नई दिल्ली : भारतीय सेना की ओर से पाकिस्तान में आतंकियों के शिविरों पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक का असर सेना व खुफिया पर देखने को मिल सकता है. खबर है कि भारतीय सेना की ऐतिहासिक कामयाबी से झेंप रही पाकिस्तानी सरकार पाक जासूसी एजेंसी आईएसआई के प्रमुख को सबसे पहले बदलने जा रही. वहां के मीडिया सूत्र बताते हैं कि आईएसआई लेफ्टिनेंट जनरल रिजवान अख्तर अगले कुछ हफ्तों में इस पद से हटाए जा सकते हैं । विशेषज्ञ मानते हैं कि बदलाव की यह लहर पाकिस्तान में कुछ भी गुल खिला सकती है.
माना जा रहा ही कि पाकिस्तान की सरकार का मानना है कि एक तरफ इसकी नाकामयाबी के कारण ही उन्हें भारत कि सेन्य कार्रवाई का पता नहीं चल पाया और दूसरी तरफ वे वहां की सरकार को आतंकियों के बारे में सही सूचना नहीं देते हैं. सेना के इशारे पर कम करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल रिजवान अख्तर से पिछले दिनों पाक प्रधान मंत्री नवाज़ शरीफ की बैठक में जमकर कहासुनी हुयी थी. वहां के पंजाब प्रान्त के मुख्यमंत्री व नवाज़ के भाई से लेफ्टिनेंट की जमकर कहासुनी हो गयी थी. हो सकता है नवाज़ ने प्रतिष्ठा का सवाल बना कर उस पद पर अपने करीबी को बैठाने का मन बना लिया हो.
बताया जाता है कि अख्तर को सितंबर 2014 में आईएसआई का महानिदेशक बनाया गया था। उन्होंने नवंबर 2014 में पद संभाला था। वे लेफ्टिनेंट जनरल जहीर उल इस्लाम की जगह आए थे. कहा जा रहा है किइस पद पर तीन साल की अवधि के लिए नियुक्ति होती है। इसमें केवल तभी बदलाव आता है जब आईएसआई प्रमुख सेवानिवृत्त हो जाएं या पाक प्रमुख उसकी जगह ले लें। अब माना जा रहा है कि वे आईएसआई डीजी पद के लिए तय तीन साल के कार्यकाल से पहले ही हटाये जा सकते हैं।
इनकी जगह कराची पलटन के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल नवीद मुख्तार उनकी जगह ले सकते हैं। दूसरी तरफ सैन्य प्रमुख राहिल शरीफ भी विस्तार की लाइन में लगे हुए है क्योंकि उनका कार्यकाल भी नवम्बर में ही पूरा हो जायेगा. ल्केकिन यह बदलाव इस बात पर निर्भर करेगा कि नवाज़ शरीफ की सरकार कितनी मजबूत है. इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई व सेना प्रमुख के पद पर बदलाव के समय ही अक्सर उलटफेर होते हैं. इन दोनों ही पदों पर नये लोगों कि नियुक्ति करने में नवाज़ शरीफ को कितनी कामयाबी मिलेगी यह समय बतायेगा .