अखिलेश ने शिवपाल को केबिनेट से बर्खास्त किया

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विधानपरिषद सदस्य उदयवीर को निकालने का लिया बदला

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सपा परिवार का विवाद और गहरा गया है. शनिवार को विधानपरिषद सदस्य उदयवीर सिंह को पार्टी से निकालने के बदले में सीएम अखिलेश यादव ने आज अपने चाचा व यू पी केबिनेट में मंत्री शिवपाल यादव सहित चार मंत्रियों को एक बार फिर बाहर का दरवाजा दिखा दिया है. माना जा रहा है कि यह अखिलेश का टीट फॉर टेट की कार्रवाई कर यह सन्देश दे दिया है कि वह अमर सिंह एंड कम्पनी  के साथ समझौता नहीं करने जा रहे है. गौरतलब है कि अखिलेश यादव इस बैठक से पहले मुलायम सिंह से मिलने पहुंचे थे. समझा जाता है कि सीएम ने इस निर्णय की  जानकारी उन्हें दी होगी.

उल्लेखनीय है कि सी एम अखिलेश यादव ने  आज अपने निवास पर अपने समर्थक विधायक व पार्टी के कार्यकर्ताओं  की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में अप्रत्याशित घोषणा करते हुए सीएम ने शोव्पाल यादव व उनके समर्थक गायत्री प्रजापति सहित चार मंत्रियों को केबिनेट से बर्खास्त कर दिया है. इससे सपा परिवार का फॅमिली ड्रामा पूरी तरह सत्ता की लड़ाई में तब्दील होता दिख रहा है.

यह कहना सही होगा कि सपा टूट के कगार पर पहुँच गया लगता है. हालाँकि सी एम् ने यह कहा है कि वे मुलायम सिंह द्वारा आयोजित पार्टी की बैठक में शामिल होंगे . साथ ही वे रथ यात्रा में भी शामिल होंगे . उल्लेखनीय है कि सपा के स्थापना दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. ऐसा लगता है कि अब तक की भारतीय परमपरा के उलट सपा मुखिया को भाई मोह नहीं छोड़ रहा है जबकि आम तौर पर इस देश में पुत्र मोह में अँधा होता देखा गया है. यह अजीब बात है कि पुत्र स्वच्छ राजनीति का प्रतीक बन गया है जबकि पिता इसके उलट चलने वाले का साथ दे रहे हैं.

बैठक से बाहर होने के बाद पार्ट्री  के कई एम् एल ए ने इस घट्न पर पानी डालने कि कोशिश कि. उनका कहना था कि जों लोग पिता व पुत्र के बीच आने वाले हैं उन्हें बाहर दिखा दिया जाएगा. पार्टी के प्रवक्ता मोहम्मद  शहीद ने इस घटना पर हा कि कुछ लोग पिता पुत्र के बीच आग भड़का रहे हैं प्रदेश कि जनता उसे माफ़ नहीं करेगी. उन्होंने दावा किया कि सपा में कोई फुट नहीं है. सभी सपा मुखिया मुलायाम सिंह के साथ हैं.

उल्लेखनीय है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखकर पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विधानपरिषद सदस्य उदयवीर सिंह को शनिवार को पार्टी से निकाल दिया गया था.. इस बात की जानकारी पार्टी के प्रवक्ता अम्बिका चौधरी ने संवाददाताओं को दी थी.. उन्होंने बताया था  कि सपा से विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह को अनुशासनहीनता के आरोप में छह साल के लिये निष्कासित कर दिया गया है. राजनीतिक रूप से श्री सिंह को सीएम अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है. इस श्री सिंह के निष्काशन ने आग को भड़का दिया.

 

अनुशासनहीन आचरण का आरोप

सपा प्रवक्ता ने दावा किया कि था कि अनुशासनहीनता बरतने वालों को किसी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने यह कहते हुए दुहाई दी पार्टी पिछले 25 सालों में अनुशासन व संकल्प से ही यहां पहुंची है. उनके अनुसार उदयवीर ने अमर्यादित, अशोभनीय व अनुशासनहीन आचरण किया है. इसलिए उन्हें पार्टी से छह वर्षों के लिये निष्कासित कर दिया गया .

 

उदयवीर को निष्कासन का अफसोस नहीं

 

दूसरी तरफ उदयवीर सिंह ने निष्कासन के बारे में कहा था कि मुझे कोई अफसोस नहीं है. मैंने लोकतांत्रिक अधिकार के तहत राजनीतिक मुद्दे उठाये थे. नेताजी पार्टी के संरक्षक हैं. मुझे पूरा भरोसा है कि वह सबके साथ न्याय करेंगे.  उन्होंने फिर दोहराया कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ भी वे न्याय करेंगे.  उन्होंने ध्यान दिलाया कि नेताजी को गाली देने वाले लोग इस वक्त पार्टी में हैं. पत्र लिखने वाले शुभचिंतकों को पार्टी से निकाला जा रहा है.

 

उदयवीर की गलती क्या थी ?

 

उत्तर प्रदेश के प्रथम परिवार यानि इस समाजवादी परिवार में तकरार बढ़ने के बीच सपा के विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह ने गत 19 अक्तूबर को सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को पत्र भेजा था. उन्होंने इस पत्र में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव पर आरोप लगाया था कि वे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जलते हैं. पत्र में उन्होंने यहां तक कह दिया था कि अखिलेश के खिलाफ साजिश में मुलायम की पत्नी, बेटा और बहू भी शामिल है. शिवपाल सपा मुखिया की पत्नी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का चेहरा हैं.

 

सिंह ने पत्र में यह दावा किया था कि अखिलेश के खिलाफ षड्यंत्र वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री बनाने के फैसले के  ही शुरू हो गया था। उस वक्त शिवपाल ने इसमें  अडंगा लगाने की पूरी कोशिश की थी। उसके बाद से ही शिवपाल परेशान हैं.

उन्होंने सपा मुखिया से अनुरोध किया था कि वह सपा के संरक्षक बन जाएं और अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दें .

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