बंद कीजिये मंगलयान के गर्व गीतों का गान
सरदार पटेल की मूर्ति 3000 cr की चीन बना रहा है
नागपुर मैट्रो में 900 cr का ठेका चीन को मिला……….
मेड इन इंडिया
सौरभ भारद्वाज
मेड इन इंडिया से मेरा पहला परिचय अलीशा चिनॉय ने कराया था। कोई 15-16 साल का रहा होऊंगा। अलीशा अपने वीडियो एल्बम में गाती रहती थी मेड इन इंडिया। गाना खूब हिट हुआ था। इस गाने के अलावा शायद ही कुछ और था जिस पर कभी मेड इन इंडिया लिखा देखा हो। खूबसूरत मल्टी यूज़ वाले नेल कटर भी आये तो उन पर मेड इन कोरिया लिखा होता था। अख़बारों में खूब पढ़ते थे भारत ने फलां मिसाइल बना ली है, फलां जहाज बना लिया है। मन प्रफुल्लित हो जाता था।
भारत कुमार – मनोज कुमार, की फिल्में देखीं तो पता चला की जीरो भी हमने बनाया, इतिहास की खुदाई की तो पता चला कि अपनी टेक्नोलॉजी बहुत बढ़िया थी। 100 गज़ का थान अंगूठी से निकल जाने वाली ढाका की मलमल से लेकर, क़ुतुब मीनार के साथ खड़े कभी जंग न् लगने वाले लौह स्तम्भ तक भारत की तकनीक की मिसाल थे। लालची अंग्रेजों ने अपने कारखानों में बना माल खपाने के चक्कर में भारतीय कुटीर उद्योगों की कमर तोड़ दी और भारत, सात समंदर पार से आये माल पर आश्रित होता चला गया। गांधी ने स्वदेशी को बड़ा हथियार बनाया। देश आजाद हुआ तो भारत में सुईं भी नहीं बनती थी। फिर कारखाने लगे। देश में सुईं से लेकर हवाई जहाज़ तक सब बनने लगा। मंगलयान तक हमने बना डाला।
पर सुनता हूँ कि सरदार पटेल जो जीवन भर विदेशी माल के खिलाफ लड़ते रहे। लौह पुरुष का ख़िताब मिला उनकी मूर्ति भी चीन से बनकर आ रही है। देश के 5 लाख से ज्यादा गांवों से इसके लिए इकट्ठा किया गया लोहा घटिया बता दिया गया है। एल एंड टी कंपनी जिसे यह मूर्ति बनाने का लगभग ढाई हजार करोड़ का ठेका मिला है उसने इसका ऑर्डर चीन की कंपनी को दे दिया है। भगवा रंग से रंगे नागपुर में बन रही मेट्रो के डिब्बे बनाने का ठेका भी चीन की कंपनी को दे दिया गया है। हालाँकि कंपनी हिंदुस्तान में ही इनका कारखाना लगाएगी लेकिन मुनाफ़ा तो बाहर ले जाएगी।
अम्बानी देश के सबसे रईस उद्यमी हैं। लेकिन मुनाफ़े के चक्कर में अपनी कंपनी जियो के सिम तक चीन से बनवा कर मंगवा रहे हैं। क्या छोटा सा चिप भी हिंदुस्तान में नहीं बन सकता। आप कह सकते हैं कि सस्ता नहीं बन सकता। अगर नहीं तो फ़िर मंगलयान के गौरव गीत गाने बंद कीजिये। दुनिया को यह बताना बंद कीजिये की हम सबसे सस्ते में अंतरिक्ष को खंगालते हैं। मेट्रो के डिब्बे फ़्रांस और जर्मनी की कंपनियां पहले ही भारत में बना रही हैं और यहाँ से ऑस्ट्रेलिया एक्सपोर्ट भी कर रही हैं लेकिन ये देश हमारे दुश्मनों की मदद नहीं करते। मोदी जी आप गुजराती हैं, बिज़नेस आप के खून में है।
लेकिन देश के स्वाभिमान के मसलों पर तिज़ारत मत कीजिये .सरदार पटेल को बख्श दीजिये। देश का लोहा नहीं लगा सकते तो कम से कम उनकी मूर्ति को चीन से तो न बनवाएं। हो सकता है देसी लोहा चीन जितना मज़बूत न हो, हो सकता है हमारी यह मूर्ति उतनी खूबसूरत न बने पर मेड इन इंडिया मूर्ति लोगों की आँखों में जो चमक पैदा करेगी, उनकी आँखों में जो नमी पैदा होगी, उनके लोहू में जो उबाल देसी लोहे को देख कर आएगा, उसे आप की मेड इन चाइना सरदार पटेल की मूर्ति कभी नहीं कर पायेगी।