पतंजलि आयुर्वेद कंपनी एक बार फिर विवादों में घिर गई !

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प्रतिद्वंद्वियों ने छवि खराब करने की कोशिश की है : पतंजलि 

नई दिल्ली:  योग गुरु बाबा रामदेव और उनकी पतंजलि आयुर्वेद कंपनी एक बार फिर विवादों में घिर गई है. इस बार उन पर आरोप लगा है कि पतंजलि के प्रोडक्ट पर अगले महीने की मैन्युफैक्चरिंग की डेट छपी हुई पाई गई है. बताया जाता है कि मार्च महीने में बाजार में उनके जो सामान आए उसमें अप्रैल 2018 की मैन्युफैक्चरिंग डेट प्रिंट है. यह दावे सोशल मीडिया पर लोगों ने किए हैं . Facebook और Twitter पर इसके बाद आगे की तारीख वाली मैन्युफैक्चरिंग डेट वाली पतंजलि उत्पाद की तस्वीर भी लोगों ने वायरल कर दी है. इस बात में कितना दम है इसका पता तो जांच के बाद ही चलेगा लेकिन भारतीय खाद्य नियामक संस्था फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑफ इंडिया ने इस संबंध में जांच के आदेश दिए.

दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर लोगों ने इस मामले को लेकर बाबा रामदेव की बड़ी तीव्र आलोचना की है. पतंजलि आयुर्वेदिक औषधि गिलोय घनवटी पर मार्च में मैनुफैक्चरिंग डेट अप्रैल 2018 का लिखा हुआ दिखा रहे हैं . लोगों ने उत्पाद की फोटो खींच कर Twitter और Facebook पर पोस्ट कर दिया है और यह वायरल होने लगी. लोगों ने इसको फ़ूड सेफ्टी और डब्ल्यू एच ओ के साथ टैग कर दिया जिससे कि इस मुद्दे को दोनों ही संस्था स्वत संज्ञान लेकर इसकी जांच करवाएं.

आज के इस युग में अब इस प्रकार के सवाल खड़े होने से पतंजलि को जवाब देना पड़ रहा है. हालांकि पतंजलि की ओर से इस प्रकार की वायरल फोटो को नकली बताया गया है. कंपनी ने स्पष्ट किया है कि आगे की तारीख वाली मैन्युफैक्चरिंग सहित उत्पाद का वायरल जो तस्वीर है वह उनके प्रतिद्वंद्वियों ने Photoshop कर वायरल कर दिया है. उन्होंने कहा है कि यह पूरी तरह मैन्यूप्लेटेड है और पतंजलि की छवि को खराब करने की कोशिश है.

उन्होंने यह दावा किया है कि इस प्रकार के उत्पादन वाली अन्य कंपनियों की बिक्री में जबरदस्त गिरावट आई है इसलिए वह पतंजलि को इस प्रकार के विवादों में घसीट कर छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. इस प्रकार की कोशिश कोई पहली कोशिश नहीं है. इससे पहले भी बाबा रामदेव की कंपनी के उत्पाद पर कई बार आरोप लगाये गए हैं .

कुछ राजनीतिज्ञों ने भी कुछ दवाइयों में हड्डी होने की बात कही थी जैसे पतंजलि के शहद, मुरब्बा और खाने पकाने वाले जो तेल होते हैं उसमें भी मिलावट होने की बात कही गई है. अब निर्भर करता है कि दोनों संस्थाओं द्वारा जांच करने के बाद किस प्रकार के तथ्य सामने आते हैं . बहरहाल ट्विटर और फेसबुक यूजर्स ने इस प्रकार के उत्पाद को वायरल कर पतंजलि की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश तो कर ही दी है.

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