मरीज की मौत का डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप

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: मरीज ने इलाज के अभाव में तडफ-तडफ कर दम तोड़ा 

: कॉलेज की डारेक्टर ने पांच दिन में जांच के दिऐ आदेश

: शहीद हसन खां मेडिकल कॉलेज का मामला

: मृतक के परिजनों ने बृहस्पतिवार को कॉलेज की डारेक्टर को दी शिकायत

 
 

यूनुस अलवी

 
मेवात :    पुन्हाना खंड के गांव शाहचौखा निवासी अहमद पुत्र इब्राहीम ने राजा शहीद हसन खां मेडिकल कॉलेज की डारेक्टर यामिनी को लिखित में शिकायत देते हुऐ आरोप लगाया कि नगीना खंड के गांव मांडीखेडा निवासी एंव अपने ससुर जाकिर पुत्र  शमशेर का इलाज कराने के लिए तीन दिन पहले 5 फरवारी को रात करीब नो-दस बजे शहीद हसन खां मेडिकल कॉलेज इलाज के लिए ले गया है। जिसे अमरजंसी वार्ड के बेड नंबर तीन पर भर्ती किया गया। उसके ससुर के पैशाब में दिक्कत थी और वह काफी परेशान था।
   अहमद ने बताया कि वहां मौजूद डाक्टर और नर्सो ने उसके केवल पैशाब  की नली लगाई। उसे ना कोई दवाई दी और ना ही उसकी सही तरीके से देखभाल की गई है। अहमद का आरोप है कि जब से जाकिर को भर्ती किया गया वह तभी से तडफ रहा था। उसने रात के समय अमरजैंसी में मौजूद डाक्टरों की अपने ससुर को हो रही परेशानी के बारे में बताया। लेकिन डाक्टर और नर्सों ने एक गोली तक उसे नहीं दी गई। यहां तक की जाकिर दर्द की वजह से पागलों जैसा हो गया और उसने अपने कपडे तक फैंक दिए। वार्ड में मौजूद अन्य मरीज और उसके परिवार वालों ने भी डाक्टरों को बताया कि ये आदमी ज्यादा परेशान है, इसका तुरंत इलाज किया जाऐ।
  पीडित अहमद का कहना है कि जब सुबेह तक कोई डाक्टर उसके ससुर को देखने तक नहीं आया तो जाकिर ने दूसरे दिन सुबेह करीब साडे नो बजे तडफ-तडफ कर दम तौड दिया। उनका कहना है कि भले ही जाकिर की मौत हो जाती। क्योंकि मौत तो सभी को आनी होती है लेकिन डाक्टरों को तो अपनी ओर से कोशिश करनी चाहिए थी। डाक्टर को भगवान को दर्जा इसी वजह से दिया जाता है कि वह मरीज को बचाने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता है ना कि मरीज को मरने के लिए छोड देता है। उनके ससुर को तो डाक्टरों ने मरने के लिए छोड दिया जिससे उनकी लापरवाही से ही मौत हुई है। उन्होने कहा आरापी डाक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
 
क्या कहती हैं डारेक्टर
शहीद हसन खां मेडिकल कॉलेज की डारेक्टर यामिनी का कहना है कि लोगों ने उन्हें इस बारे में एक लिखित शिकायत दी है। उसने इस बारे में जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच में अगर डाक्टरों की लापरवाही पाई गई तो उन्हें किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाऐगा।

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