प्रद्युम्न मर्डर मामले में में सीबीआई के समक्ष कई पेंच सुलझाने की चुनौती
दो आरोपी, दो चाकू , दो प्रकार के कारण, सीसीटीवी वीडियों में दोनों आरोपियों की फुटेज संदेह पैदा करने वाले
सबूतों को मिटाने का षड्यंत्र रचने वाले/वाली स्कूल के शिक्षक/ प्रधानाचार्य से गहन पूछताछ जरूरी
सुभाष चौधरी/ प्रधान संपादक
गुरुग्राम। प्रद्युम्न मर्डर मामले में फिर नया मोड़ आने की आशंका है। इस मामले में स्कूल के एक और छात्र की गिरफ्तारी की आशंका जताई जा रही है. खबर है कि पूर्व में जांच के दौरान हरियाणा पुलिस ने जिस स्कूल बस कंडक्टर अशोक को आरोपी बनाया था ने पूछताछ में बताया था कि उसने बाथरूम में दो बच्चों को कपडे बदलते देखा था। इस मामले में सीबीआई 11वीं कक्षा के एक छात्र को गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए रिमांड पर ले चुकी है और आशंका इस बात की प्रबल है कि सीबीआई उस दूसरे छात्र को भी गिरफ्तार करने के लिए सबूत जुटा रही है और घटना की कड़ी को जोड़ कर तथ्यात्मक जांच कर रही है.
बताया जाता है कि सीबीआई की टीम ने गुरुवार और शुक्रवार को गिरफ्तार छात्र से पूछताछ की और उसके बयान के आधार पर मिले तथ्यों की शिनाख्त के लिए उसे सोहना भी लेकर गई। संकेत यह है कि दूसरा संभावित आरोपी छात्र सोहना में ही रहता है। सोहना में सीबीआई की टीम ने उक्त दूसरे छात्र के घर की लोकेशन और अन्य तथ्यों को खंघाला और अब उस छात्र को भी पूछताछ के लिए बुला सकती है. आशंका यह है कि सीबीआई पहले आरोपी छात्र के और बस कंडक्टर अशोक , दोनों के बयान के आधार दूसरे आरोपी को गिरफ्तार भी कर सकती है।
कानून के जानकारों का कहना है कि अब तक की जाँच से संकेत मिल रहे हैं कि सी बी आई अब अशोक को ही इस केस में सरकारी गवाह बना सकती है. क्योंकि उसके बयान से इन आरोपी छात्रों पर हत्या में संलिप्त होने के सूत्र मिले और मामला सुलझने के कगार पर पहुंचा. अगर इस मामले की तह तक सीबीआई पहुच गयी तो यह बड़ी कामयाबी होगी और प्रद्युम्न के माता पिता को न्याय मिलेगा.
हालांकि मामले में अब भी कई विरोधाभासी बयान आ रहे हैं. एक तरफ कहा जा रहा ही कि आरोपी छात्र के पिता ने अपने बेटे को निर्दोष बताया है जबकि दूसरी तरफ मिडिया के कुछ सेक्शन द्वारा यह बताया जा रहा है की उसके पिता के सामने आरोपी छात्र ने अपना जर्म कबूल लिया है और अब दूसरे छात्र की संलिप्तता के संकेत भी दिए हैं. ऐसे में उक्त दूसरे छात्र की गिरफ्तारी व उससे पूछताछ से ही सही तरीके से पर्दा उठ सकेगा.
नॉएडा के आरूषी मर्डर मामले की तरह ही यह मामला बेहद पेचीदा हो चला है. उसमें पुलिस ने पहले जो जाँच की थ्योरी दी थी अंततः सीबीआई को उसी पर आना पड़ा था जबकि गुरुग्राम के प्रद्युम्न मामले में सीबीआई उसके उलट चल रही है और बेहद सावधानी बरत रही है. इसमें अब तीन अहम किरदार सामने आ रहे हैं, बस कंडक्टर अशोक , पहला आरोपी छात्र और दूसरा सम्भावित आरोपी छात्र . इन तीनों के लिए गए अलग अलग बयान और तीनों से आमने सामने की पूछताछ में कुछ और रहस्य सामने आ सकते हैं. सीबीआई जो सबूत जुटा रही है उसका भी इन तीनों के बयानों के आधार पर मिलान किया जा सकता है. इससे हत्या के असली आरोपियों तक पहुंच पाना संभव हो सकेगा. क्योंकि हत्या में जिन धार धारदार हथियार यानि चाकू का कथित तौर पर इस्तेमाल किया गया उसकी भी पुष्टि होनी बाकी है. एक चाकू हरियाणा पुलिस, बस कंडक्टर अशोक की शिनाख्त पर बरामद करने का दावा कर चुकी है जबकि दूसरा हथियार अब सी बी आई ने बरामद करने का दावा किया है. इसमें कौन सा असली और कौन सा नकली है इसको लेकर भी अभी असमंजस की स्थिति है. ये चाकू भी इस केस के राजदार हैं जिससे तीनों के बयान के मिलान के बाद ही पर्दा सही तरीके से उठेंगा .
यहाँ सवाल उठता है कि हत्या में उपयोग किये गए हथियार के असली और नकली होने की पुष्टि केवल आरोपी व गवाह के बयानों के आधार पर कर ली जायेगी या फिर उसकी फोरेंसिक जाँच भी कराई जायेगी ? अगर फोरेंसिक जाँच की बात आती है तो क्या अब वह चाकू उस स्थिति में है कि उससे कुछ संकेत मिल सके? कुल मिला कर संदेह बरकरार है और संदेह पैदा करने वाली यही कमी आरोपियों के हक में जा सकती है . इसलिए सीबीआई को कुछ और ठोस सबूत जुटाने होंगे. वह सबूत है ह्त्या के सबूतों को मिटाने का षड्यंत्र करने वाले/वाली स्कूल के शिक्षक/ प्रधानाचार्य से गहन पूछताछ ,जो कानूनन चश्मदीद गवाह हो सकते हैं जिन्हें इस बात का इल्म प्रथामद्र्ष्टया अवश्य होगा की किसने यह कुकृत्य किया है. तार्किक दृष्टि से सबूत मिटाने की कोशिश वही व्यक्ति कर सकता है जो ऐसा कर किसी को इरादतन बचाना चाह रहा है , और इस मामले में स्कूल की शिक्षक और प्रिसिपल ने यही किया है. इसलिए यह कहना सही होगा कि इसमें से या तो दोनों को या फिर किसी एक को ह्त्या करने व हत्यारे की पुख्ता जानकारी है.
हालाँकि सीबीआई ने अब तक शिक्षक व प्रिंसिपल से पूछताछ का खुलासा नहीं किया है लेकिन घटना की कड़ी जोड़ने के लिए सीबीआई को ऐसा करना होगा तभी संदेह के बादल छटेंगे अन्यथा केस को सोंल्व करने के बाद भी आरोपी कानून की गिरफ्त से छूट जाएगा और पीड़ित पक्ष प्राकृतिक न्याय से वंचित रह जाएगा. दर्जनों आपराधिक घटनाओं से यह साफ़ है कि संदेह का फायदा हमेशा आरोपी को मिलता रहा है और यहाँ भी दो आरोपी, दो चाकू , दो प्रकार के कारण, सीसीटीवी वीडियों में दोनों प्रकार के आरोपियों का टॉयलेट की ओर जाने की फुटेज का होना और हत्या की दो कहानियाँ होने से न्याय के देवता के लिए दुविधा की स्थिति पैदा हो सकती हैं.
अब तक की जाँच से यह कहना तो सही होगा कि बस कंडक्टर अशोक को अब इस मामले में राहत मिल सकती है लेकिन सीबीआई ने अभी तक उसे क्लीन चिट नहीं दी है. कानून की दुनिया में इस बात की चर्चा है कि सीबीआई ने अभी एक रणनीति के तहत बस कंडक्टर अशोक को क्लीन चिट नहीं दी है क्योंकि उससे ही जाँच में अहम् लीड मिली और अब उसी के बयान के आधार पर इस केस को जाँच एजेंसी सुलाझाने की कोशिश में है.
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने 11वीं कक्षा के जिस छात्र को इस केस में गिरफ्तार किया है, उससे चार बार पूछताछ की गई थी. उसे गत मंगलवार रात को गिरफ्तार किया गया था और बुधवार को जुबेनाइल कोर्ट के सामने पेश किया था। बोर्ड ने उसे तीन दिन की रिमांड पर सीबीआई को सौंपा. अब सीबीआई के पास उससे पूछताछ के लिए शनिवार शाम तक का वक्त है , इसलिए यह समझना आसान है दूसरे आरोपी को भी गिरफ्तार करने के लिए जाँच एजेंसी इससे पूर्व ही सबूत जुटाएगी और उसे गिरफ्तार भी कर सकती है. फिर दोनों को आमने सामने बैठा कर पूछताछ की जा सकती है. अतएव जांच एजेंसी द्वारा पहले छात्र आरोपी की रिमांड फिर बढाने की मांग कोर्ट के समक्ष किये जाने की पूरी संभावना है.