अब रेलवे स्टेशनों को विकसित करने के लिए निजी कंपनियों को 99 साल का ठेका मिलेगा

Font Size
मंत्रिमंडल ने नोडल एजेंसी आईआरएसडीसी द्वारा सरल प्रक्रियाओं तथा लम्बी अवधि पट्टा के माध्यम से रेलवे स्टेशनों के पुर्नविकास को मंजूरी दी

सुभाष चौधरी/प्रधान सम्पादक

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने नोडल तथा प्रमुख परियोजना विकास एजेंसी भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (आईआरएसडीसी) द्वारा रेलवे स्टेशनों को फिर से विकसित करने के बारे में अपनी स्वीकृति दे दी है। पुर्नविकास कार्यक्रम में विभिन्न बिजनेस मॉडलों वाली सरलीकृत प्रक्रियाएं और 99 वर्ष की लम्बी अवधि के लिए पट्टा शामिल हैं। इससे रेलवे का व्यापक आधुनिकीकरण होगा और विश्व स्तरीय आधारभूत संरचना सुनिश्चित होगी।

पूरे देश में प्रमुख रेलवे स्टेशनों का विकास रेलवे की जमीन तथा स्टेशन के आस-पास के स्थानों का वाणिज्यिक विकास करके किया जाएगा। इस कार्यक्रम से यात्रियों को अत्याधुनिक सुविधाएं मिलेंगी और अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा इसमें मंत्रालय पर कोई लागत बोझ नहीं आएगा। स्टेशनों के पुर्नविकास से अर्थव्यवस्था पर गुणात्मक प्रभाव पड़ेगा जिससे रोजगार के अधिक अवसरों का सृजन होगा और आर्थिक वृद्धि होगी।

नोडल एजेंसी आईआरएसडीसी समग्र योजना तैयार करेंगी और स्टेशन विशेष या स्टेशनों के समूह की व्यवसाय योजना तैयार करेगी जिससे भारतीय रेल की लागत स्थिरता सुनिश्चित होगी। रेल मंत्रालय द्वारा व्यवसाय योजनाओं को मंजूरी देने से आईआरएसडीसी तथा परियोजना विकास एजेंसियां स्टेशन पुर्नविकास का कार्य प्रारंभ करेंगी। रेलवे/आरएलडीए/आईआरएसडीसी रेलवे भूमि के लिए नियोजन और विकास प्राधिकरण होंगे। शहरी स्थानीय निकायों, डीडीए की सलाह से जमीन फ्री होल्ड आधार पर रेलवे को हस्तांतरित की जाएगी। इससे लागत स्थिरता के आधार पर प्रमुख स्टेशनों के पुर्नविकास में तेजी लाने में रेल मंत्रालय को सहायता मिलेगी। पुर्नविकास प्रयासों से अत्याधुनिक स्मार्ट स्टेशन बनेंगे जो मिनी स्मार्ट सिटी के रूप में काम करेंगे।

पुर्नविकास से यात्रियों तथा उद्योग को व्यापक लाभ मिलेगा। यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय रेल टर्मिनलों के बराबर की सुविधाएं मिलेगी और स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार मिलेंगे।

पृष्ठभूमिः

जोनल रेल द्वारा ‘ए1’ तथा ‘ए’ श्रेणी के स्टेशनों का फिर से विकास करने के लिए 24 जनवरी, 2015 को मंत्रिमंडल की स्वीकृति प्राप्त की गई। यह स्वीकृति प्रक्रियाओं के तहत तथा 45 वर्ष की पट्टा अवधि के लिए प्राप्त की गई। लेकिन बोली लगाने वालों में पर्याप्त रूचि नहीं देखी गई। डेवलपरों, निवेशकों तथा अन्य हितधारकों के साथ अनेक बैठकों के दौरान विभिन्न विषयो पर चर्चा की गई। इन विषयों में अनेक उप-पट्टे, सरलीकृत बोली प्रक्रिया आदि के प्रश्न बार-बार उठाए गए। इसलिए नए उपायों के साथ एक सरलीकृत कार्यक्रम बनाया गया जिसमें इन विषयों को शामिल किया गया। कार्यक्रम में विशेषज्ञ क्रियान्वयन एजेंसी (आईआरएसडीसी) को दायित्व दिया गया और इसमें स्टेनशन पुर्नविकास को नया रूप देने के लिए उचित ढांचागत प्रक्रिया और मानकों में परिवर्तनों को शामिल किया गया।

You cannot copy content of this page