10 वरिष्ट शिक्षाविद संस्कृति के सारथी सम्मान 2014 से सम्मानिंत किये गए
गुरुग्राम : कहते हैं शिक्षक साधारण नहीं होता ,युग के परिवर्तन का माद्दा रखता है शिक्षक .संस्कृति का सारथी होता है शिक्षक यही चरितार्थ किया आज गुरुग्राम के सैकड़ो शिक्षक शिक्षिकाओ ने ,अपनी एक जुटता दिखा कर. आज उन्होंने सिद्ध कर दिया की जब चाणक्य अपनी जिद पर आता है तो कोटि कोटि चन्द्रगुप्त का निर्माण कर सकता है और यही आज संकल्प लिया गया |
आज सेक्टर 10 ए स्थित कृष्ण मंदिर के सभागार में आयोजित संस्कृति के सारथी संस्था द्वारा शिक्षक शिक्षिकाओ के सेमिनार में उपर्युक्त बाते भारत के प्रसिद्द विचारक संजय जोशी ने कही. उन्होंने कहा कि समाज में शिक्षा संस्कृति और संस्कार की जिम्मेदारी समाज के अग्रिम पंक्ति के स्तम्भ शिक्षक और शिक्षिकाओ पर निर्भर है. सेमिनार का उद्घाटन संजय जोशी ,हरियाणा कला परिषद् के निदेशक अजय सिंघल ,भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांतीय संयोजक पुष्पेन्द्र राठी ,शिक्षाविद बी आर कामराह ,राजीव कुमार श्रीवास्तव ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया |
बेहद व्यवस्थित एवं अनुस्थित इस कार्यक्रम में लगभग 500 शिक्षक शिक्षिकाएं समेत 50 विद्यालयों के संचालक मौजूद थे . कार्यक्रम में 10 वरिष्ट शिक्षाविदो को संस्कृति के सारथी सम्मान 2014 से सम्मानिंत किया गया| सम्मानित शिक्षाविदो में मोहन लाल सर, स्कवा. लीडर के . एन. शर्मा , ओम प्रकाश अरोडा , बलवंत राय सतीजा , बी. आर. कमराह , पुष्पा धनखड़, किरण मल्होत्रा ,वीणा अग्रवाल , उषा प्रियादर्शनी एवं मीनाक्षी ऋषि मौजूद थे | इस कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्कृति के सारथी संस्था की समर्पित टीम ने बेहद कुशलता से कार्य किया जिसमे ब्रजेश सिसोदिया, मति रजनी तंवर , मति पिंकी शर्मा , दीपक वशिष्ट , रविंदर तंवर, अरुण चतुर्वेदी ,राजू शर्मा , गुरुबक्श राय मल्होत्रा , सरदार इन्द्रजीत सिंह ,सेक्टर 10 ए के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा , ब्रहम यादव इत्यादि उपस्थित थे |कार्यक्रम का समन्वय सौरव चौहान और कार्यक्रम का संचालन व संयोजन कलासाधक राम बहादुर सिंह ने किया |