता कौशल्या से भी मुलाकात करते हैं। कौशल्या उन्हें आराम से अयोध्या का राज करने को कहती है। इसके जवाब में भरत कहते हैं कि माता एेसा नहीं हो सकता कि बड़े भाई के रहते छोटा भाई राज करे। भरत बोले-

एे माता मेरे बदन में मत लगावै आग, पापन के पैदा हुआ फूटे मेरे भाग,
तेरे चरणों की सौगंध है माता मुझे, इस शरारत का बिल्कुल पता ही नहीं,
जो है इल्जाम दो तो तुम्हारी खुशी, वरना इसमें मेरी कुछ खता ही नहीं।

इतना कहकर भरत कुछ देर के लिए बेहोशी की हालत में हो जाते हैं। कुछ देर बाद उन्हें होश आया और वे राम, लक्ष्मण व सीता को वनों से लाने के लिए चल दिए।
सोमवार से रावण की दमदार एंट्री
श्रीदुर्गा रामलीला में कल सोमवार की रामलीला से एनसीआर के धाकड़ और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज 39 साल से रावण बन रहे कलाकार बनवारी लाल सैनी रावण के रूप में मंच पर एंट्री कर रहे हैं। इस रामलीला में उनके अभिनय को देखने के लिए लोग दूर-दूर तक आते हैं। हुडा विभाग से वीआरएस लेकर सामाजिक सेवा में जुटे बनवारी लाल सैनी का जिस दिन से रोल शुरू होता है, रामलीला में भीड़ बढ़ती चली जाती है। रावण के गेटअप में जब वे मंच पर आते हैं तो हर कोई उत्सुक होता है उनके डायलॉग सुनने को। बच्चे से लेकर बड़े तक उनके फैन हैं और उनके दमदार अभिनय को खूब सराहा जाता है। जब वे धाकड़ आवाज में डायलॉग बोलते हैं तो दर्शक और कमेटी के सदस्य खूब तालियां बजाते हैं।

You cannot copy content of this page