हरियाणा में भाजपा राज में विकास का पहिया रुका : दीपेन्द्र हुड्डा

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 भेदभाव की दृष्टि से काम कर रही है भाजपा सरकार

झज्जर, 5 अक्टूबर ,  सोनू धनखड़। छारा में अनेक सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत करने पहुँचे सांसद दीपेन्द्र का लोगों ने गर्मजोशी से स्वागत किया जिसके लिये उन्होंने लोगों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि चौ भूपेन्द्र सिंह हुड्डा  के दस साल के कार्यकाल में प्रदेश ने विकास के मामले में जो गति पकड़ी थी अब पिछले तीन साल में भाजपा सरकार ने उस पर ब्रेक लगा कर रोकने का काम किया है। विकास और जनहित के काम पूरी तरह ठप हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा भाजपा सरकार अपने अभी तक के कार्यकाल में एक भी नयी विकास परियोजना मंजूर करवाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है और हुड्डा सरकार के कार्यकाल में जो परियोजनाएं मंजूर हो चुकी थीं और जिनपर काम चल रहा था उनको भी रोक कर ठण्डे बसते में डाला जा रहा है। 

 

उन्होंने कहा कि हमने अपने दस साल के कार्यकाल में अगली पीढ़ी को एक अच्छे भविष्य देने की दूर द्रष्टि से काम किया है चाहे वो मेडिकल कॉलेज, हाईवे की बात हो, रेल लाइन की बात हो, रेल कोच फैक्ट्री की बात हो हमारी सबको साथ लेकर चलने की विचारधारा है, विकास जोड़ता है मगर भाजपा की सोच अलग है।

दीपेन्द्र ने कहा कि हमारे इस इलाके के साथ भाजपा सरकार भेदभाव की दृष्टि से काम कर रही है, केवल एक फैसले की बात नहीं है ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जिससे इस प्रकार का भेदभाव दिखता है। मैंने खुद छारा के लिये बाई पास मंजूर करवाया था और इस बाई पास के काम के लिये पैसा भी मंजूर करवा दिया गया था मगर भाजपा के आने के बाद इस बाई पास के काम को इसकी जरुरत न होने का बहाना बता कर कैंसिल कर दिया गया।

 

इसी प्रकार महम में अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट हम लेकर आये जिससे लाखों युवाओं के लिये रोजगार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष साधन बनते मगर केंद्र की भाजपा सरकार ने इसे उठा कर उत्तर प्रदेश में स्थापित करने का फैसला ले लिया और प्रदेश की भाजपा सरकार हाँथ पे हाँथ धरे बैठी रह गयी। 

 

उन्होंने कहा कि तीन साल में तीन बार प्रदेश में शान्ति एवं अमन-चैन का माहौल बिगड़ा है, कानून व्यवस्था का बुरा हाल है, लूट और फिरौती की वारदातें रोज हो रही हैं, महिलाओं के खिलाफ अपराध चरम पर हैं, ऐसा लगता है सरकार ने अपराध और अपराधियों के आगे घुटने टेक दिये हैं। इन परिस्तिथियों में मुख्यमंत्री सहित पूरी कैबिनेट को इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए। जब पराली जलाने पर गाँव के सरपंच को ससपेंड किया जा सकता है तो तीन बार हरियाणा को हिंसा की आग में जलाने के लिये मुख्यमंत्री को क्यों नहीं ससपेंड किया जा सकता। 

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