सुप्रीम कोर्ट ने किया न्यायमूर्ति काटजू को कोर्ट में तलब

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 फेसबुक पोस्ट में सौम्या बलात्कार मामले में कथित खामियों को उजागर करने का मामला

11 नवम्बर को पेश होने का नोटिस जारी

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अपने इतिहास में नई घटना को जोड़ते हुए एक अप्रत्याशित कदम के रूप में सोमवार को अपने पूर्व न्यायाधीशों में से एक मार्कंडेय काटजू को कोर्ट में पेश होने का सम्मन जारी किया है. उन्हें कोर्ट में सौम्या बलात्कार मामले में कथित बुनियादी खामियों को उजागर करने के लिए यह सम्मन जारी किया गया है. उल्लेखनीय है कि काटजू ने इस मामले में फेसबुक पोस्ट पर कुछ बिन्दुओं को लेकर सनसनीखेज दावा किया है।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने कहा है कि न्यायमूर्ति काटजू एक भद्र पुरुष हैं। हम उनसे व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होने और सम्बंधित मामले के फैसले पर अपने फेसबुक पोस्ट पर एक आलोचनात्मक लेख के सन्दर्भ में बहस करने का अनुरोध करते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उन्हें अदालत में आने दीजिए और कोर्ट के फैसले में बुनियादी खामियों को लेकर बहस करने दीजिए। बताया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ ने उन्हें नोटिस भेजा है.

सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार :  रोहतगी

इस मामले में उच्चतम न्यायालय की मदद कर रहे अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह पहली बार हुआ है जब उच्चतम न्यायालय ने अपने पूर्व न्यायाधीश को किसी मामले में  व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा है।

गौरतलब है कि अक्सर किसी न किसी मामले में अपनी विवादित टिपण्णी के लिए मशहूर सेवानिवृत न्यायमूर्ति काटजू ने अपने फेसबुक पोस्ट में शीर्ष अदालत की आलोचना की थी कि उसने इस मामले में आरोपी गोविंदचामी को हत्या का दोषी नहीं ठहराकर बड़ी गलती की है। काटजू के इस पोस्ट के चर्चा में आते ही शीर्ष अदालत ने मामले से सम्बंधित केरल सरकार और सौम्या की मां की समीक्षा याचिका पर अल्पकालिक विराम लगाते हुए कहा है कि वह पहले न्यायमूर्ति काटजू से उनके फेसबुक पोस्ट पर बहस करेगी।

15 सितंबर को  दिया गया था फैसला

पीठ ने न्यायमूर्ति काटजू से 11 नवंबर की सुनवाई में पेश होने को कहा है. इस दिन ही उनके द्वारा उठाई गयी कथित खामियों पर बहस होगी . उल्लेखनीय है कि इस मामले में 15 सितंबर को  फैसला दिया गया था .

न्यायमूर्ति काटजू ने क्या कहा था ?

खबर है कि न्यायमूर्ति काटजू को नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने उनके फेसबुक पोस्ट को उद्धृत किया है. काटजू के इस पोस्ट में कहा गया है कि “यह खेदजनक है कि अदालत ने धारा 300 को सावधानीपूर्वक नहीं पढ़ा है। इस फैसले की खुली अदालत में सुनवाई के दौरान समीक्षा की जरूरत है.”

एक अन्य पोस्ट में न्यायमूर्ति काटजू ने फिर लिखा कि “मैं कहता हूं कि उच्चतम न्यायालय ने आरोपी को हत्या का दोषी नहीं ठहराकर कानूनन भूल की है और उसके फैसले की इस हद तक समीक्षा की जरूरत है.”

उल्लेखनीय है कि  उन्होंने 15 सितंबर को अपने फेसबुक पर केरल में एक फरवरी, 2011 को ट्रेन से धक्का देकर गिराने के बाद 23 वर्षीय सौम्या से बलात्कार करने को लेकर गोविंदचामी को सुनायी गयी मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने के फैसले की आलोचना की थी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केरल सरकार व सौम्या की मां ने सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिकाएं दायर की हैं.

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