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चण्डीगढ़, 6 नवम्बर : हरियाणा के पंचायती राज विभाग द्वारा पहले चरण में रेवाड़ी जिले के 14 गांवों नामत: खुशपुरा, रसूूली, गाजी गोपालपुर, खिजूरी, इब्राहिमपुर, बास, बिसौवा, ठोठवाल, खडग़वास, छुरियावास, जाटूवास, आकेड़ा, कापड़ीवास व बैरियावास गांवों में दूषित पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए सींचेवाल मॉडल लगा कर इन गांवों में बहने वाले नालियों के दूषित पानी को खेती योग्य बनाया जाएगा। इन गांवों में भरने वाले दूषित पानी से राहत मिलेगी।
विभाग के एक प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इन गांवों के गंदे पानी को पंजाब के सींचेवाल मॉडल की तर्ज पर फिल्टर कर खेतों तक पहुंचाया जाएगा।
गौरतलब है कि रेवाड़ी और गुरुग्राम जिलों के पंचायती राज विभाग के उपमण्डल अभियंताओं व कनिष्ठ अभियंताओं ने पिछले मास पंजाब जाकर इस मॉडल को बारिकी से देखा और इसके बारे में जानकारी हासिल की तथा रेवाड़ी जिले में इस पर काम करने की अनुमति ली। पंजाब के संत बलबीर सिंह सींचेवाल ने सबसे पहले गन्दे पानी के शुद्धिकरण के लिए इस पर काफी काम किया था। उनके इस काम की पूर्व राष्ट्र्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने काफी सराहना की थी। अब रेवाड़ी जिले में भी सींचेवाल मॉडल वरदान साबित होने जा रहा है और इस मॉडल को लेकर काफी रूचि ली जा रही है। कम लागत में और कम जगह में पानी शुद्ध करने वाला यह मॉडल अधिक कारगर सिद्ध हो इसके लिए विभाग प्रयासरत है। रेवाड़ी में इस पर काम शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि यदि कोई पंचायत इस मॉडल के लिए गांव से दूर जमीन देगी तो उन गांवों में सींचेवाल मॉडल लगाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि घरों से निकलने वाला दूषित पानी जगह-जगह एकत्रित होता है। इसे एक जगह एकत्रित कर शुद्ध किया जाएगा। इसमें लिक्विड बेस मैनेजमैंट का काम किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सामान्य रूप से गन्दे पानी की बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड दबीओडी½ 150 से 300 तक होती है। सींचेवाल मॉडल से शुद्ध करने की तकनीक अपनाकर इस पानी की बीओडी 18 से 20 तक आ जाएगी जो खेती के लिए उपयुक्त है। इस पानी को खेती के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि सींचेवाल मॉडल पर सामान्य रूप से आठ बाई आठ की परिधि के तीने कुएं बनाये जाएंगे, जिनकी गहराई भिन्न-भिन्न होगी। घरों का गन्दा पानी सबसे पहले एक पिट तक ले जाया जाएगा। यह पिट आठ फीट गहराई की होगी। इस पिट में जहां से दूषित पानी गिरेगा वहां पर लोहे की एक जाली लगाई जाएगी जिसमें मोटा कूड़ा व पोलीथिन रूक जाएगा। इसके बाद पानी पहले कुएं में जाएगा, वहां पर गाद रूक जाएगी। दूसरे कुएं में साफ पानी जाएगा जिसमें चिकनाई समाप्त हो जाएगी। यहां ऑक्सीडेशन सिस्टम के तहत पानी घूमेगा और यहां से पानी तीसरे कुएं में जाएगा, यहां भी ऑक्सीडेशन होगा। साफ पानी को खेतों तक पहुंचाने के लिए एक डीजल पम्प लगाया जाएगा।