सर्जिकल ऑपरेशन से सहमा हुआ पाकिस्तान !

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दुनिया व अवाम के सामने पाकिस्तानी सेना शर्मशार

सुभाष चौधरी

नई दिल्ली : नियंत्रण रेखा के पास भारतीय सेना के सर्जिकल ऑपरेशन से पाकिस्तान सहमा हुआ है. कारण स्पष्ट है. पहला तो यह कि भारत के इस सफल ऑपरेशन की उसे भनक तक नहीं लगी और सात आतंकी शिविरों सहित दर्जनों आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया. दूसरा कारण बेहद तथ्यात्मक है कि पूरा विश्व आज भारत के साथ खड़ा है. ओसामा बिन लादेन को अमेरिका द्वारा उसके घर में घुस कर मारे जाने के बाद जिस कदर पाकिस्तानी सेना को दुनिया के सामने शर्मशार होना पड़ा था उससे भी बुरी गत इस बार भारत के इस सफल ऑपरेशन से हुई है.

दिल बहलाने को ग़ालिब खयाल अच्छा है’

मशहूर शायर ग़ालिब का बड़ा लोकप्रिय जुमला है कि “ दिल बहलाने को ग़ालिब खयाल अच्छा है’’. लगता है पाकिस्तान अब उसी राह पर है. अब तक परमाणु युद्ध छेड़ने की धमकी देने वाला शांति की बात कर रहा है. अक्सर दूसरों को घायल करने वाला अपने घाव को सहलाने के लिए बेतुकी कवायद में जुट गया है. खबर है कि आतंकी भाषा बोलने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपनी कैबिनेट व तथाकथित राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई है.

खास बात यह है कि इस बैठक में सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को भी आमंत्रित किया गया है. इस बैठक से उन्हें क्या हासिल होगा इसे अभी रेखांकित तो नहीं किया जा सकता लेकिन कयास लगाये जा सकते हैं कि इस आतंकी शरीफ के दिल में हूक घुस गयी है. इसका अंदाजा भारत के डीजिएमओ की ओर से सर्जिकल ऑपरेशन की समाप्ति के बाद इसकी सफलता की कहानी दुनियां के सामने रखते हीतब लग गया जब पाक पीएम व सेना अध्यक्ष दोनों के सुर अलग – अलग दिखे. ऐसा लगा कि पाक पीएम वहां की सेना को पाकिस्तानी जनता की नजर में नीचा दिखाने के लिए आतुर थे. उन्होंने आव देखा न ताव सीधे सीधे इस ऑपरेशन की घटना को   स्वीकार करते हुए अपनी सेना की क्षति को भी उजागर कर दिया. जबकि पाक सेना ने ततकाल इसे मानने से ही इनकार कर दिया. जाहिर है हमेशा भारत से हर मोर्चे पर विफल रही पाक की अनैतिक सेना को इस बार भी मुहं की खानी पड़ी. अब तक भुजाएँ फड़का कर चलने वाले व आखें दिखाने वाले राहिल शरीफ जनता को यह कहने की स्थिति में नहीं है कि आखिर उसे इसकी भनक तक क्यों नहीं लगी ?

खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे

अब खिसियानी बिल्ली खभा नोचे वाली कहावत पर चरितार्थ करते हुए दिखना नवाज़ और वहां की सेना दोनों की मजबूरी बन गयी है. नियंत्रण रेखा के पास के हालात पर विस्तार से चर्चा के लिए नवाज़ शरीफ ने बुधवार को संसद का एक संयुक्त सत्र भी बुलाया है.  अब तक की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के गृह मंत्री निसार अली खान शरीफ से मिले और सुरक्षा हालात पर चर्चा की. पाक पीएम व  सेना प्रमुख राहिल शरीफ की कई दौर की बातचीत हो चुकी है. संकेत अब भी यही मिल रहे हैं कि सेना प्रमुख राहिल, पाकिस्तानी सरकार व वहां की जनता को यही बताने की कोशिश कर रहें हैं कि सर्जिकल ऑपरेशन जैसा कुछ हुआ ही नहीं है.

खबरों के अनुसार राहिल इसे नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी की घटना बता कर पाकिस्तानी जनता की आखों में धूल झोकने की फिराक में हैं. उन्होंने शरीफ से कहा है कि सर्जिकल स्ट्राइक के संबंध में भारत के दावे निराधार हैं. पाक के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जनरल नसीर जंजुआ भी शरीफ से मिले और हालात पर चर्चा की.

आरपार की लड़ाई में अक्षम

संकेत है कि न तो पाकिस्तानी सरकार और न ही वहां की सेना इस स्थिति में है कि भारत के साथ आरपार की लड़ाई लड़ सके. इसलिए आशंका इस बात की प्रबल है कि छद्म लड़ाई में विश्वाश रखने वाले इस देश की ओर से फिर कोई अनैतिक रास्ता ही अपनाया जा सकता है जिससे ये अपनी अवाम को ढाढस बंधा पायें. उन्हें इस बात का एहसास है कि सीधी लड़ाई में उनके लिए भूखों मरने वाली बात होगी.

दुनिया ने अकेला छोड़ दिया

इस बार अमेरिका उनके साथ नहीं है जबकि चीन , दुनिया के  अधिकतर पडोशी देशों का मंतव्य समझ कर प्रत्यक्ष रूप से पाक के साथ खड़ा नहीं दिखना चाहता है. रूस बेहद संभल कर कदम रख रहा है जबकि युरोपियन यूनियन ने तो उन्हें पहले ही बलूचिस्तान को लेकर आर्थिक प्रतिबन्ध लगाने की धमकी दे दी है. पडोशी बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान, नेपाल सभी भारत के साथ खड़े हैं. युएनओ ने स्पष्ट कर दिया है कि इस मुद्दे के लिए यहाँ कोई जगह नहीं है. पहली बार बेहद अलग थलग पड़ चुके धरती पर मानवीय मूल्यों का लगातार हनन करने वाले इस मुल्क को अब भी अपनी गलतियों का एहसास होगा इसमें संदेह है लेकिन यह तो पता चल ही गया कि यह केवल गिदडभभकी देता रहा है.

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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